ज़िन्दगी के कुछ पलों में लड़को को भी रोने का मन करता है और ऐसे समय में रो लेना कितना ज़रूरी है। पर क्या हमारा समाज इतनी आसानी से लड़कों को रोने की आज़ादी दे दे सकता है ? क्या केबल रोने या न रोने से ही साबित होता है की वो इंसान कितने मज़बूत किरदार का मालिक है ? और क्या इसी एक वाक्य से हम बचपन में ही लिंग भेद का बीज बच्चो के अंदर ने दाल दे रहे है जो पड़े होते होते न जाने कितने और लोगो को अपनी चपेट में ले चूका होता है ! आप के हिसाब से अगर लड़के भी दिलका बोझ हल्का करने के लिए रोयें और दूसरों से नरम बर्ताव करे तो समाज में क्या क्या बदल सकता है ? इस सभी पहलुओं पर अपनी राय प्रतिक्रिया और सुझाव जरूर रिकॉर्ड करें अपने फ़ोन में नंबर 3 दबाकर। और हां साथियों अगर आपके मन में आज के विषय से जुड़ा कोई सवाल हो तो वो भी जरूर रिकॉर्ड करें। हम आपके सवाल का जवाब तलाश कर आप तक पहुंचाने की पूरी कोशिश करेंगे।

विष्णुगढ़ प्रखंड मुख्यालय सभागार में समाधान संस्था के द्वारा बाल विवाह रोकथाम हेतु अभिभावकों के साथ विचार विमर्श किया गया इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से रश्मि लता राहुल शीतल नीतू कुमारी महादेव देहाती समेत कई लोग मौजूद थे।

आपलोग हमें बताएं कि केवल परीक्षा में लाये हुए अच्छे नंबर ही एक अच्छा और सच्चा इंसान बनने का माप दंड कैसे हो सकता है? अक्सर देखा जाता है कि माता पिता अपने बच्चों के तुलना दूसरे बच्चों से करते है. क्या यह तुलना सही मायने में बच्चे को बेहतर प्रदर्शन के लिए प्रोत्साहित करती है या उनके मन में नकारात्मक सोच का बीज बो देती है ? आपको क्या लगता है? इस पर आप अपनी राय, प्रतिक्रिया जरूर रिकॉर्ड करें। और हां साथियों अगर आज के विषय से जुड़ा आपके मन में किसी तरह का सवाल है तो अपने सवाल रिकॉर्ड करें अपने फ़ोन नंबर 3 दबाकर। हम आपके सवालों का जवाब ढूंढ कर लाने की पूरी कोशिश करेंगे।

आप हमें बताएं कि आखिर ऐसा क्यों होता है कि आज के समय में अक्सर लोग दूसरों को निचा दिखाने की कोशिश करते हैं बिना इसकी परवाह किये की उनके मानसिक स्वास्थ्य पर इस बात का क्या असर पड़ेगा ? आपके अनुसार इस तरह के भेदभाव को हमारे सोच और समाज से कैसे मिटाया जा सकता है ? दोस्तों इस से जुड़ी आपके मन में अगर कोई सवाल है तो जरूर रिकॉर्ड करे . हम आपके सवाल का जवाब तलाशने की कोशिश करेंगे।

विष्णुगढ़ हॉस्पिटल चौक परिसर के विवेकानंद सेवाश्रम विद्यालय परिसर में गौरी मेमोरियल स्टोन क्लीनिक हजारीबाग के सौजन्य से निशुल्क स्वास्थ्य जांच शिविर का आयोजन किया गया। जिसमें हजारीबाग के सुप्रसिद्ध डॉक्टर ओमप्रकाश एवं रवि प्रकाश के सहयोग से 360 मरीजों का स्वास्थ्य जांच किया गया। इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से विद्यालय के प्रधानाचार्य यशवंत मिश्रा, विवेक कुमार मिश्रा, थानेश्वर महतो, चेतलाल महतो, जोधा महतो, महानंद प्रसाद, छोटू कुमार, नवल किशोर वर्मा, दीपू अकेला, राजू श्रीवास्तव, राजेंद्र प्रसाद, मनोज सिंह समेत अन्य लोग मौजूद रहे।

