,क्या आपके आसपास भी कम उम्र के बच्चे मजदूरी कर रहे हैं? जैस घरों का काम , चाय की दुकान पर , ढाबे और ईंट भत्तों पर काम कर रहे हैं ? क्या आपके आसपास भी किसी बच्चे का शारीरिक या मानशिक शोषण हो रहा है? क्या किसी प्रकार का भेदभाव का भी बच्चों को सामना करना पर रहा है ? इसके अलावा आपके मन कोई और सवाल या शिकायत हो तो आप जरूर हमसे साझा करें , हमारे समुदायिक संवाददता और सहयोगी संस्था की मदद से हर संभव समाधान की पहल करेंगे.

रोटी... जिसकी कीमत नहीं आंकी जा सकती। रोजी और रोजगार, जो रोटी पाने का जरिया है। समाज के उच्चतम वर्ग को छोड़ दिया जाए तो हाशिए पर खड़े आम आदमी के लिए यही जीवन है। पर जब कोई त्रासदी अचानक ही जीवन का यह अहम जरिया छीन ले तो! दोस्तों,मोबाइलवाणी इन दिनों आम लोगों के इसी जरिए को उनसे दूर होने से बचाने के लिए प्रयासरत है..अपने रोजी, रोटी और रोजगार अभियान के साथ. अच्छी बात ये है कि हमारा यह प्रयास रंग ला रहा है. कैसे...? ये जानने के लिए सुनिए अभियान को सफल बनाती कुछ सच्ची कहानियां...साथ ही मोबाइलवाणी का यह अभियान कैसे जरूरतमंदों के जीवन में आशा की किरण लेकर आया है और अगर आप भी इस अभियान का हिस्सा बनना चाहते हैं तो अपने फ़ोन में 3 नम्बर का बटन दबाकर वस्तुस्थिति को ज़रूर बताएं

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आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत मनरेगा में क्या है विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी जानकारी ।

किसी के पास खाने को राशन नहीं है , तो किसी के पास काम नहीं होने के कारण पैसे । सरकार ने लॉकडाउन में मनरेगा में काम की मंजूरी देकर मजदूरों की जिंदगी पटरी पर लाने की कोशिश की। राष्ट्रीय औसत मजदूरी में 20 रुपए की बढ़ोत्तरी के साथ-साथ अपने गाँव पहुंचे प्रवासी मजदूरों को नए जॉब कार्ड बनाकर काम देने की कोशिश की , ताकि उनके सामने रोजी-रोटी का संकट दूर हो। मगर अभी भी बड़ी संख्या में मजदूर काम मिलने की आस लगाये बैठे हैं। प्रवासी मजदूर, दूसरे राज्य को छोड़कर अपने गॉँव की ओर इसलिए आ रहे है , ताकि उन्हें कभी खाने की समस्या ना हो, लेकिन लॉकडाउन के इस समय में इनके सामने सबसे बड़ी समस्या उनके रोज़ी-रोटी को लेकर ही आ रही है। बिहार , झारखंड , उत्तरप्रदेश और मध्य प्रदेश के 250 से ज्यादा पंचायत के मुखिया के अनुसार केवल 25-30 % मनरेगा जॉब कार्ड धरी को मनरेगा के तहत काम मिला है और बाकी लोगों के लिए रोज़गार के अवसर तलाशे जा रहे हैं, आखिर क्या है इन गाँवों की ज़मीनी हकीकत , सुनिए हमारी ये खास रिपोर्ट। साथ ही आप भी संविधान के मूल अधिकार ,जीवन के अधिकार को सुरक्षित और सुनिश्चित कीजिए और अपनी राय एवं क्षेत्र की वस्तुस्थिति को ज़रूर बताएं अपने फ़ोन में 3 नम्बर का बटन दबाकर

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कोरोना महामारी और उसके बाद सम्पूर्ण भारत में ताला बंदी संगठित व असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए कहर बरपा रही है, प्रवासी श्रमिक जो देश के नागरिक भी हैं अपने आँखों में उम्मीद लिए अपनों से मिलने की आस में थके हारे घर पहुँच तो गए लेकिन पहुँचने के बाद भी परेशानी पीछा नहीं छोडती नज़र आई। आप में से बहुत से शर्मिक ऐसे होंगे जिन्हें अपने घर पर ही 14 दिनों के लिए कोरनटाईन में रहने का सलाह दिया होगा और आपके लिए भी राशन कार्ड और खाद्यान्न मिलना सुनिश्चित होना चाहिए, लेकिन क्या सच में आप को इन सभी सुविधाओं का लाभ मिला? क्या अब तक आपको मनरेगा में काम मिला और राशन उपलब्ध कराया गया या राशन की दुकान से आपने राशन प्राप्त किया? काम और राशन न मिलने की मुख्य वजह क्या रही हैं? हम यह भी जानते हैं की आपको इनके इसके अलावा और भी कई परेशानियों का सामना करना पड़ रह रहा होगा तो इन परेशानियों को अपने आप तक न रखें , मोबाइल वाणी पर साझा करें, 3 नम्बर दबाकर रिकॉर्ड करें

एक तरफ राज्यों और केंद्र ने काम के घण्टे और काम बढ़ाने की योजना को अमलीजामा पहनाना शुरू कर दिया है क्या हम मज़दूर अब मजबूर हैं 12 घन्टे काम करने के लिए? तो क्या हम मज़दूर श्रम के बढ़ते घन्टों से पूँजी बनाने के इस चक्र में सरकार और कंपनियों की इन आर्थिक नीतियोँ के साथ हैं?

लॉक डाउन के दौरान केंद्रीय सरकार द्वारा कई काम, संस्थान और प्रतिष्ठानों को छूट दी गई है। इस सूची में कई व्यवसाय और आजीविका का जिक्र है। क्या इन कामों में आप दोबारा से जुड़ पाए है ?क्या कार्यक्षेत्र में आपको सुरक्षा के साधन उपलब्ध करवाए गए है ?क्या काम जाने के दौरान कोई परेशानी आ रही है ?

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