भारतीय संसद के इतिहास में न विपक्ष का हंगामा नया है और न उनका सदन से निष्कासन, हाल के सालों में इस तरह के निलंबन की घटनाएं लगातार बढ़ी हैं, इसमें भी निलंबन उनका होता है जो सदन में अपनी बात पुरजोर तरीके से रखकर सरकार का विरोध करते हैं। लोकतंत्र और संसद जो सहमति और असहमति का मिला जुला रूप हैं, उसमें इस तरह की कार्रवाईयों का क्या औचित्य है?

कोरोना से हुई मौत के बाद निकटतम परिजनों को दिया जाने वाला अनुग्रह अनुदान अब जिलास्तर पर ही दिया जाएगा। स्वास्थ्य विभाग ने अपने पूर्व में लिए गए निर्णय पर कायम रहते हुए फिर एक बार जिलाधिकारी व सिविल सर्जन को पत्र भेजा है। विभाग ने अबकी बार साफ कर दिया है कि कोरोना से हुई मौत के बाद निकटतम परिजनों को दिए जाने वाले अनुग्रह अनुदान के मामले को राज्य स्वास्थ्य समिति को नहीं भेजा जाए। बिहार में कोरोना अनुग्रह अनुदान का भुगतान सबसे पहले आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से किया गया। बाद में इसकी जिम्मेवारी स्वास्थ्य विभाग को दी गई। इसके तहत जिलास्तरीय समिति आवेदन का चयन राज्य स्वास्थ्य समिति को भेजा करती थी। इस प्रक्रिया में 18 हजार से अधिक लोगों को अनुदान दिया जा चुका है। इसी बीच विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत की ओर से 17 मार्च को सभी जिलाधिकारी व सिविल सर्जन को पत्र भेजा गया। इसमें कहा गया था कि कोविड संक्रमण से हुई मौत के बाद निकटतम आश्रितों को अनुग्रह अनुदान दिया जाना है। विभाग ने साफ कहा कि ऐसे मामलों की स्वीकृति हेतु विभाग में भेजने की आवश्यकता नहीं है। पटना उच्च न्यायालय में ज्योति कुमारी नामक महिला ने कोरोना से हुई मौत के बाद अनुग्रह अनुदान नहीं मिलने का मामला दायर किया। उच्च न्यायालय ने 20 जून को इस मामले की सुनवाई करते हुए अनुग्रह अनुदान की राशि भुगतान करने को कहा। इस पर भोजपुर जिला प्रशासन ने विभाग से मार्गदर्शन मांगा। इस पर विभागीय सचिव संजय कुमार सिंह ने भोजपुर डीएम को निर्देश दिया कि उक्त महिला को अनुग्रह अनुदान जिलास्तर पर ही भुगतान किया जाए। कोरोना से हुई मौत पर राज्य सरकार की ओर से चार-चार लाख का अनुग्रह अनुदान देने वाला बिहार देश का इकलौता राज्य है। राज्य में कोरोना से 19 हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।

कोरोना संक्रमण को लेकर राज्य स्वास्थ्य विभाग ने गाइड लाइन जारी किया है। जिसमें सभी अस्पतालों में डॉक्टर से लेकर लेकर स्टॉफ व पारामेडिकल स्टॉफ मास्क पहनेंगे व भर्ती मरीज को भी मास्क उपलब्ध कराया जाएगा। मगर हालत यह है कि यहां सिविल सर्जन को छोड़ किसी के चेहरे पर मास्क नहीं दिखता है। यहां तक कि लक्ष्य कार्यक्रम का निरीक्षण करने आई टीम के भी चेहरे पर मास्क नहीं था, जो चर्चा का विषय बन गया है। अब तक जिले में 16 कोरोना के मिले हैं मरीजबताया जाता है कि राज्य में बढ़ते कोरोना संक्रमण को लेकर स्वस्थ्य विभाग में मेंडेटरी कर दिया है कि सरकारी अस्पतालों में सभी मास्क लगा कर काम करेंगे। लेकिन यह निर्देश ठंडा बस्ता में ही रह गया है। जबकि कोरोना का मरीज जिला में लगातार मिल रहा है। अभी तक पिछले महीने से लेकर अब तक 16 कोरोना पॉजिटिव केस मिला है जिन्हें होम क्वारंटाइन किया गया है। बुधवार को ही दो कोरोना के मरीज मिले थे। सिविल सर्जन डॉ अंजनी कुमार ने आज फिर से निर्देश दिया कि सरकार के निर्देश का सख्ती से पालन किया जाय।

