दुनिया भर में हर साल 15 मार्च को उपभोक्ता के हक की आवाज़ उठाने और ग्राहको को उनके अधिकारों के प्रति जागरुक बनाने के लिए "विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस" मनाया जाता है। 15 मार्च, 1983 में उपभोक्ता अधिकार दिवस मनाने की शुरूआत कंज्यूमर्स इंटरनेशनल नाम की संस्था ने की थी।आपको बता दे की हर साल विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस के लिए एक थीम बनाई जाती है कंज्यूमर्स इंटरनेशनल ने इस साल की थीम " उपभोक्ताओं के लिए निष्पक्ष और जिम्मेदार एआई "को चुना है। मोबाइल वाणी के पुरे परिवार की ओर से आप सभी को "विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस"की बहुत बहुत शुभकामनाएं।

*बेटी बचाओ-पढ़ाओ के लिए आगे आई किन्नर, क्लब ने किया सम्मानित* *हरदोई डॉटर्स ऑफ दुर्गा (डीओडी) की ओर से महिला दिवस पर एक रेस्टोरेंट में ऐसी मां को सम्मानित किया गया जो स्वयं तो मां बन सकती है लेकिन, समाज को बड़ा संदेश देने का काम कर रही है* किन्नर समुदाय की काजल ने एक बेटी को गोद लिया है। एक दंपती ने सात बेटियों में से सबसे छोटी बेटी को पालन-पोषण के लिए काजल को दिया है। बच्ची अब पांच साल की हो गई है। इसे पढ़ने के लिए स्कूल भी भेजती हैं। बेटी के भविष्य के लिए अपना मकान भी नाम कर दिया है। क्लब की प्रेसिडेंट रागिनी तिवारी, चार्टर प्रेसिडेंट व जेड पीसी चित्रा बाजपेई, जेड पीसी व आईपीपी राखी दुवेदी, उपाध्यक्ष सुप्रिया सेठ, सचिव रुपाली खन्ना, कोषाध्यक्ष पारुल तिवारी, आईएसओ सोनिया मिश्रा, एडिटर शिल्पी पांडे, क्लब सदस्य डॉ. शिवानी मिश्रा, नेहानारायण, इंदू शुक्ला, पूजा जैन, रेनू शुक्ला, सीमा गौर, नीलम, चेतना व संगीता श्रीवास्तव, किन्नर समुदाय की रिंकी व प्रियंका ने काजल को सम्मानित किया।

श्रेया बाल विकास एवं महिला सेवा संस्थान और माता भगवती देवी ट्रस्ट के तत्वाधान में विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया

ग्राम पंचायत सरवापुर में दर्जन भर लोगों ने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत धनराशि मिलने के बाद भी आवास नहीं बनवाया है

यातायात नियमों का पालन न करने से आए दिन सड़क हादसे होते हैं इन हाथों में बड़ी संख्या में लोगों की जान भी चली जाती है

वाहनों का समय से टैक्स जमाना न करने वालों पर परिवहन विभाग से कड़ी कार्रवाई शुरू कर दी है ओ

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सरकार को भारत रत्न देने के अलावा किसानों को उनके अधिकार भी देने चाहिए , आखिर उनकी मांग भी तो बहुत छोटी सी है कि उन्हें उनकी फसलों का बेहतर मूल्य मिले। हालांकि किसानों की इस मांग का आधार भी एम एस स्वामीनाथन समिति की सिफारिशें हैं जो उन्होंने आज से करीब चार दशक पहले दी थीं। इन चार दशकों में न जाने स्वामीनाथन समिति की सिफारिशों को लागू करने का वादा करके न जाने कितनी सरकारें आईं और गईं, इनमें वर्तमान सरकार भी है जिसने 2014 के चुनाव में इन सिफारिशों को लागू करने का वादा प्रमुखता से किया था। -------दोस्तों आप इस मसले पर क्या सोचते हैं, क्या आपको भी लगता है कि किसानों की मांगो को पूरा करने की बजाए भारत रत्न देकर किसानों को उनके अधिकार दिलाए जा सकते हैं? --------या फिर यह भी किसानों को उनके अधिकारों को वंचित कर उनके वोट हासिल करने का प्रयास है.

बंदी के दिन खुली दुकानों से वसूला गया जुर्माना

हमारे देश में सभी को शिक्षा का अधिकार है लेकिन लड़कियों को इसके लिए कहीं अधिक संघर्ष करना पड़ता है। कई बार घर के काम के बोझ के साथ स्कूल के बस्ते का बोझ उठाना पड़ता है तो कभी लोगों की गंदी नज़रों से बच-बचा के स्कूल का सफर तय करना पड़ता है। जैसे-तैसे स्कूल पहुंचने के बाद भी यौन शोषण और भावनात्मक शोषण की अलग चुनौती है जो रोज़ाना उनके धैर्य और हिम्मत की परीक्षा लेती है। ऐसे में लड़कियों के लिए सुरक्षित माहौल बनाने की जिम्मेदारी शासन-प्रशासन के साथ साथ समाज की भी है। तब तक आप हमें बताइए कि * -----लड़कियों के स्कुल छोड़ने के या पढ़ाई पूरी ना कर पाने के आपको और क्या कारण नज़र आते है ? * -----आपके हिसाब से हमें सामाजिक रूप से क्या क्या बदलाव करने की ज़रूरत है , जिससे लड़कियों की शिक्षा अधूरी न रह पाए।