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अब मेरी बारी अभियान के बारहवीं कड़ी में आप सुनेंगे की अगर बच्चों को उनके पढ़ने खेलने के उम्र में शादी के बंधन में बांध दिया जाए तो किस तरह उनका जीवन ख़राब हो सकता हैं।क़ानून के अनुसार लड़की की अठारह वर्ष और लड़के की इक्कीस वर्ष की उम्र से पहले शादी नहीं की जा सकती क्योंकि कम उम्र में लड़के-लकड़ियाँ मानसिक व शारारिक रूप से तैयार नहीं रहते हैं। कम उम्र में शादी के दुष्प्रभावों की पूरी जानकारी सुनने के लिए क्लिक करें ऑडियो पर... ....

अब मेरी बारी अभियान के बारहवीं कड़ी में जानेंगे बाल विवाह के बारे में... उन कारणों के बारे में जो माता पिता को विवश कर देती हैं अपने बच्चों की शादी कम उम्र में ही करवा देने पर...

टिपि-टिप दीदी बता रही हैं गर्भनिरोधक के बारें में...अगर दंपति स्वस्थ परिवार चाहते हैं तो उन्हें गर्भनिरोधक का इस्तेमाल करना चाहिए। स्वस्थ जीवन के प्रति टिपि-टिप दीदी की राय सुनने के लिए क्लिक करें ऑडियो पर...

अब मेरी बारी अभियान के ग्यारहवीं कड़ी में आप सुनेंगे युवाओं के जोश के बारे में जो किसी भी परिस्तिथि में अपने दम पर चुनौतियों का सामना करते हैं। ऑडियो पर क्लिक कर सुने उन गर्ल्स चैंपियन के विचार जिनमें उन्होंने खुल कर स्वास्थ्य व पोषण के विषयों पर बात की।

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प्लान इंडिया,चेतना विकास,नव भारत जाग्रति केंद्र,यूनिसेफ,scpcr और मोबाइल वाणी के साझा प्रयास से बाल विवाह मुक्त झारखण्ड अभियान पिछले कुछ दिनों से चल रहा था। जिसमे कई श्रोताओ ने अपनी भागीदारी निभाई। सभी श्रोताओ के विचारो को सुन कर दस लक्की विजेताओं के नाम घोषणा किया गया जिन्हे मिलेगा पचास रूपए का मुफ्त मोबाइल रिचार्ज।

प्लान इंडिया,चेतना विकास,नव भारत जाग्रति केंद्र,यूनिसेफ,scpcr और मोबाइल वाणी के साझा प्रयास से बाल विवाह मुक्त झारखण्ड अभियान की बारहवीं और अंतिम कड़ी में आइये हम सुनते हैं बाल विवाह से जुडी कहानी "बबली का सफर" दोस्तों पिछली कड़ी में हमसे सुना था कि कैसे बबली के माता -पिता ने बबली को स्कूल भेजना शुरू किया।दोस्तों बारहवीं कड़ी में हम सुनेंगे "17 वर्षीय पिंकी प्रमाणिक की सफलता की सच्ची कहानी" जिसमे पिंकी ने बताया, कि 2016 में दसवीं कक्षा पास करने के बाद इनके माता-पिता इन्हे आगे की पढ़ाई करने को मना कर दिए। और पिंकी की शादी कराने के लिए लड़का देखना शुरू कर दिए क्योंकि पढ़ाई कराने के लिए पिंकी के घरवालों के पास पैसा नहीं था। कुछ दिनों के बाद पिंकी अपने गांव की सेविका दीदी से मिली और अपनी आपबीती बताई। सेविका दीदी पिंकी को संभव टीम की ट्रैनिंग में आने को कहा और वंहा की दीदियों से मिलाया। सीडीपीओं दीदी के द्वारा पत्र लिखकर शिक्षा विभाग को सौंपा गया और पिंकी की पढ़ाई को पूरा कराने को कहा गया। आज पिंकी कस्तुरवा विधालय में नामांकन करा कर अपनी पढाई पूरी कर रही हैं। साथियों यदि आपके आस-पास भी पिंकी प्रमाणिक की तरह कोई घटना घटित हुई है, तो अपने विचारों के साथ-साथ अपना अनुभव मोबाइल वाणी के साथ जरूर साझा करें।

