झारखण्ड राज्य के रांची जिला से जयवीर यादव ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि वृक्ष हमारे जीवन में बहुत महत्वपूर्ण है। गर्मियों में वृक्ष का छाँव बहुत राहत देता है। अतः हर व्यक्ति को कम से कम एक पेड़ अवश्य लगाना चाहिए

झारखण्ड राज्य के रांची जिले से जयवीर यादव मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं की लोग अपनी सुविधा के लिए जंगल में आग लगा देते हैं लेकिन आग नहीं लगाना चाहिए अधिक जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें और पूरी जानकारी सुनें

हमारी सूखती नदियां, घटता जल स्तर, खत्म होते जंगल और इसी वजह से बदलता मौसम शायद ही कभी चुनाव का मुद्दा बनता है। शायद ही हमारे नागरिकों को इससे फर्क पड़ता है। सोच कर देखिए कि अगर आपके गांव, कस्बे या शहर के नक्शे में से वहां बहने वाली नदी, तालाब, पेड़ हटा दिये जाएं तो वहां क्या बचेगा। क्या वह मरुस्थल नहीं हो जाएगा... जहां जीवन नहीं होता। अगर ऐसा है तो क्यों नहीं नागरिक कभी नदियों-जंगलों को बचाने की कवायद को चुनावी मुद्दा नहीं बनाते। ऐसे मुद्दे राजनीति का मुद्दा नहीं बनते क्योंकि हम नागरिक इनके प्रति गंभीर नहीं हैं, जी हां, यह नागरिकों का ही धर्म है क्योंकि हमारे इसी समाज से निकले नेता हमारी बात करते हैं।

बुढ़मू : बुढ़मू प्रखंड के सिदरोल, रांजी टोला,बुढ़मू समेत कई गांव के ग्रामीणों ने वन बचाओ एवं वन अधिकार पट्टा की मांग बुढ़मू में की । और सड़को से जुलूस निकालते हुए लोगों ने रांजी टोला के पास बोर्ड लगाया। मौके पर सैकड़ो ग्रामीण उपस्थित थे।

मैक्लुस्कीगंज  7 फरवरी 2024 फ़ोटो 1 - कोयला धुलाई में लगे हाइवा डम्फर. मैक्लुस्कीगंज के रास्ते हाइवा डम्फर से कोयला ट्रांसपोर्टिंग से आम जनों को हो रही है परेशानी. इन दिनों मैक्लुस्कीगंज थाना क्षेत्र के बघमरी, हेसालौंग, कोनका, लपरा के रास्ते कोयला ट्रांसपोर्टिंग चरम पर है. कोयला ढुलाई में लगभग दो दर्जन से अधिक हाइवा डम्फर को लगाया गया है, जिससे उक्त मार्ग पर चलने वाले राहगीरों व आमजनों को धूल गर्द, ट्रैफिक आदि भारी समस्या का सामना करना पड़ रहा है. वहीं विद्यालय जाने वाले विद्यार्थियों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. ज्ञात हो कि मैक्लुस्कीगंज पर्यटन के साथ साथ एजुकेशन हब के नाम से विख्यात है. एक ओर जहां देश विदेश से पर्यटकों का आना जाना पूरे वर्ष मैक्लुस्कीगंज में लगा रहता है, वहीं गंज स्थित शिक्षण संस्थानों में झारखंड सहित अन्य राज्यों से विद्यार्थी छात्रावासों में रहकर पठन पाठन करने में लीन है. विद्यालय आवागमन में परेशानी का सबब बना हुआ है. दुर्घटना का भी संभावना बनी रहती है. इस बाबत रांची जिला ग्रामीण महामंत्री प्रीतम कुमार साहू, जितेन्द्रनाथ पांडेय, भाजपा खलारी मंडल संयोजक रामसूरत यादव, समाजसेवी रामबिलास गोप सहित अन्य ने विद्यार्थियों ग्रामीणों व आमजनों की समस्याओं से स्थानीय प्रशासन को अवगत कराते हुए हाइवा डम्फर से कोयला धुलाई पर अंकुश लगाने की मांग की है. साथ ही विद्यालय के समय व छुट्टी के समय बड़े वाहनों के परिचालन पर नो एंट्री लगाने की मांग की है. 

