हसदेव जंगल 1500 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है इस जंगल में करीब 5 अब टन काला सोना यानी कोयला दवा हुआ है इसी के लालच में केंद्र सरकार और राज्य सरकार मिलकर अदानी ग्रुप को कोयला निर्यात के लिए दे दिया गया है इसे बचाने के लिए वहां के आदिवासी और मूलवासी कई दिनों से धरने पर बैठे हुए हैं फिर भी वहां के पेड़ों को मशीन के द्वारा काटा जा रहा है और वहां पर जितने भी जानवर भालू हो हाथी बाग सियार उसजंगल से विस्थापित हो जा रहे हैं लेकिन सरकार के कानो तक तक नहीं सुनाई दे रही है