ब्लॉक के विभिन्न क्षेत्रों में सामाजिक कार्यकर्ता अवधेश कुमार गुप्ता ने भी पृथ्वी दिवस के अवसर पर ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को जागरूक किया। पृथ्वी दिवस 22 अप्रैल को पृथ्वी पर सभी जीवित प्राणियों, पौधों और पेड़ों को बचाने और दुनिया भर के लोगों में पर्यावरण के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

हमारी सूखती नदियां, घटता जल स्तर, खत्म होते जंगल और इसी वजह से बदलता मौसम शायद ही कभी चुनाव का मुद्दा बनता है। शायद ही हमारे नागरिकों को इससे फर्क पड़ता है। सोच कर देखिए कि अगर आपके गांव, कस्बे या शहर के नक्शे में से वहां बहने वाली नदी, तालाब, पेड़ हटा दिये जाएं तो वहां क्या बचेगा। क्या वह मरुस्थल नहीं हो जाएगा... जहां जीवन नहीं होता। अगर ऐसा है तो क्यों नहीं नागरिक कभी नदियों-जंगलों को बचाने की कवायद को चुनावी मुद्दा नहीं बनाते। ऐसे मुद्दे राजनीति का मुद्दा नहीं बनते क्योंकि हम नागरिक इनके प्रति गंभीर नहीं हैं, जी हां, यह नागरिकों का ही धर्म है क्योंकि हमारे इसी समाज से निकले नेता हमारी बात करते हैं।

पीपराकोठी प्रखंड क्षेत्र के पड़ौलिया गांव में शुक्रवार को फसल सुरक्षा के तहत पौधा संरक्षण पर पाठशाला का आयोजन किया गया। जिसमें किसानों को पौधा सरंक्षण के बारे में जानकारी दी गई।  पाठशाला का संचालन किसान पूर्व सैनिक राजेश कुमार यादव ने किया। कृषि समन्वयक ने किसानों को रबी फसल में किट से खर पतवार से पौधे को सुरक्षित रखने के लिए बायो पेस्ट्रीटसाइड के उपयोग तथा सूक्ष्म सिंचाई योजना अंतर्गत ड्रीप सिंचाई, मिनिस्प्रिंकला व नलकूप योजना के संबंध में जानकारी दिया।

प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण , प्रबंधन एवं सम्वर्द्धन ही ईश्वर की पूजा है। उक्त बातें प्रख्यात इतिहासकार प्रो जे एन सिन्हा ने गांधी संग्रहालय में विज्ञान, पर्यावरण और महात्मा गांघी विषय पर आयोजित सेमिनार को सम्बोधित करते हुए शनिवार को कही।उन्होंने कहा कि पूंजीवादी विकास ने पर्यावरण को बेतहाशा नष्ट किया है। जिसके चलते प्रकृति भी बदला ले रही है। चाहे वह उत्तरकाशी हो, अभी सिक्किम का बाढ़ है या सुनामी। इसलिए गांधी जी का विकास मॉडल ही पर्यावरण के लिए उपयुक्त है।

जलवायु परिवर्तन के लिए पेड़ लगाया गया

ठंड की शुरुआत होते ही अपने गोद में रंग- बिरंगी प्राकृतिक छंटाओं को सजाये सरोत्तर झील में सात समुंदर पार से आने वाले मेहमान पक्षियों के आगमन से गुलजार हो गया है। शीतकाल के दस्तक के साथ ही हजारों मिल लंबा सफर तय कर साइबेरियन पक्षियों के अनोखी कलरव से क्षेत्र रोमांचित है। गुलाबी ठंड की शुरुआत होते ही इस झील में मेहमान पक्षियों का आना शुरु हो गया है। झील परिंदों के कोलाहल से सारी कुदरती सुन्दरता अपने अंदर समेट लेती है। इस दौरान पक्षियां झुंड बनाकर झील में विचरण कर रही है, जो झील में मौजूद किट पतंग व हरि हरी घास की तलाश में आती है।

दीपावली दियों से या धमाकों से? अबकि दीवाली पर हमें यह सोचना ही होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि हमारे शहरों की हवा हमारे इस उत्साह को शायद और नहीं झेल पा रही है। हवा इतनी खराब है कि सांस लेना भी मुश्किल हो रहा है। भारत की राजधानी दिल्ली इस मामले में कुछ ज्यादा बदनाम है। दुनिया के सबसे अधिक प्रदूषित जगहों में शामिल दिल्ली में प्रदूषण इतना अधिक है कि लोगों का रहना भी यहां दूभर हो रहा है।

Transcript Unavailable.

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पेड़ पौधों को रक्षा सुत्र बाँध कर पर्यावरण संरक्षण का लिया संकल्प। लोगों से भी पौधारोपण करने की अपील की गई