मैक्लुस्कीगंज   6 फरवरी 2024 फ़ोटो 1 - परेशानी का सबब बना सड़क के बीचो बीच गिरा स्लरी. मैक्लुस्कीगंज में स्लरी की तस्करी ज़ोरों पर, आम जनों को हो रही है परेशानी. इन दिनों मैक्लुस्कीगंज थाना क्षेत्र के नावाडीह, हेसालोंग, खलारी बाजार सरना सहित अन्य मार्गों से स्लरी( स्टोन डस्ट) की तस्करी चरम पर है. स्लरी की ढुलाई में लगभग 100 ट्रैक्टर व अन्य वाहनों को लगाया गया है, जिससे उक्त मार्ग पर चलने वाले राहगीरों व आमजनों को धूल गर्द, ट्रैफिक आदि भारी समस्या का सामना करना पड़ रहा है. इस बाबत भाजपा खलारी मंडल संयोजक रामसूरत यादव ने ग्रामीणों व आमजनों की समस्याओं से स्थानीय प्रशासन को अवगत कराते हुए स्लरी तस्करी में अंकुश लगाने की मांग की है. खलारी अंचलाधिकारी एसपी आर्या ने पूछने पर कहा कि भारी संख्या में ट्रैक्टरों से स्लरी ढुलाई की सूचना मिली है, स्टे लगाया गया है, उसके बाद भी अगर तस्करी जारी है तो जांच कर कार्रवाई की जाएगी.

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हसदेव जंगल 1500 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है इस जंगल में करीब 5 अब टन काला सोना यानी कोयला दवा हुआ है इसी के लालच में केंद्र सरकार और राज्य सरकार मिलकर अदानी ग्रुप को कोयला निर्यात के लिए दे दिया गया है इसे बचाने के लिए वहां के आदिवासी और मूलवासी कई दिनों से धरने पर बैठे हुए हैं फिर भी वहां के पेड़ों को मशीन के द्वारा काटा जा रहा है और वहां पर जितने भी जानवर भालू हो हाथी बाग सियार उसजंगल से विस्थापित हो जा रहे हैं लेकिन सरकार के कानो तक तक नहीं सुनाई दे रही है

विस्थापित प्रभावित मोर्चा के बैनर तले प्रदूषण को लेकर सीओ को ग्रामीणों ने दिया आवेदन मैक्लुस्कीगंज 13 दिसम्बर 2023 खलारी प्रखंड के हुटाप, खलारी, मायापुर के गामीणों ने खलारी सीओ को एक आवेदन देकर खलारी सीमेंट फैक्टरी से होने वाले प्रदूषण पर रोक लगाने की मांग की है। आवेदन में ग्रामीणों की और से कहा गया है कि आरपीएल खलारी सीमेंट फैक्ट्री में कोयला और चारकोल का बहुतायत मात्रा में भण्डारण किया गया है। यहां से रेलवे बोगी में लोड कर कोयला पवार प्लांटों में भेजा जा रहा। इस दौरान फैक्ट्री के आसपास के लोग प्रदूषण से बुरी तरह प्रभावित हो रहे है। जबकि उच्च न्यायालय द्वारा 1997 में फैसला सुनाया गया कि रैयतों की अधिकृत जमीन पर कोई में उद्योग लगती है तो संबंधित कंपनी को होने मुनाफे का 20 प्रतिशत हिस्सा पर्यावरण बंतुलन और क्षेत्रीय विकास पर खर्च करना होगा। लेकिन सिमेंट फैक्टरी प्रबंधक इस नियमावली को दरकिनार कर अपना मनमानी तरीके से कोयले का कारोबार चला रही है। साथ ही कोयला ट्रांसपोर्टिंग की दूरी कम करने के लिए सोनाडुबी नदी में अवैध पुलिया निर्माण कर दिया गया। जिससे नदी का पानी भी प्रदूषित हो रही है। कंपनी के लोग इस मामले को लेकर ग्रामीणों के साथ वार्ता नहीं करती है तो विस्थापित प्रभावित मोर्चा के बैनर तले स्थानीय ग्रामीण एक जुट होकर कोयला का काम को बंद करायेंगे।

दीपावली दियों से या धमाकों से? अबकि दीवाली पर हमें यह सोचना ही होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि हमारे शहरों की हवा हमारे इस उत्साह को शायद और नहीं झेल पा रही है। हवा इतनी खराब है कि सांस लेना भी मुश्किल हो रहा है। भारत की राजधानी दिल्ली इस मामले में कुछ ज्यादा बदनाम है। दुनिया के सबसे अधिक प्रदूषित जगहों में शामिल दिल्ली में प्रदूषण इतना अधिक है कि लोगों का रहना भी यहां दूभर हो रहा है।