साथियों, ऐसा देखने को मिलता है कि आज के पढ़े लिखे और सभ्य समाज में भी शारीरिक और मानसिक रूप से असामान्य लोगों को अलग दृष्टि से देखा जाता है आखिर इस तरह के लोगों के व्यवहार के पीछे क्या कारण हैं ? आपको को क्या लगता है ऐसा क्यों होता है कि समाज में एक सामान्य व्यक्ति अपने से अलग लोगों को स्वीकार नहीं कर पाता ? आपके अनुसार समाज में फैले इस तरह की भेदभाव की भावना को कैसे दूर किया जा सकता है ? दोस्तों, आपके मन में आज के विषय से जुड़ा कोई भी सवाल है तो जरूर रिकॉर्ड करें अपने फ़ोन में नंबर 3 दबाकर। हम आपके सवाल का जवाब ढूंढ कर आप तक पहुंचाने की पूरी कोशिश करेंगे।

आप हमें बताए कि आपको क्या लगता है, क्या स्वस्थ रहने का मतलब सिर्फ अपना वजन घटाना है? या फिर इसमें और भी कुछ चीजें होती है? आप के अनुसार मानसिक स्वास्थ्य हमारे शारीरिक स्वास्थ्य को किस प्रकार से प्रभावित करता है और क्या आप ने ऐसा होते हुए कभी देखा है ? अगर हाँ तो अपनी कहानी हमें बताएं।आपके अनुसार हमारे वे कौन कौन सी आदतें होती हैं जो हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं ? दोस्तों, अगर आज के विषय से जुड़े आपके मन में कोई सवाल है तो हमें जरूर बताएं अपने फ़ोन में नंबर 3 दबाकर। हम कोशिश करेंगे उनका जवाब ढूंढ के लाने की।

विष्णुगढ़ पंचायत के राज्यकृत कन्या मध्य विद्यालय परिसर में एक बहुत ही दुखद घटना हुई है जिससे मिड डे मील का पकाया हुआ भोजन का पानी रखे टब में बच्चे गिरने से घायल हो गया पहले प्रबंधन के समिति अध्यक्ष एवं विद्यालय के शिक्षक सरस्वती कुमारी ने अपने स्कूटी से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाया गया समाचार लिखे जाने तक परिजन चिंतित हो गए हैं। स्थानीय जनप्रतिनिधियों में जांच कर दोषियों पर कार्रवाई करने की बात कही।

दोस्तों सेल्फ लव के बारे में यह कहा जाता है कि दूसरों से पहले खुद से प्यार करना सीखो क्यूंकि जब एक इंसान खुद से प्यार करता है,खुश रहता है तो वो अपने आस पास के लोगों को भी खुश सकता है। पर क्या वास्तव में ऐसा होता है ?आपके नाज़रीय में सेल्फ लव का क्या मतलब है यानी की आप सेल्फ लव को कैसे देखते हैं और यह खुदगर्ज़ी से कैसे अलग है? अगर मानसिक स्वास्थ्य के दृष्टि से देखा जाए तो सेल्फ लव यानि कि खुद से प्यार करना और सेल्फ फॉर गिवनेस यानि की खुद को माफ़ करना हमारे मानसिक स्वास्थ्य से कैसे जुड़ा है ?आखिर ऐसा क्यों कहा जाता है कि लोग खुद से पहले दूसरों के बारे में सोचते हैं ? क्या सच में ऐसा होता है ? इस पर राय, प्रतिक्रिया या फिर इससे जुड़ा आपके मन में कोई सवाल है तो जरूर रिकॉर्ड अपने फ़ोन में दबाएं नंबर 3 .

आप हमें बताये कि क्या आपके साथ कभी ऐसा हुआ है कि आप जल्दबाज़ी में कोई फैसला लेने ही वाले थे पर ऐन वक्त पर किसी ने आप को रोक लिया हो और बाद में आप को समझ आया हो की आप का लिया गया फैसला गलत होता ? ऐसे स्थिति में कैसा अनुभव था आप का ? और आप के अनुसार हमारे ज़िन्दगी के फैसलों में करीबी लोगो की क्या भूमिका होती है ? क्या सच में ज़िन्दगी के बड़े फैसले हमें खुद ही लेने होते है ? या यह केवल एक सुनी सुनाई बातें है ?इस पर अपनी राय, प्रतिक्रिया या फिर इससे जुड़े आपके मन में कोई सवाल है तो वो भी हमें जरूर बताएं अपने फ़ोन में नंबर 3 दबाकर।