बिहार राज्य के जमुई जिले के एक श्रोता ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बिहार के प्रमुख दक्षिणी स्थलों की जानकारी दी है। जमुई में पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व के कई स्थान हैं जो इसे एक पर्यटन स्थल बनाते हैं।

सिविल लाइंस, जो बनाया तो अंग्रेजों के लिए गया था लेकिन वह तो रहे नहीं सो अब हमारे काम आ रहा है। बेहद खूबसूरत, जगमगाती इमारतें, चौड़ी सड़कें, फर्राटा भरती गांडियां और सबकुछ इतना करीने से की घूमने के लिए अद्भुत जगह, मेरा खुद से देखा हुआ अब तक का सबसे शानदार दिलकश, बगल में कॉफी की महक उड़ाता इंडियन कॉफी हाउस। और ज्यादा जानने के लिए इस ऑडियो को क्लिक करें।

किसी भी शहर की वैसे तो कई पहचानें हो सकती हैं, आप की पहचान क्या है यह आपको खुद ढूंढना पड़ेगा, हां यह शहर आपकी मदद कर देगा बिना यह जाने के आप कौन है, कहां से आए हैं, और किसलिए आए हैं। यह इलाहाबाद में ही संभव है कि यह राजनीति की पाठशाला भी बनता है, तो धर्म का संगम भी इसी के हिस्से है, धर्म और अधर्म के बीच झूलती राजनीति को सहारा और रास्ता दिखाने वाली तालीम और साहित्य भी इसी शहर की पहचान हैं। इस सब के बावजूद कोई अगर प्रेम न कर पाए तो फिर उसके मानव होने पर भी संदेह होने लगता है।

इंदौर मप्र के मालवा में बसा हुआ है और मालवा माटी को लेकर कहावत है कि मालव माटी गहन गंभीर, पग पग रोटी डग डग नीर... सैकड़ों बरस पहले कही गई यह बात आज भी उतनी ही सच्ची लगती है। इंदौर की सूरत और सीरत आज भी इस कहावत पर कायम है। आप पूछेंगे कैसे तो वो ऐसे कि यहां आने वाला कोई आदमी शायद ही कभी भूखे लौटता होगा।

नर्मदा के किनारों पर अलग-अलग राजवंशों की न जाने कितनी कहानियां लिखी हुई हैं। हालांकि राजवंशों से ज्यादा सभ्यता की कहानियां ज्यादा मुक्कमल दिखाई देती हैं। नर्मदा और उसकी महत्ता को बेहतर समझना हो तो हर साल होने वाली नर्मदा परिक्रमा को देख आना चाहिए। कहने को तो यह परिक्रमा धार्मिक है लेकिन उससे ज्यादा यह सामाजिक है, और प्रकृति के साथ मानव के सहअस्तिव का ज्ञान कराती है।

अगर कोई चतरा आये और झारखण्ड के प्रसिद्ध तीर्थ स्थल इटखोरी के बारे में बात न करें , ऐसा तो हो ही नहीं सकता। तो हम भी यहाँ के दर्शन और इतिहास को खँगालने यहाँ आ पहुँचे। गौरवपूर्ण अतीत को संभाल कर रखने वाले इटखोरी के भद्रकाली में तीन धर्मों का समागम है। हिंदू, बौद्ध एवं जैन धर्म के लिए यह पावन भूमि है। ज्यादा जानने के लिए इस ऑडियो को सुने ...

