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सुगौली के परिसर में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए अदालत के एक अर्ध-कानूनी स्वयंसेवक, सामाजिक कार्यकर्ता अवधेश कुमार गुप्ता द्वारा मतदाता जागरूकता चौपाल का आयोजन किया गया था। कार्यक्रम की अध्यक्षता सामाजिक कार्यकर्ता सी. मदन गोपाल ठाकुर ने की आगामी लोकसभा चुनावों के बारे में लोगों को जागरूक करते हुए सांसद अवधेश कुमार गुप्ता ने कहा कि हार और जीत एक वोट पर आधारित होती है, इसलिए मतदान के दिन सभी को पहले मतदान करना चाहिए और फिर नाश्ता करना चाहिए और अपने बच्चों को खाना खिलाना चाहिए। रिश्तेदारों को भी मतदान के बारे में जागरूक करें, उन्होंने कहा कि उन्हें मतदान करने जाते समय बूथ पर सामाजिक दूरी का पालन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि मतदान के समय अक्सर राजनीतिक दल मतदाताओं को उनके पक्ष में वोट डालने के लिए पैसे देते हैं। वे आपको एक लड़की की ताली आदि की बात का लालच देकर वोट पाने का लालच देते हैं। आप लोगों को ऐसे राजनीतिक दलों के लोगों से दूरी रखनी चाहिए। ऐसी स्थिति में, अपने पुलिस थाना प्रमुख, खंड विकास अधिकारी, आंचल अधिकारी, जिला मजिस्ट्रेट को सूचित करें, क्योंकि जिला प्रशासन हर समय आपकी मदद करने के लिए तैयार है।

बिहार राज्य के पूर्वी चम्पारण से अमरूल आलम मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव का दिन नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे मैदान में उतरे उम्मीदवारों के दिल की धड़कन बढ़ती जा रही है। इस बार पश्चिम चंपारण से अब तक केवल दो उम्मीदवार देखे गए हैं। पिछले दो हजार उन्नीस चुनावों में कई आधा दर्जन उम्मीदवारों ने चुनाव में अपनी किस्मत आजमाई, जिसमें भाजपा उम्मीदवार डॉ. संजय जयसवाल ने बरजेश कुशवाहा को भारी अंतर दिया। पश्चिम चंपारण में कुल छह विधानसभा क्षेत्र हैं, जिनमें से पश्चिम चंपारण से चनपटिया नौतन बेसिया के पास तीन और पूर्वी चंपारण से सुरौली नारकटिया रक्सौल पश्चिम चंपारण लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है।

लोकसभा चुनाव की तारीख की घोषणा के बाद अब उम्मीदवार गली मोहल्ला नगर पंचायतों को धूल उड़ाते नजर आ रहे हैं।पश्चिम चंपारण लोकसभा क्षेत्र में इस बार दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल रहा है।

दोस्तों, प्रधानमंत्री के पद पर बैठे , किसी भी व्यक्ति से कम से कम इतनी उम्मीद तो कर ही सकते हैं कि उस पद पर बैठने वाला व्यक्ति पद की गरिमा को बनाए रखेगा। लेकिन कल के भाषण में प्रधानमंत्री ने उसका भी ख्याल नहीं रखा, सबसे बड़ी बात देश के पूर्व प्रधानमंत्री के खिलाफ खुले मंच से झूठ बोला। लोकतंत्र में आलोचना सर्वोपरि है वो फिर चाहे काम की हो या व्यक्ति की, सवाल उठता है कि आलोचना करने के लिए झूठ बोलना आवश्यक है क्या? दोस्तों आप प्रधानमंत्री के बयान पर क्या सोचते हैं, क्या आप इस तरह के बयानों से सहमत हैं या असहमत, क्या आपको भी लगता है कि चुनाव जीतने के लिए किसी भी हद तक जाना अनिवार्य है, या फिर आप भी मानते हैं कि कम से कम एक मर्यादा बनाकर रखी जानी चाहिए चाहे चुनाव जीतें या हारें। चुनाव आयोग द्वारा कोई कार्रवाई न करने पर आप क्या सोचते हैं। अपनी राय रिकॉर्ड करें मोबाइलवाणी पर।

2024 के आम चुनाव के लिए भी पक्ष-विपक्ष और सहयोगी विरोधी लगभग सभी प्रकार के दलों ने अपने घोषणा पत्र जारी कर दिये हैं। सत्ता पक्ष के घोषणा पत्र के अलावा लगभग सभी दलों ने युवाओं, कामगारों, और रोजगार की बात की है। कोई बेरोजगारी भत्ते की घोषणा कर रहा है तो कोई एक करोड़ नौकरियों का वादा कर रहा है, इसके उलट दस साल से सत्ता पर काबिज राजनीतिक दल रोजगार पर बात ही नहीं कर रहा है, जबकि पहले चुनाव में वह बेरोजगारी को मुद्दा बनाकर ही सत्ता तक पहुंचा था, सवाल उठता है कि जब सत्ताधारी दल गरीबी रोजगार, मंहगाई जैसे विषयों को अपने घोषणापत्र का हिस्सा नहीं बना रहा है तो फिर वह चुनाव किन मुद्दों पर लड़ रहा है।

