चेन्नई के देवी कम्पाउंड से अरुण और इनके साथ महावीर सिंह हैं वे साझा मंच के माध्यम से बताते हैं कि मज़दूरों के बीच आधार कार्ड देख कर सभी को 4 किलो चावल और आधा किलो दाल दिया गया।

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तमिलनाडु से हमारे श्रोता साझा मंच के माध्यम से कहते हैं कि लॉक डाउन होने के कारण खाना नहीं मिल पा रहा है। जिसे काफी दिक्क्त हो रही है।

तमिलनाडु से हमारे श्रोता कहते हैं कि लॉक डाउन होने के कारण काफी दिक्क्त हो रही है कम्पनी बंद हो गई है। जिस कारण खाने के लिए कोई साधन नहीं मिल रहा है।

तमिलनाडु से सहाबुद्दीन साझा मंच के माध्यम से कहते हैं कि काम बंद हो जाने के कारण घर में खाने के लिए कुछ भी नहीं है। अगर कोई मदद करे तो बहुत अच्छा होगा. I am Sabuddin. I came to Tamilnadu for work. At present no companies are working. It will be great if i can get any help. We are not getting any help. We dont have any job and due to that we have shortage of food.

तमिलनाडु से ममता साझा मंच के माध्यम से कहती हैं कि वे एक कम्पनी में काम करती हैं। अचानक से लॉक डाउन हो जाने के कारण इन्हे खाने पीने की भी दिक्क्त होने लगी है। पैसे होने के बावजूद दूकान जा कर कुछ खरीद नहीं पा रहीं हैं। जब भी घर से निकलती हैं तो पुलिस भगा देते हैं। जिस कारण किसी को खाना नहीं मिल पा रहा है। कृपया कोई मदद करें।

बिहार राज्य के बक्सर जिला से बंटी सिंह ने साझा मंच के माध्यम से बताया कि वे तमिलनाडु चेन्नई में कार्यरत हैं। जहाँ मजदूरों को उचित मजदूरी नहीं दी जाती है। जबकि सरकार द्वारा मजदूरों को उचित मजदूरी देने का प्रावधान है। चेन्नई में मजदूरों से ओवरटाइम भी करवाया जाता है। अतः तमिलनाडु चेन्नई में मजदूरों को कम वेतन क्यों दी जाती है..?

तमिलनाडु तिरुपुर से मीणा ने साझा मंच के माध्यम से बताया कि तिरुपुर में स्थित एक कम्पनी है जहाँ एक मजदुर का हाँथ काम करते मशीन में दब गया था। और जब मजदुर ने आवाज लगाई तो कुछ लोग आ कर उस मजदुर की मदद किये। कुछ देर बाद जब मजदुर ने घर जाने की इजाज़त सुपरवाईजर से मांगी तो सुपरवाईजर ने आधी वेतन काट लेने की बात कही। मजबूरन मजदुर को दर्द में ही पुरा समय तक काम करना पड़ा।

आपको तो पता ही है कि हमारी साझा मंच की टीम तिरुपूर पहुंची थी। इस दौरे में हमारी मुलाकात एक निजी कंपनी में काम करने वाली लक्ष्मी से हुई। जब लक्ष्मी को साझा मंच के काम के बारे में पता चला तो उन्होंने खुलकर अपनी समस्या हमसे कही। लक्ष्मी ने बताया कि उन्हें किसी कारण से अपनी कंपनी से इस्तीफा देना पड़ा था। पर बहुत समय गुजर जाने के बाद भी उन्हें अपने पीएफ की राशि नहीं मिली। पर लक्ष्मी ने साझा मंच की टीम से प्रेरित हो कर हिम्मत नहीं हारी और कुछ ऐसा किया, जिसके बाद कंपनी मालिकों को अपनी जिद छोड़कर पीएफ का पूरा पैसा लक्ष्मी को देना पड़ा। लक्ष्मी की कहानी कई और कर्मचारियों के लिए प्रेरणादायी हो सकती है। लक्ष्मी ने साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि पांच साल कम्पनी में काम करने के बाद स्वास्थ्य में समस्या होने के कारण इस्तीफा देना पड़ा। वे बताती हैं कि उन्हें पीएफ और कंपनी के नियमों की पूरी जानकारी नहीं थी।पैसे की जरुरत होने पर उन्होंने कंपनी से पीएफ की राशि निकाली लेकिन उन्हें पीएफ की सही राशि नहीं मिली। साझा मंच के माध्यम से उन्हें कपनी के काम ,नियम एवं पीएफ की पूरी विस्तृत जानकारी मिली। लक्ष्मी ने दोबारा उसी कंपनी में काम करना शुरू किया ,जिसके बाद उन्हें पीएफ की सही और पूरी राशि मिली। पीएफ की राशि मिलने से लक्ष्मी बहुत खुश है और साझा मंच मोबाइल वाणी को बहुत धन्यवाद दे रही हैं।

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