मोतिहारी। पूर्वी चंपारण जिले में स्वास्थ्य विभाग द्वारा एकतरफ कालाजार उन्मूलन के लिए प्रयास किया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर विभाग द्वारा मरीजों की क्षतिपूर्ति का भी विशेष ख्याल रखा रहा है। इस संबंध में पूर्वी चम्पारण के वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ शरत चन्द्र शर्मा ने बताया कि- कालाजार से पीड़ित रोगी को सरकार द्वारा आर्थिक सहायता दी जाती है। वहीं मुख्यमंत्री कालाजार राहत योजना के तहत श्रम क्षतिपूर्ति के रूप में बीमार व्यक्ति को राज्य सरकार द्वारा 6600 रुपए और केंद्र सरकार द्वारा 500 रुपए दिए जाने का प्रावधान है। जिसके तहत मरीजों के खाते में यह राशि दी जाती है। वीडीसीओ धर्मेंद्र कुमार ने बताया कि चमड़ी से जुड़े कालाजार (पिकेडीएल)संक्रमित रोगी को केंद्र सरकार की तरफ से 4000 रुपए दिए जाते हैं। – बालू मक्खी के काटने से होता है कालाजार वीडीसीओ धर्मेंद्र कुमार, रविन्द्र कुमार, सत्यनारायण उराँव ने जानकारी देते हुए बताया कि कालाजार बालू मक्खी के काटने से होता है। इससे बचाव को लेकर साल में दो बार एसपी छिड़काव कराया जाता है। उन्होंने बताया कि 2 हफ्ते से अधिक समय तक बुखार का होना, भूख की कमी, पेट का आकार बड़ा होना, शरीर का काला पड़ना कालाजार के लक्षण हो सकते हैं। वैसे व्यक्ति जिन्हें बुखार नहीं हो लेकिन उनके शरीर की त्वचा पर सफेद दाग व गांठ बनने लगे तो ये पीकेडीएल के लक्षण हो सकते हैं। जिले के हरसिद्धि, चकिया, पहाडपुर के साथ ही अन्य प्रखंडों में कालाजार, पीकेडीएल के संभावित मरीजों की खोज चल रही है। इस अभियान (एसीडी) के दौरान लक्षण मिलने वाले लोगों को चिह्नित कर समुचित जांच के लिए स्थानीय सरकारी स्वास्थ्य संस्थान जाने के लिए प्रेरित किया जा रहा हैं। ताकि मरीजों की समय पर जांच व इलाज सुनिश्चित हो सके। उन्होंने बताया कि नवम्बर 2022 तक भीएल के 48 तो पीकेडीएल के 14 केस मिले हैं। – कालाजार के मरीजों की होती है खोज; कालाजार प्रभावित एरिया में संभावित कालाजार के मरीजों की खोज के लिए समय- समय पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा सर्वे किया जाता है।जिस भी जगह पर कालाजार के मरीज पहले मिले थे उसके 500 मीटर की परिधि में सर्वे का कार्य किया जाता है। इस दौरान सर्वे दल के कर्मी हर एक-एक घर में जाकर किसी के बुखार से पीड़ित रहने के बारे में जानकारी लेते हैं , यदि जांच के दौरान घर के किसी भी सदस्य को 2 सप्ताह से लगातार बुखार लग रहा है तो उसकी जाँच आर.के.-39 कीट से की जाती है। वहीं जांच में यदि कालाजार की पुष्टि होती है तो उस मरीज को नजदीकी पीएचसी लाकर समुचित इलाज कराया जाता है।

वेक्टर रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ शरत चन्द्र शर्मा ने बताया कि जिले में घर-घर कालाजार मरीज खोज अभियान चलाया जा रहा है। साथ ही लोगों को इस बीमारी से बचाव के लिए जागरूक भी किया जा रहा है।

जिले के विभिन्न प्रखंडों को कालाजार से मुक्त बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग 22 जुलाई  से 05 अगस्त 2022 तक कालाजार रोगी  खोज अभियान चला रही है। जिला वेक्टर नियंत्रण पदाधिकारी डॉ हरेंद्र कुमार, वीबीडीएस डॉ सुजीत कुमार वर्मा एवम अरूण कुमार की  देख रेख में आशा फैसिलेटेटर व आशा द्वारा खोज किया जा रहा है। इसमें मझौलिया, बैरिया, एवम चनपटिया प्रखण्ड में कालाजार मरीजों की खोज चल रही है। खोज के दौरान अगर कालाजार के मरीज मिलते हैं तो उनका इलाज कराया जाएगा। वीबीडीएस ने बताया कि खोज के दौरान यदि कोई व्यक्ति 15 या उससे अधिक दिनों से बुखार से पीड़ित है और मलेरिया की दवा व एंटीबायोटिक लेने के बाद भी बुखार ठीक नहीं हुआ हो, तो उसे चिह्नित किया जा रहा है। पेट बड़ा हो गया हो या फिर भूख नहीं लगने के लक्षण हों तो ऐसे व्यक्ति को आशा कार्यकर्ता प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) ले जाकर जांच कराएंगी। इसके अलावा अगर किसी व्यक्ति का पूर्व में इलाज हुआ हो और फिर भी उसमें कालाजार के लक्षण दिख रहे हैं तो उसे आशा कार्यकर्ता मायागंज अस्पताल जाने के लिए कहेंगी।

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कोविड से ठीक हुए मरीजों में ब्लैक फंगस देखा जा रहा है। यह दरअसल ईलाज के दौरान ही असावधानियों से उपजा फंगस है। जिसमें ऑक्सीजन का मास्क साफ नहीं रहना, गीला मास्क पहनना, स्टेरॉयड की ज्यादा मात्रा लेना है। ये बातें सदर अस्पताल की अधीक्षक डॉ सुधा झा कह रही थी। उन्होंने कहा कि यह भी एक फफूंद ही है।विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।