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CRISIL के अनुसार 2022-23 में किसान को MSP देने में सरकार पर ₹21,000 करोड़ का अतिरिक्त भार आता, जो कुल बजट का मात्र 0.4% है। जिस देश में ₹14 लाख करोड़ के बैंक लोन माफ कर दिए गए हों, ₹1.8 लाख करोड़ कॉर्पोरेट टैक्स में छूट दी गई हो, वहां किसान पर थोड़ा सा खर्च भी इनकी आंखों को क्यों खटक रहा है? आप इस पर क्या सोचते है ? इस मसले को सुनने के लिए इस ऑडियो को क्लिक करें

मांगों को लेकर तीन दिन से अनिश्चित कालीन हड़ताल

किसान आंदोलन पर बरगी बांध विस्थापित एवं प्रभावित संघ से राजकुमार सिन्हा जी से विशेष बातचीत

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देश के किसान एक बार फिर नाराज़ दिखाई दे रहे हैं। इससे पहले साल नवंबर 2020 में किसानों ने केंद्र सरकार के द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों के रद्द करने के लिए दिल्ली में प्रदर्शन किया था और इसके बाद अगले साल 19 नवंबर 2021 को केंद्र सरकार ने तीनों कानून वापस ले लिए थे, हालांकि इस दौरान करीब सात सौ किसानों की मौत हो चुकी थी। उस समय सरकार ने किसानों की कुछ मांगों पर विचार करने और उन्हें जल्दी पूरा करने का आश्वासन दिया था लेकिन ऐसा अब तक नहीं हआ है। और यही वजह है कि किसान एक बार फिर नाराज़ हैं।

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किसान आंदोलन पंजाब के किसानों का नहीं पुरे देश के किसानों का है - सुश्री आराधना भार्गव किसान नेता

देश के अनेक हिस्सों में किसान अपनी मांगों को लेकर अब दिल्ली को सहित अन्य अपने-अपने प्रदेशों में धरना प्रदर्शन और दिल्ली कोच की और अग्रसर हो रहे हैं और देश की राजधानी दिल्ली में किस न पहुंचे इस हेतु सड़कों पर बैरिकेटिंग व कटीली तारों सहित अन्य बढ़ाएं सड़कों पर लगा दी गई है प्रशासन भी सड़क पर लगा हुआ है ताकि किसान दिल्ली ना पहुंचे किसान को रोकने उनकी मांगों को लेकर चल रही और चर्चा अभी तक बेनतीजा ही रहे हैं। आज हमारे साथ गांधी व लोहीयावादी विचारक डॉ अनुप सिंह सर के साथ मोबाइलवाणी पर वर्तमान में किसान आंदोलन और सडकों पर बैरिकेटीग सहीत लोकतंत्र में आन्दोलन कहा देखते हैं जानकारी मोबाइलवाणी पर साझा की।

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