लॉक डाउन के दौरान स्कूली व आंगनबाड़ी बच्चों को मिलने वाले पोषण मध्यां भोजन के लिए सूखा राशन व ईंधन आदि की रक़म नकद राशि के रूप में लाभार्थियों को देने का निर्णय लिया गया। वहीं आंगनबाड़ी साहिकाओं द्वारा घर घर जा कर गर्भवती महिलाओं व बच्चों तक लाभ पहुँचाने का निर्देश दिया गया है। कई क्षेत्रों में यह सुविधाएँ से लाभार्थी वंचित रह जा रहे है। क्या नामांकित बच्चों को यह लाभ मिल रहा है ?अगर नहीं ,तो क्या कारण है जो बच्चें अपने अधिकारों से वंचित रह जा रहे है ?इन योजनाओं से जुड़ी अन्य बातों को सुनने के लिए क्लिक करे ऑडियो पर...

रोटी... जिसकी कीमत नहीं आंकी जा सकती। रोजी और रोजगार, जो रोटी पाने का जरिया है। समाज के उच्चतम वर्ग को छोड़ दिया जाए तो हाशिए पर खड़े आम आदमी के लिए यही जीवन है। पर जब कोई त्रासदी अचानक ही जीवन का यह अहम जरिया छीन ले तो! दोस्तों,मोबाइलवाणी इन दिनों आम लोगों के इसी जरिए को उनसे दूर होने से बचाने के लिए प्रयासरत है..अपने रोजी, रोटी और रोजगार अभियान के साथ. अच्छी बात ये है कि हमारा यह प्रयास रंग ला रहा है. कैसे...? ये जानने के लिए सुनिए अभियान को सफल बनाती कुछ सच्ची कहानियां...साथ ही मोबाइलवाणी का यह अभियान कैसे जरूरतमंदों के जीवन में आशा की किरण लेकर आया है और अगर आप भी इस अभियान का हिस्सा बनना चाहते हैं तो अपने फ़ोन में 3 नम्बर का बटन दबाकर वस्तुस्थिति को ज़रूर बताएं

किसी के पास खाने को राशन नहीं है , तो किसी के पास काम नहीं होने के कारण पैसे । सरकार ने लॉकडाउन में मनरेगा में काम की मंजूरी देकर मजदूरों की जिंदगी पटरी पर लाने की कोशिश की। राष्ट्रीय औसत मजदूरी में 20 रुपए की बढ़ोत्तरी के साथ-साथ अपने गाँव पहुंचे प्रवासी मजदूरों को नए जॉब कार्ड बनाकर काम देने की कोशिश की , ताकि उनके सामने रोजी-रोटी का संकट दूर हो। मगर अभी भी बड़ी संख्या में मजदूर काम मिलने की आस लगाये बैठे हैं। प्रवासी मजदूर, दूसरे राज्य को छोड़कर अपने गॉँव की ओर इसलिए आ रहे है , ताकि उन्हें कभी खाने की समस्या ना हो, लेकिन लॉकडाउन के इस समय में इनके सामने सबसे बड़ी समस्या उनके रोज़ी-रोटी को लेकर ही आ रही है। बिहार , झारखंड , उत्तरप्रदेश और मध्य प्रदेश के 250 से ज्यादा पंचायत के मुखिया के अनुसार केवल 25-30 % मनरेगा जॉब कार्ड धरी को मनरेगा के तहत काम मिला है और बाकी लोगों के लिए रोज़गार के अवसर तलाशे जा रहे हैं, आखिर क्या है इन गाँवों की ज़मीनी हकीकत , सुनिए हमारी ये खास रिपोर्ट। साथ ही आप भी संविधान के मूल अधिकार ,जीवन के अधिकार को सुरक्षित और सुनिश्चित कीजिए और अपनी राय एवं क्षेत्र की वस्तुस्थिति को ज़रूर बताएं अपने फ़ोन में 3 नम्बर का बटन दबाकर

कोरोना महामारी और उसके बाद सम्पूर्ण भारत में ताला बंदी संगठित व असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए कहर बरपा रही है, प्रवासी श्रमिक जो देश के नागरिक भी हैं अपने आँखों में उम्मीद लिए अपनों से मिलने की आस में थके हारे घर पहुँच तो गए लेकिन पहुँचने के बाद भी परेशानी पीछा नहीं छोडती नज़र आई। आप में से बहुत से शर्मिक ऐसे होंगे जिन्हें अपने घर पर ही 14 दिनों के लिए कोरनटाईन में रहने का सलाह दिया होगा और आपके लिए भी राशन कार्ड और खाद्यान्न मिलना सुनिश्चित होना चाहिए, लेकिन क्या सच में आप को इन सभी सुविधाओं का लाभ मिला? क्या अब तक आपको मनरेगा में काम मिला और राशन उपलब्ध कराया गया या राशन की दुकान से आपने राशन प्राप्त किया? काम और राशन न मिलने की मुख्य वजह क्या रही हैं? हम यह भी जानते हैं की आपको इनके इसके अलावा और भी कई परेशानियों का सामना करना पड़ रह रहा होगा तो इन परेशानियों को अपने आप तक न रखें , मोबाइल वाणी पर साझा करें, 3 नम्बर दबाकर रिकॉर्ड करें

झारखण्ड राज्य के गोड्डा ज़िला से शंकर सुमन ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि डिशेरगढ़ त्रिशक्ति महिला मंडल राजमहल शाखा की ओर से सोमवार को आधा दर्जन सिलाई सीखने वाली महिला के बीच खाद्य सामग्री का वितरण किया गया। ईसीएल की प्रथम महिला एवं महिला मंडल की अध्यक्षा पूनम मिश्रा जी के मार्गदर्शन में वितरण किया गया । वही ईसीएल राजमहल की प्रथम महिला सह स्थानीय त्रिशक्ति महिला शाखा की अध्यक्षा सुचालिता नायक के नेतृत्व में उर्जानगर की महिलाओं ने सुरभि क्लब ऊर्जानगर में 6 ऐसे परिवारों के बीच में पॉकेट बनाकर खाद्य सामग्री एवं अन्य वस्तुओं का वितरण किया ।

जैसा कि आप सभी जानते हैं कि मोबाइल वाणी समाज के वंचित ,असहाय और जरूरतमंद लोगों को जिनके पास लॉक डाउन की स्थिति में जीवन जीने के लिए बुनियादी सुविधाएँ जैसे -भोजन ,शहरों और गांवों में रहने के लिए घर ,बच्चों के लिए शिक्षा -स्कूल ,इलाज के लिए अस्पताल ,परिवार के भरण पोषण के लिए रोजगार जैसे बुनियादी सुविधाओं का अभाव हो गया है। मोबाइल वाणी के सामुदायिक रिपोर्टर्स ,वॉलेंटियर्स और कम्युनिटी मैनेजर्स इन्ही सभी मुद्दों पर समाज के सभी हितधारकों की आवाज़ को प्राथमिकता के साथ रिकॉर्ड कर के प्रसारित कर रहे हैं। और सम्बंधित व्यक्ति अधिकारीयों की मदद से आ रही परेशानियों को दूर करने का प्रयास भी करते आ रहे हैं। आप में से कई लोग लम्बे समय से मोबाइल वाणी के सक्रीय श्रोता रहे हैं और अगर अब आप वॉलेंटियर्स से सामुदायिक रिपोर्टर्स की भूमिका निभाना चाहते हैं तो अभी दबाइये अपने फ़ोन में नंबर 3 और रिकॉर्ड करें अपनी बात और जुड़े रहे मोबाइल वाणी के साथ