प्लान इंडिया,चेतना विकास,नव भारत जाग्रति केंद्र,यूनिसेफ,scpcr और मोबाइल वाणी के साझा प्रयास से बाल विवाह मुक्त झारखण्ड अभियान की ग्यारहवीं कड़ी में आइये हम सुनते हैं बाल विवाह से जुडी एक कहानी जिसका नाम है "बबली का सफर" इस कहानी की पिछली कड़ी में हमसे सुना था कि स्कूल जा कर सुनीता को युवा अनुकूल स्वास्थ्य सेवाओ की जानकारी मिलती है और उनसे ये जानकारी बातों-बातों में बबली को भी देती है। लेकिन क्या बबली इसका लाभ उठा पाएगी आइये आज की ग्यारहवीं कड़ी में हम सुनते हैं बबली सुनीता के साथ आंगनबाड़ी जाती है जंहा आंगनबाड़ी दीदी उसे पोषाहार और IFA की गोली के साथ साथ सबला योजना के बारे में विस्तार पूर्वक बताती हैं... जिसे सुन बबली बहुत खुश हो जाती है और स्कूल जा जाने के कारण के बारे में आंगनबाड़ी दीदी को बताती हैं... ये सुन आंगनबाड़ी दीदी बबली के साथ उसकी माँ से मिलने उसके घर जाती हैं... और उन्हें समझाती हैं कि बबली के स्कूल ना जा पाने से और आगे की पढाई पूरी ना कर पाने से बबली के मन का तनाव बढ़ता जा रहा है। यह सुन बबली की माँ चिंतित हो जाती हैं और आंगनबाड़ी दीदी से कहती है कि वे कोशिश करेंगी बबली के पिता जी से एक विषय पर बात करने की। बबली की माँ सरकार द्वारा मिलने वाली योजनाओ के बारे में बबली के पिता को बताती हैं। जिसे सुन बबली के पिता जी काफी खुश हो जाते हैं और बबली के साथ-साथ गांव की बेटियों को भी स्कूल जाने के लिए प्रेरित करने का निर्णय लेते हैं... तो साथियों मोबाइल वाणी के साथ आप भी साझा कीजिये कि आपके क्षेत्र में सरकारी योजनाओं की क्या स्थिति है....? क्या आपको उसके बारे में सारी जानकारी है....? और क्या आप योनजाओं के लाभ आसानी से उठा पा रहे हैं...? अपने विचार जरुरत साझा कीजिये नंबर-3 दबा कर।

प्लान इंडिया,चेतना विकास,नव भारत जाग्रति केंद्र,यूनिसेफ,scpcr और मोबाइल वाणी के साझा प्रयास से बाल विवाह मुक्त झारखण्ड अभियान की दशवीं कड़ी में आइये हम सुनते हैं बाल विवाह से जुडी एक कहानी जिसका नाम है "बबली का सफर" इस कहानी की पिछली कड़ी में हमसे सुना कि, किस तरह एक तरफ रोज़ाना स्कूल जाने से सुनीता पढ़ाई में अच्छे से समय देकर नए विषयों में जानकारी प्राप्त कर रही है, वहीँ दूसरी ओर बबली घर पर रह कर कामकाज के साथ-साथ अपनी किताबों में लिखे विषयों को समझने के लिए संघर्ष कर रही हैं। बबली का सफर कहानी के दशवीं कड़ी में हम सुनेंगे कि, अपने संघर्ष के चलते बबली सुनीता से मिलने जाती है और अपनी आपबीती साझा करते हुए कहती है की, वो आज कल काफी चिड़चिड़ा महसूस करने लगी है जिसे सुन सुनीता बबली को समझाते हुए कहती है इस उम्र में लड़कियों के शरीर में बहुत से बदलाव आते हैं।जिसके कारण कई बार हम चिड़चिड़े हो जातें हैं। ये सारी बातों को सुनकर बबली आश्चर्य में पड़ जाती है और सुनीता से यह जानने लगती है कि उसे ये सारी बातों के बारे में कहा से जाना। दोस्तों रोज स्कूल जा कर सुनीता ना सिर्फ पढ़ाई अच्छे से कर रही है, बल्कि उसे युवा अनुकूल स्वास्थ्य सेवा के बारे में भी जानकारी मिली। उधर बबली सारे समय घर पर माता-पिता के साथ रह कर अकेली और चिड़चिड़ा महसूस करने लगी है। तो साथियों आपको क्या लगता है अगर माता-पिता अपने किशोर संतानो को उनकी जगह दे और उन्हें समझे तो क्या बाल विवाह की दरों में कमी आएगी...? आपके अनुसार हमारे समाज में इस खुलेपन की कितनी आवश्यकता है...?

प्लान इंडिया,चेतना विकास,नव भारत जाग्रति केंद्र,यूनिसेफ,scpcr और मोबाइल वाणी के साझा प्रयास से बाल विवाह मुक्त झारखण्ड अभियान की नवीं कड़ी में आइये हम सुनते हैं बाल विवाह से जुडी एक कहानी जिसका नाम है "बबली का सफर" इस कहानी की आठवीं कड़ी में हमने सुना कि बबली की माँ उसका दाखिला ग्यारवीं में करवाने के लिए उसके पिता जी से बात करने को राज़ी हो गई... आइये आज की नवीं कड़ी में हम सुनते हैं कि बबली की माँ के समझाने पर बबली के पिता जी उसे पढ़ाने को तैयार हो जाते हैं लेकिन बबली को स्कूल जाने से मना कर देते है और घर पर तैयारी कर पढ़ाई करने को कहते हैं। सुनीता अपनी आगे की पढाई स्कूल में जा कर करती है।कई दिनों के बाद सुनीता बबली से मिलने उसके घर आती है और बबली को नए स्कूल के बारे में सब कुछ बताती है। सुनीता रोज स्कूल जा कर काफी समझदार हो गई है, साथ ही उसे कई सारी बातों की जानकारी भी हो गई है । लेकिन बबली के माता-पिता जी के एक फैसले से उसका नर्स बनने का सपना शायद अधूरा ही रह गया। तो साथियों आपके अनुसार क्या बबली के माता-पिता जी का बबली को घर पर पढ़ाने का फ़ैसला सही है...? क्या उनकी तरह आपको भी लगता है कि लड़कियों को ज्यादा पढ़ाने की जरुरत नहीं है...?