झारखण्ड राज्य के हज़ारीबाग जिला से राजकुमार मेहता ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि विेधवाओं को अक्सर लांछित जीवन जीने और सामाजिक रूप से बहिष्कृत किए जाने का डर होता है। दृष्टि आई एस की एक रिपोर्ट बताती है कि विधवाओं को गरिमा पूूर्ण जीवन जीनेऐ रोका जाता है। और ससुराल वाले क्रूर व्यवहार करते हैं। जमीन के मालिकाना हट के अभाव में विधवाएं पूरी तरह आर्थिक रूप से कमजोर हो जाती है।एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार जमीन ना होने पर उन्हें कम मजदूरी वाले काम करने पड़ते हैं। ऐसे में बच्चों की शिक्षा एवं देखभाल मुश्किल हो जाती है
झारखण्ड राज्य के हज़ारीबाग जिला से राजकुमार मेहता ने मोबाइल वाणी के माध्यम से महिला भूमि अधिकार पर अपनी राय साझा किया।राजकुमार मेहता ने बताया कि भारतीय समाज में लोगों की धारणा है कि जमीन और संपत्ति पर पुरुषों का अधिकार है और महिलाएं पुरुषों पर निर्भर हैं।पति की मृत्यु के बाद परिवार के पुरुष सदस्य जैसे में देवर ससुर विधवा को संपत्ति सेसी बेदखल करने की कोशिश करते हैं। आईडीआर की एक रिपोर्ट के अनुसार विधवाओं की भूमि अधिकारों को लेकर हमेशा सवाल उठाया जाता रहा है और उन्हें हिंसा का सामना करना पड़ता है।हालांकि हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम जैसे कानून महिलाओं को संपत्ति में अधिकार देते हैं।लेकिन जमीनी स्तर पर इनका ठीक से पालन नहीं होता है। कानूनी ढांचे और महिलाओं के अधिकारों के वास्तविक प्रयोग के बीच एक बड़ा अंतर है
झारखण्ड राज्य के हज़ारीबाग जिला से राजकुमार मेहता ने महिला भूमि अधिकार पर अपनी राय साझा किया।राजकुमार मेहता ने बताया कि भारत में विधवा महिलाओं के साथ भूमि विवाद बढ़ते जा रहे हैं।इसकी वजह पितृ सतात्मक सामाजिक और मान्यताएं पैतृक समपत्ति में हिस्सेदारी के कानूनी अधिकार और व्यवहारिक कियान्वयन के बीच का अंतर है। इसमें सामाजिक,संंस्कृतिक पूर्वाग्रह महिलाओं को अपनी जमीन से वंचित करते हैं। जिससे उन्हें आर्थिक असुरक्षा और उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है।खासकर जब पति की मृत्यु के बाद कानूनी प्रक्रियाएं जटिल होती है और भूमि के मालिकाना हक को चुनौती दी जाती है।
झारखण्ड राज्य के हज़ारीबाग जिला से राजकुमार मेहता ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 2005 के तहत बेटियों और महिलाओं को बेटो के बराबर संपत्ति में अधिकार मिलते हैं। अगर माँ का देहांत बिना वसियत के होती है तो बेटी माँ के पैतृक और स्वयं द्वारा अर्जित सम्पत्ति में हिस्सेदार होती है।
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विष्णुगढ़ प्रखंड के वीपी मेमोरियल परिसर में नो चयनित भाजपा मंडल अध्यक्ष पश्चिम रवि कुमार पांडे को भाजपा कार्यकर्ताओं के सक्रिय साथियों ने अंग वस्त्र देकर सम्मानित किया।
झारखण्ड राज्य से राज कुमार मेहता मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते हैं कि अगस्त दो हजार बीस में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया की बेटियों का पैतृक संपत्ति में अधिकार पूर्वव्यापी है।यह दो हजार पांच के संशोधन के पहले भी लागू होगा और पिता के जीवित होने या न होने से फर्क नहीं पड़ेगा। कोर्ट ने कहा की जहाँ कानून में स्पषता नहीं है वहाँ न्याय समता और सदिवेक के विधानसों का पालन किया जाना चाहिए ताकि महिलाओं को उनके अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सके ।
झारखण्ड राज्य के हज़ारीबाग़ जिला से राज कुमार मेहता मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते हैं कि समानता का अधिकार में बताया गया की कोर्ट ने माना की बेटियों को सम्पत्ति से वंचित करना समानता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है और यह लैंगिक भेदभाव को बढ़ावा देता है ,जिससे महिलाओं को समस्या उत्पन होती है। दो हजार पांच का संशोधन- इसमें बताया गया की इस संशोधन ने बेटियों को सहदायिक का दर्जा दिया लेकिन कुछ अस्पस्टताओं के कारण सुप्रीम कोर्ट को बार बार स्पष्टीकरण देना पड़ा जिससे यह सुनिश्चित हो सके की बेटियों को भी बेटों के समान अधिकार मिले।
झारखण्ड राज्य के हज़ारीबाग़ जिला से राज कुमार मेहता मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते हैं कि हजारीबाग सुप्रीम कोर्ट ने बेटियों को सम्पत्ति में बराबर का हक दिलाने के लिए लैंगिक समानता का उपयोग किया ,भेदभाव का उन्मूलन और संविधान के तहत न्याय के सिद्धांतों का सहारा लिया ताकि महिलाओं को समाज और परिवार में पुरुषों के बराबर कानूनी दर्जा मिल सके क्योंकि अभी कई महिलाओं को भेद भाव के कारण समस्या उत्पन्न हो रहा है। कई महिलाओं को जो अधिकार मिलना चाहिए उस अधिकारों से वंचित कर दिया जाता है।
