किसी भी समाज को बदलने का सबसे आसान तरीका है कि राजनीति को बदला जाए, मानव भारत जैसे देश में जहां आज भी महिलाओं को घर और परिवार संभालने की प्रमुख इकाई के तौर पर देखा जाता है, वहां यह सवाल कम से कम एक सदी आगे का है। हक और अधिकारों की लड़ाई समय, देश, काल और परिस्थितियों से इतर होती है? ऐसे में इस एक सवाल के सहारे इस पर वोट मांगना बड़ा और साहसिक लेकिन जरूरी सवाल है, क्योंकि देश की आबादी में आधा हिस्सा महिलाओं का है। इस मसले पर बहनबॉक्स की तान्याराणा ने कई महिलाओँ से बात की जिसमें से एक महिला ने तान्या को बताया कि कामकाजी माँओं के रूप में, उन्हें खाली जगह की भी ज़रूरत महसूस होती है पर अब उन्हें वह समय नहीं मिलता है. महिलाओं को उनके काम का हिस्सा देने और उन्हें उनकी पहचान देने के मसले पर आप क्या सोचते हैं? इस विषय पर राय रिकॉर्ड करें
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हाल ही में एक रिपोर्ट के अनुसार बीस तीन सालों में दुनिया के पांच बड़े व्यापारियों की संपत्ति में दोगुने से ज्यादा का इजाफा हुआ है, जिस समय इन अमीरों की दौलत में इजाफा हो रहा था, ठीक उसी समय पांच मिलियन लोग गरीब से और ज्यादा गरीब हो रहे थे। इससे ज्यादा मजे की बात यह है कि हाल ही में दावोस में हुई वर्ल्ड इकोनोमिक फोरम की बैठक में शीर्ष पांच उद्योगपतियों ने एक नई रणनीति पर चर्चा और गठबंधन किया।
गुरुवार को स्थानीय बीआरसी में एक विशेष बैठक आयोजित की गयी। बैठक में प्रखंड क्षेत्र के सभी प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों ने हिस्सा लिया। बैठक की अध्यक्षता प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी डा मधुकर प्रसाद सिंह ने की और संचालन लेखा सहायक योगेश कुमार ने किया। बैठक में बीइओ ने निर्देश दिया कि नवनियुक्त शिक्षकों के वेतन भुगतान के लिए सरकार गंभीर है और इसके लिए शिक्षकों के प्रान नंबर बनाये जाने का निर्देश प्राप्त हुआ है। उन्होंने संबंधित प्रधानाध्यापकों को प्रान नंबर सृजित किये जाने के तरीके का विस्तार से प्रशिक्षण दिया।लेखा सहायक योगेश कुमार ने हाउस होल्ड सर्वे , दक्ष मिशन का प्रशिक्षण दिया। उन्होंने कहा कि अतिशीघ्र ई शिक्षाकोश में अपेक्षित सूचनाएं दर्ज कराई जायें, अन्यथा विभाग की ओर से प्रतिकूल कार्रवाई की जा सकती है। प्रखंड के विभिन्न विद्यालयों में नवनियुक्त शिक्षकों के योगदान की भी समीक्षा की गयी।इस बैठक में बीआरपी ( समावेशी शिक्षा) पवन कुमार सिन्हा, अशोक कुमार राय, सच्चिदानंद सिंह, हरिकिशोर प्रसाद यादव,बीआरपी( मध्याह्न भोजन ) समीर कुमार दीपक,डाटा इंट्री ऑपरेटर अखिलेश कुमार सिंह, वसंत कुमार, अविनाश कुमार आदि समेत सभी विद्यालयों के प्रधानाध्यापक उपस्थित रहे।
सैदपुर पंचायत के निवासी शिवजी पासवान के द्वारा राजमिस्त्री है उन्होंने कहा कि 8 घंटा से अधिक काम करने पर शरीर और स्वस्थ भी हो सकता है और सरकारी नियम के हिसाब से 8 घंटा ही काम करना चाहिए। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।
सैदपुर पंचायत के आम मजदूर जो नवीन कुमार रजक के द्वारा 8 घंटे की ड्यूटी किया जाता है उन्होंने कहा कि 8 घंटा से ज्यादा ड्यूटी करने पर दूसरे मजदूर को कम नहीं मिलेगा और साथ ही ओवर टाइम करने से पैसा तो उन्हें दुगुना मिल सकता है लेकिन उनके स्वास्थ्य नहीं मिल सकता है वह बहुत कम उम्र में ही उनका मृत्यु हो सकता है इसलिए जो सरकार का नियम है उसी हिसाब से कम होना चाहिए और दूसरे को भी मौका देना चाहिए
