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दिल्ली एनसीआर के फरीदाबाद से हमारे बिनोद ने राजू जी के साथ बातचीत की। राजू जी ने बताया कि वे फरीदाबाद स्थित लोवाले कम्पनी में पांच माह से कार्यरत है। इस कम्पनी में मुख्य समस्या यह है कि जब कम्पनी के पास काम रहती है तो मजदूरों से कराते हैं और ठेकेदार के द्वारा वेतन के रूप में केवल 6600 रूपए दिए जाते हैं जिसमे पीएफ और ईएसआई भी शामिल रहता है। जबकि कम्पनी हर मजदुर के नाम पर 8500 रूपए वेतन देने की बात करती है लेकिन ठेकेदार केवल 6600 रूपए ही हाँथ में देती है जिससे पुरे परिवार वालों का पालन पोषण कारन मुश्किल हो जाता है।

फरीदाबाद से मथुरा प्रसाद मंडल जी साझा मंच के माध्यम से यह जानकारी चाहते हैं कि जो कंपनियां बंद हो चुकी है और कार्य करने वाले कर्मचारियों को पीएफ का पैसा नहीं मिल पाया है वे कमिटी से किस प्रकार सम्पर्क कर सकते हैं जो मजदुर भाइयों को पीएफ का पैसा दिलाते है।अतः हरियाणा में किस जगह वो कमिटी खोली गई है।उसका नाम बताएं।

दिल्ली एनसीआर के फरीदाबाद के पीएफ ऑफिस से हमारे संवाददाता रफ़ी ने सांझा मंच के माध्यम से मोहन चंद्र जी के साथ बातचीत की। मोहन चंद्र जी , जो कि उत्तराखंड के अलमोड़ा से है ,उन्होंने सांझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया हैं कि उन्हें ठेकेदार ने एक कंपनी में काम दिलवाया था। और उसने कहा था कि 9500 रुपये दिलवाएंगे पर उन्हें 9000 ही दिया गया। ठेकेदार ने कहा था की ईएसआई और पीएफ नंबर दूंगा पर उसने ईएसआई कार्ड दिया और पीएफ नंबर नहीं दिया। कंपनी द्वारा छः महीने में 1040 रुपये पीएफ कटा है और ईएसआई मिला कर 1240 रुपये जमा हुआ है। पर जब उन्होंने कंपनी से पीएफ नंबर माँगा तो नहीं दिया जा रहा है। इससे पहले जिस कंपनी में काम किया था वहां उन्हें पूरा पैसा मिला था पर यहाँ नहीं दिया गया। उन्हें यहाँ रोज दिन पीएफ के पैसे निकालने के लिए बहुत धक्के खाने पड़ रहे हैं।

दिल्ली एनसीआर के फरीदाबाद से हमारे संवाददाता रफ़ी ने सांझा मंच के माध्यम से श्याम सुन्दर जी के साथ बातचीत की। फिर जब जरुरत होती है तो फिर 2 ,3 महीनो के लिए भर्ती कर लेते है। साथ ही ये भी बताते है कि उनसे झूट भी बुलवाया जाता है। जब जाँच के लिए आता है, तो उनको पी,फ., एस. आई. मिलता है बोलवाया जाता है। श्याम सुन्दर जी बताते है कि नोट बंदी के बाद कम्पनीओ से मजदूरों को निकाला जाना बढ़ गया है और बढ़ता ही जा रहा है।

दिल्ली एनसीआर के फरीदाबाद से हमारे संवाददाता रफ़ी ने सांझा मंच के माध्यम से श्याम सुन्दर जी के साथ बातचीत की। जिसमे श्याम सुन्दर जी ने बताया कि वे फरीदाबाद में 4 वर्षो से रह रहे है। और सिलाई के काम करते है लेकिन श्याम सुन्दर जी बताते है की जिस कम्पनी में वे काम करते है, वहाँ 6 महीने काम में रखते है, और 6 महीने नहीं।साथ ही वह यह भी बताते है कि एक रॉयल लंदन कम्पनी में काम कर रहे थे। लेकिन उन्हें बड़ी बड़ी मशीन दी जाने लगी जिसमे हाथ कटने का खतरा बना रहता था । यह जान कर श्याम सुन्दर जी ने काम छोरे दिया। श्याम सुन्दर जी बताते है कि कंपनी में जब काम आता है तो 2 महीनो के लिए काम में रख लिया जाता है, फिर हटा दिया जाता है।और सरकार को जो रिकॉर्ड दिखाना है उनके लिए 100 लोग है जिनको पी एफ, एस आई दिया जाता है बाकि का कोई रिकॉर्ड नहीं दिखाते है।

दडकल मोड़ ओल्ड फरीदाबाद से गोपाल जी साझा मंच के माध्यम से बताते हैं कि वे एक कम्पनी में पिछले 6-7 साल से काम कर रहे हैं लेकिन उन्हें पी.फ का पूरा पैसा नई मिल पा रहा है।मांगने पर केवल 14 महीनो का सिर्फ 18000 रुपए ही मिल पाया है। जबकि उनके पास पूरा कागजात है फिर भी पूरा पीएफ का पैसा नहीं मिला है। इसके लिए और क्या उपाय करना चाहिए कृपया उचित सलाह दें।