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कोरोना ने हमें एक बहुत गंभीर सबक सिखाया और वो ये है कि हमें अपने  स्वास्थ्य के प्रति पूरी ईमानदारी रखनी होगी। कोरोना से बचने के लिए सरकार ने हर कदम पर सुरक्षा के नए इंतेज़ाम सुनिश्चित किये और हर आयु वर्ग के लोगों के लिए कोरोना के संक्रमण से बचने के लिए  टीकाकरण की व्यवस्था की और टीकाकरण का यह अभियान सफल भी रहा। पिछले साल 16 मार्च 2022 को सरकार ने 12  से 14 साल तक के बच्चों को भी कोरोना का टीका लगवाने का फैसला किया।

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नेपाल में पिछले दो दिनों में जांच के दौरान 14 संक्रमित मिले मोतिहारी। कोविड संक्रमण नेपाल में एक बार फिर पांव पसारता दिख रहा है। पिछले दो दिनों में 14 कोविड संक्रमित पाए गए हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, कुल 858 लोगों के लिए गए नमूने में 319 लोगों की पीसीआर जांच रिपोर्ट में 14 संक्रमित पाये गए हैं। जबकि,मंगलवार को 5 कोरोना संक्रमित मिले थे और कुल 16 ऐक्टिव कोरोना संक्रमित थे। इधर, रक्सौल में 16 बेड का कोविड वार्ड बना दिया गया है।साथ ही 24 घण्टे का क्लॉक वाइज मेडिकल टीम का रोस्टर भी जारी कर दिया गया है।वहीं,कोविड 19 के नोडल पदाधिकारी डॉ एसके सिंह को बनाया गया है। डॉक्टरों व स्वास्थ्यकर्मियों को मुस्तैद रहने को कहा गया है। इसकी जानकारी देते हुए रक्सौल स्थित अनुमण्डलिय अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ राजीब रंजन कुमार ने बताया कि अस्पताल के फस्ट फ्लूर पर बनाये गए कोविड वार्ड की सभी व्यवस्था जेनरल ओपीडी व वार्ड से अलग है। कोविड वार्ड में ऑक्सीजन सप्लाई, बैकअप के लिए ऑक्सीजन कंस्ट्रेटर ,अटैच बाथरूम जैसी सुविधा मौजूद है।उन्होंने बताया कि सिविल सर्जन डॉ अंजनी कुमार के निर्देश पर कोविड वार्ड की सभी तैयारी व व्यवस्था दुरुस्त कर ली गई है।

रक्सौल बॉर्डर पर कोविड जांच व सतर्कता में मुस्तैदी मोतिहारी।नेपाल की सीमा पर कोविड नियंत्रण को ले कर कोविड जांच व सतर्कता बढा दी गई है।नेपाल में यह मौसम यूरोप समेत अन्य देशों के पर्यटकों के लिए अनुकूल है व पिक सीजन की तरह है। ऐसे में भारत के बिहार स्थित बोध गया से पटना होते हुए नेपाल आने वाले भारत-नेपाल मैत्री बस समेत पर्यटकों व विदेशी नागरिकों के यात्री बस व वाहनों को रोक कर कोविड जांच की जा रही है। पर्यटक कोलकाता, इंदौर समेत राजस्थान, आदि से बस रिजर्व कर रक्सौल के रास्ते नेपाल पहुंचते हैं।जिसको देखते हुए वीरगंज के शंकराचार्य गेट पर अवस्थित हेल्थ डेस्क पर जांच की जा रही है।हेल्थ डेस्क इंचार्ज अनिशा महतो के मुताबिक,हाल के दिनों मद अब तक एक भी कोविड संक्रमित नही मिले हैं,लेकिन,सरकार के निर्देश पर जांच व एहतियात बरती जा रही है।बता दे कि बुधवार को वीरगंज के मेयर राजेश मान सिंह ने हेल्थ डेस्क का नीरिक्षण किया था और जांच में तेजी लाने को ले कर आवश्यक निर्देश दिये थे।वीरगंज महानगर पालिका के प्रशासकीय अधिकारी लक्ष्मी प्रसाद ने बताया कि,बार्डर पर अनिवार्य जांच करने पर जोर है,क्योंकि, एक भी चूक से नेपाल में संक्रमण फैल सकता है।विभागीय सूत्रों के मुताबिक,,बिहार के बोधगया में संक्रमितों की संख्या 11 पहुंच चुकी है।दलाई लामा की उपस्थिति में हुए बौद्ध सम्मेलन में भाग लेने पहुंचे म्यांमार व बैंकाक से आये पर्यटकों में संक्रमण मिल चुका है।बोध गया के बाद पटना व दरभंगा में भी संक्रमित मिले हैं। जिसको देखते हुए लौटने वाले नेपाली समेत विदेशी नागरिको की अनिवार्य कोविड जांच के निर्देश दिये गए हैं।भारत के जोखिम वाले क्षेत्रो से आने वालों समेत तीसरे देश के नागरिको की एंटीजन टेस्ट की जा रही है।