देश हित में आज बहुत तरह की बात हो रही है।सबसे पहले देश के कल्याण के लिए गरीबी दर कम करने पर सबसे अधिक ध्यान देने की जरूरत है।साथ ही काम के साथ उसका वाजिब मेहताना की पहल सरकार को करना चाहिए।लोग मजबूत होंगे देश मजबूत होगा।
मोबाइल वाणी संवाददाता दीपक कुमार से बात करते हुए समस्तीपुर सीटू के जिला सचिव मनोज जी बताते हैं कि काम के घंटे बढ़ाने से पूंजी पत्ति धारियों का विकास हीं संभव है। और क्या कहा सुनने के लिए लिंक को अभी क्लिक करें।
दोस्तों, दुनिया भर में काम के घंटे घटाए जाने की मांग बढ़ जा रही है, दूसरी तरफ भारत काम के घंटों को बढ़ाए जाने की सलाह दी जा रही है। भारत में ज्यादातर संस्थान छ दिन काम के आधार पर चलते हैं, जिनमें औसतन 8-9 घंटे काम होता है, उस हिसाब से यहां औसतन पैंतालिस घंटे काम किया जाता है। जबकि दुनिया की बाकी देशों में काम के घंटे कम हैं, युरोपीय देशों में फ्रांस में औसतन 35 घंटे काम किया जाता है, ऑस्ट्रेलिया में 38 घंटे औसतन साढ़े सात घंटे काम किया जाता है, अमेरिका में 40 घंटे, ब्रिटेन में 48 घंटे और सबसे कम नीदरलैंड में 29 घंटे काम किया जाता है। दोस्तों, बढ़े हुए काम घंटों की सलाह देना आखिर किस सोच को बताता है, जबकि कर्मचारियों के काम से बढ़े कंपनी के मुनाफे में उसका हक न के बराबर या फिर बिल्कुल नहीं है? ऐसे में हर बात पर देशहित को लाना और उसके नाम पर ज्यादा काम की सलाह देना कितना वाजिब है? इस मसले पर अपना राय को मोबाईल वाणी पर रिकॉर्ड करें और बताएं कि आप इस मसले पर क्या सोचते हैं, आप भले ही मुद्दे के पक्ष में हों या विपक्ष में, इसे रिकॉर्ड करने के लिए दबाएं अपने फोन से तीन नंबर का बटन
विद्यापतिनगर । बिहार राज्य आशा एवं आशा फैसिलिटेटर संघ एवं बिहार चिकित्सा एवं जन स्वास्थ्य कर्मचारी संघ व सीटू के संयुक्त तत्वावधान में प्रखंड क्षेत्र में कार्यरत आशा कार्यकर्ताओं ने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर बुधवार को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र विद्यापतिनगर के मुख्य द्वार पर अनिश्चितकालीन धरना शुरू किया। धरना को सफल बनाने के लिए सुबह से ही सैकड़ों की संख्या में आशा कार्यकर्ता पीएचसी के द्वार पर पहुंचने लगे थे, इस दौरान आशा कार्यकर्ताओं ने अपनी मांगों के समर्थन में तथा सरकार विरोधी नारे भी लगाए। सभा को संबोधित करते हुए जिला मंत्री सुनीता प्रसाद ने कहा कि जब तक सरकार हमारी मांगों को नहीं मानती है तब तक आशा कार्यकर्ताओं का आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने अपनी 9 सूत्री मांगों दुहराते हुए कहा कि सरकार हमसे काम करवाती है लेकिन बदले में उचित मानदेय नहीं देती हैं जो आशा कार्यकर्ताओं का अपमान है। उन्होंने कहा कि हमारी मुख्य मांगों में 10 हजार रूपए प्रतिमाह मानदेय दिया जाए, आशा को सरकारी सेवक घोषित किया जाए, आशा फैसिलिटेटर को 20 दिन की बजाय 30 दिन काम दिया जाए, यात्रा भत्ता को 300 से बढ़ाकर 500 किया जाए, कोरोना के समय किए गए कार्य के बदले ₹1000 प्रति माह की दर से बकाया का भुगतान किया जाए। उन्होंने कहा कि सरकार कई बार मानदेय बढ़ाने का वादा कर चुकी है, परंतु हर बार आशा कार्यकर्ताओं को ठगा जाता है। इस अवसर पर बड़ी संख्या में आशा कार्यकर्ता एवं फैसिलिटेटर मौजूद थे।