हमारे लिए रोजी-रोटी चुनाव से अधिक आवश्यक मोतिहारी लोकसभा क्षेत्र में करीब एक माह बाद छठे चरण में 25 मई को मतदान होना है। शहर-बाजार के चौक-चौराहे से लेकर गांव के खेत-खलिहान तक हर तरफ चुनावी चर्चा शुरू हो गयी है। इस चुनावी माहौल के बीच प्रवासी मजदूरों का जत्था रोजी-रोटी की तलाश में प्रदेश जाने को मजबूर हैं। इन प्रवासियों के मन मे वोटिंग की इच्छा तो है, परन्तु कंपनी द्वारा दूसरे मजदूर को काम पर रख लेने की स्थिति में रोजी छूटने के डर से काम पर लौटने की मजबूरी है। वोटिंग की लालसा पर रोजी छूटने का भय भारी पड़ रहा है। शुक्रवार दोपहर एक बजे के करीब बापूधाम मोतिहारी रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर दो पर सप्तक्रांति एक्सप्रेस के इंतजार में बैठे कल्याणपुर के मनोज महतो कहते हैं कि वोट और रोजगार दोनों जरूरी है। हमारे वोट से ही मजबूत सरकार बनेगी। चुनाव के मौके पर घर पर रहने की इच्छा तो बहुत थी, लेकिन कंपनी का ठीकेदार बारबार काम पर लौटने के लिए फोन कर रहा है, जिसके चलते उनको बाहर जाना पड़ रहा है। पीपरा के पिंटू कुमार कहते है कि होली में बड़ी मुश्किल से घर आये थे। परिवार जनों के साथ त्योहार मना कर काम पर वापस लौट रहे हैं। देश तरक्की कर रहा है, पर अपने यहां रोजी-रोजगार का अभाव है। अगर अपने यहां भी रोजगार मिलने लगे तो कोई भी प्रवासी बाहर जाना नहीं चाहता। भारत इलेक्ट्रॉनिक्स में इंजीनियर तुरकौलिया के उदय कुमार कहते हैं कि उनकी तो परमानेंट ड्यूटी है। होली के मौके पर घर आये थे। वैलेट पेपर से मतदान के लिए अप्लाई किया है। कहते हैं कि मौका मिला तो आधुनिक भारत के लिए वोट जरूर करेंगे। जमशेदपुर के लिए टिकट कराने आये गायघाट के राजीव रंजन कहते है कि स्वच्छ छवि के उम्मीदवार को वोट करेंगे। मलाही के बिलटू सहनी ने कहा कि रोजी-रोजगार की मजबूरी है, नहीं तो वे भी चुनाव बाद ही बाहर जाते। संग्रामपुर के दिनेश कुमार दिल्ली की एक प्रतिष्ठित कंपनी में चार वर्ष से काम कर रहे हैं। कम्पनी से फोन आने के बाद काम पर लौट रहे है। अगर कंपनी से पांच दिन की छुट्टी मिल जाएगी, तो वोट करने जरूर आएंगे। कोटवा के अशोक महतो गाजियाबाद की एक फैक्ट्री में मजदूरी करते है। कहते है कि मजबूरी है काम पर वापस जाना पड़ रहा है। अगर गांव पर रहता तो वोट देने जरूर जाता। बहरहाल प्रवासियों के वोटिंग की इच्छा पर रोजी-रोटी की तलाश भारी पड़ती नजर आ रही है।

मनरेगा में भ्रष्टाचार किसी से छुपा हुआ नहीं है, जिसका खामियाजा सबसे ज्यादा दलित आदिवासी समुदाय के सरपंचों और प्रधानों को उठाना पड़ता है, क्योंकि पहले तो उन्हें गांव के दबंगो और ऊंची जाती के लोगों से लड़ना पड़ता है, किसी तरह उनसे पार पा भी जाएं तो फिर उन्हें प्रशासनिक मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इस मसले पर आप क्या सोचते हैं? क्या मनरेगा नागरिकों की इच्छाओं को पूरा करने में सक्षम हो पाएगी?

लोकसभा चुनाव को देखते हुए पूर्वी चंपारण जिले में मतदाताओं को जागरूक करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इसके लिए जिले में स्वीप कार्यक्रम के तहत आंगनवाड़ी केंद्रों में विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है, जिसके तहत आज शनिवार को गोडासन ब्लॉक के 41 नंबर के आंगनवाड़ी केंद्र में विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है। रंगोली बनाकर मतदाताओं को जागरूक किया गया और इस अवसर पर सी. डी. पी. ओ. अंजना कुमारी ने बताया कि इसका आयोजन विभिन्न आंगनवाड़ी केंद्रों पर किया जा रहा है। इस दौरान उन्हें मतदान के बारे में बताया गया और उन्हें उनके अधिकारों के बारे में भी जागरूक किया गया, इस दौरान उपस्थित सभी महिलाओं को मतदान करने और मतदान करने के लिए कहा गया। आंगनवाड़ी केंद्रों पर महिलाओं द्वारा बनाई गई रंगोली का प्रतिशत बढ़ाने का संकल्प भी लिया गया, जिसमें घर के सभी काम पहले छोड़ दें, वोट दें आदि जैसे नारे लगाए गए। आंगनवाड़ी केंद्र के बच्चों को घर के सभी मतदाताओं को मतदान करने के लिए प्रेरित करने का संदेश दिया गया। मौके पर महिला पर्यवेक्षक संगीता कुमारी सेविका सुमन कुमारी सहायिका हीरामधि देवी।