चतरा को झारखण्ड या छोटा नागपुर का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है। 1857 के विद्रोह के दौरान छोटानागपुर में विद्रोहियों और ब्रिटिशों के बीच लड़ा जाने वाली सबसे महत्वपूर्ण लड़ाई ‘चतरा की लड़ाई’ थी। चतरा झारखंड राज्य की राजधानी से रांची जिले से करीब 124 किलोमीटर दूर है। चतरा में आप सड़क माध्यम के द्वारा पहुंच सकते है। और क्या क्या घूमने लायक है चतरा ज़िले में , ये जानने के लिए इस ऑडियो को क्लिक करें।

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जिले के नालंदा में अवस्थित महाबोधि बी एड कॉलेज के द्वारा शनिवार को शैक्षणिक परिभ्रमण के तहत शिक्षा के विश्व धरोहर के रूप में विख्यात प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के भग्नावशेष एवम संग्रहालय से सभी प्रशिक्षुओं को रु बरु कराया गया ! परिभ्रमण के दौरान कॉलेज के प्रो रवि आंनद ने उपस्थित प्रशिक्षुओं को बताया कि संग्रहालय प्राचीन वस्तुओं की संग्रह है जो हमे प्राचीन काल के उपयोग होने वाली वस्तुओं एवम इसके विकास को दर्शाता है ! छात्र जीवन मे संग्रहालय घूमने की एक अपनी विशेषता है ताकि ज्ञान को बढ़ाया जा सके ! मौके पर प्रो अंजनी कुमार सुमन ,प्रो मनोज सिंह राजपूत ,प्रशिक्षु सुप्रिया कुमारी,पिंकी सविता सहित दर्जनों प्रशिक्षु उपस्थित थे। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर। 

पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश संजय करोल रविवार की दोपहर भगवान महावीर पावन जन्मभूमि क्षत्रियकुंड लछुआड़ पहुंचे।इस दौरान लछुआड़ धर्मशाला में जिला पुलिस बल द्वारा सबसे पहले सम्मान में उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। कुछ देर धर्मशाला में रुकने के बाद मुख्य न्यायाधीश ने भगवान महावीर की जन्मकल्याणक मंदिर के पूजन दर्शन को लेकर जन्मस्थान निकल पड़े।जहां उन्होंने अष्ट प्रकारी पूजा विधि के तहत भगवान महावीर की पूजा अर्चना की तथा मंदिर के चारों ओर घूम घूमकर भगवान महावीर के प्राचीन इतिहास का अवलोकन किया।इससे पूर्व भगवान महावीर के जन्मकल्याणक मंदिर जाने के क्रम में कुण्डघाट की तलहटी में विराजमान भगवान महावीर की च्यवन व दीक्षा कल्याणक मंदिर जाकर दर्शन पूजन किया।जैन धर्मशाला में तीर्थ यात्रियों की अच्छी सुबिधाओ को देखते हुए धर्मशाला प्रबंधन को काफी सराहा।हालांकि इस दौरान पहाड़ों की गोद में बसे भगवान महावीर के मंदिर के साथ रमणिक स्थल को देख वह भाव विभोर हो उठे।इस अवसर पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि इसे पर्यटन स्थल के रूप में और विकसित करने जरूरत है।जिससे क्षत्रियकुण्ड लछुआड़ को लोग विश्व के मानचित्र पर देख सकें।कहा कि पर्यटन के रूप में विकसित होने पर इलाके के लोगो को रोजगार का सृजन भी प्राप्त होगा।इस दौरान धर्मशाला के प्रबंधक उज्ज्वल रत्ना द्वारा मुख्य न्यायाधीश को माथे पर तिलक लगाकर महावीर की मोमेंटो व अंगवस्त्र भेंटकर उन्हें सम्मानित किया गया।बता दें कि मुख्य न्यायाधीश संजय करोल लखीसराय में जुवेनाइल जस्टिस एक्ट 2015 एवं पॉक्सो एक्ट 2012 पर संवेदीकरण सह जागरूकता कार्यक्रम में शामिल होने के साथ चाइल्ड फ्रेंडली कोर्ट के नवनिर्मित भवन का उदघाटन करने आये हुए थे।इस अवसर पर पटना उच्च न्यायालय के न्यायाधीश राजीव रंजन कुमार,जिलाधिकारी जमुई अवनीश कुमार सिंह के अलावा कई अन्य उपस्थित थे।विस्तृत जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें।