अधिकांश व्यक्तिगत पट्टे पुरुषों के नाम पर होते हैं. सामुदायिक अधिकारों में भी महिलाओं को भी कम प्रतिनिधित्व दिया जाता है. इसके चलते महिलाएं केवल खेत मजदूर बनकर रह जाती हैं. महिलाओं को इसका नुकसान यह होता है कि बैंक, बीमा तथा दूसरी सरकारी सहायता का लाभ नहीं उठा पाती है, जो उनके लिए चलाई जा रही हैं.

झारखण्ड राज्य के हज़ारीबाग़ जिला से राज कुमार मेहता मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते हैं कि महिलाओं को विभिन्न अधिकार दिए गए हैं। पहला संवैधानिक व कानूनी अधिकार -संवैधानिक व कानूनी अधिकार के तहत समानता का अधिकार अनुच्छेद चौदह से सोलह सभी नागरिकों को समानता देता है और अनुच्छेद उनचालस ए में आजीविका और उनचालस डी में समान काम के लिए समान वेतन सुनिश्चित करता है। दूसरा संरक्षण अधिनियम - इसमें घरेलू हिंसा जो की डी डब्लू डी बी ए दो हजार पाँच और यौन उत्पीड़न ऐसी बचाव के लिए कानून जैसे चार सौ अंठानवे ए आई पी सी बनाए गए हैं।तीसरा-महिलाओं को प्रजनन अधिकार भी दिए गए हैं

आपदा राहत के दौरान भी महिलाओं की स्थिति चुनौतीपूर्ण रहती है। राहत शिविरों में कई बार अकेली महिलाओं, विधवाओं या महिला-प्रधान परिवारों की जरूरतें प्राथमिकता में नहीं आतीं। तब तक आप हमें बताइए कि , *--- जब किसी महिला के नाम पर घर या खेत होता है, तो परिवार या समाज में उसे देखने का नज़रिया किस तरह से बदलता है? *--- आपके हिसाब से एक गरीब परिवार, जिसके पास ज़मीन तो है पर कागज नहीं, उसे अपनी सुरक्षा के लिए सबसे पहले क्या कदम उठाना चाहिए?"? *--- "सिर्फ 'रहने के लिए छत होना' और उस छत का 'कानूनी मालिक होना'—इन दोनों स्थितियों में आप एक महिला की सुरक्षा और आत्मविश्वास में क्या अंतर देखते हैं?"

झारखण्ड राज्य के हज़ारीबाग जिला से गीता सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम बताया कि महिलाओं पर होने वाले अत्याचार के पीछे जमीन एक महत्वपूर्ण कारण है।महिलाओं के नाम जमीन होगा तो वो सशक्त होगी और उनका आत्मबल बढ़ेगा। महिलाओं के नाम से मायके और ससुराल में घर नही होता है। दोनों जगह उन्हें कोई भी और कभी भी भगा सकते हैं।महिलाएं प्रताड़ित होती हैं। घरेलू हिंसा का शिकार होती हैं

साल 2024 में राष्ट्रीय महिला आयोग को 25743 शिकायतें मिलीं जिसमें से 6,237 (लगभग 24%) घरेलू हिंसा से जुड़ी थीं. इसी रिपोर्ट के अनुसार 54% शिकायतें उत्तर प्रदेश से आईं, जो घरेलू हिंसा से जुड़ी शिकायतों में उत्तर प्रदेश की प्रमुखता को दिखाता है. उत्तर प्रदेश से 6,470 शिकायतें आई थीं, तमिलनाडु से 301 और बिहार से 584 शिकायतें दर्ज की गई थीं.

झारखण्ड राज्य के हज़ारीबाग जिला से राजकुमार मेहता ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि घरेलू हिंसा और कार्यस्थल पर उत्पीड़न से सुरक्षा। हिंसा से महिला संक्षण अधिनियम। दूसरा है- यौन अपराधों और तस्करी के खिलाफ कानूनी संरक्षण। तीसरा है- लौंगिक भेदभाव के बिना जीवन जीने का अधिकार।

झारखण्ड राज्य के हज़ारीबाग़ जिला से राज कुमार मेहता मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते हैं कि महिलाओं को सशक्त बनाना जरूरी है। बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ पहलों के कारण साक्षरता दर बढ़ रही है। महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए कई कार्यक्रम और योजनाएं चलाई जा रही है

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आपके अनुसार महिलाओं को एक मंनोरंजन या लेनदेन के सामान जैसा देखने की मानसिकता के पीछे का कारण क्या है ? आपके अनुसार महिलाओं को एक सुरक्षित समाज देने के लिए क्या किया जा सकता है ? और किसी तरह के बदसलूकी के स्थिति में हमें उनका साथ किस तरह से देना चाहिए ?