तमाम दावों के बाद भी सच्चाई यही है कि आज भी देश में महिलाएँ और लड़कियां गायब हो रही है और हमने एक चुप्पी साध राखी है। दोस्तों, महिलाओं और किशोरियों का गायब होना एक गंभीर समस्या है जो सामाजिक मानदंडों से जुड़ी है। इसलिए इसे सिर्फ़ कानूनी उपायों, सरकारी कार्यक्रमों या पहलों के ज़रिए संबोधित नहीं किया जा सकता। हमें रोजगार, आजीविका की संभावनाओं की कमी, लैंगिक भेदभाव , जैसे गंभीर चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए इसकी रोकथाम के लिए सोचना होगा। साथ ही हमें लड़कियों को शिक्षित करने और उन्हें सशक्त बनाने की भी आवश्यकता है। तो दोस्तों, हर समस्या का समाधान होता है आप हमें बताइए कि *----- लड़कियों को मानसिक रूप से मजबूत और आत्मनिर्भर बनाने के लिए क्या प्रयास किए जा सकते हैं? *----- आप इस मुद्दे के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए क्या प्रयास कर रहे हैं? साथ ही आप सरकार से इस मुद्दे पर क्या अपेक्षाएं रखते हैं? *----- आपके अनुसार लड़कियों और महिलाओं को लापता होने से बचाने के लिए क्या किया जा सकता है?

पानी में आर्सेनिक, लोह तत्व और दूसरे घातक पदार्थों की मात्रा महिलाओं के स्वास्थ्य पर सबसे बुरा असर कर रही है और फिर यही असर गर्भपात, समय से पहले बच्चे का जन्म या फिर कुपोषण के रूप में सामने आ रहा है. साथियों, हमें बताएं कि आपके परिवार में अगर कोई गर्भवति महिला या नवजात शिशु या फिर छोटे बच्चे हैं तो उन्हें पीने का पानी देने से पहले किस प्रकार साफ करते हैं? अगर डॉक्टर कहते हैं कि बच्चों और महिलाओं को पीने का साफ पानी दें, तो आप उसकी व्यवस्था कैसे कर रहे हैं? क्या आंगनबाडी केन्द्र, एएनएम और आशा कार्यकर्ता आपको साफ पानी का महत्व बताती हैं? और ये भी बताएं कि आप अपने घर में किस माध्यम से पानी लाते हैं यानि बोरवेल, चापाकल या कुएं और तालाबों से?

सुनिए डॉक्टर स्नेहा माथुर की संघर्षमय लेकिन प्रेरक कहानी और जानिए कैसे उन्होंने भारतीय समाज और परिवारों में फैली बुराइयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई! सुनिए उनका संघर्ष और जीत, धारावाहिक 'मैं कुछ भी कर सकती हूं' में...

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उत्तर प्रदेश राज्य के हरदोई जिला से मोबाइल वाणी संवाददाता अनुराग गुप्ता ने रामु वाजपेयी से बातचीत की। जिसमें उन्होंने जानकारी दी कि महिलाओं को भी पैतृक संपत्ति पर पूरा अधिकार मिलना चाहिए। इसके साथ ही जब हम कोई भी जमीन खरीदते हैं, तो यह ध्यान रखना चाहिए कि हमें अपने नाम पर जमीन लेने के बजाय अपनी पत्नी को प्राथमिकता देनी चाहिए।भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन से पहले महिलाओं की स्थिति बहुत खराब थी। महिलाओं को कई बंदिशों के साथ रहना पड़ता था। स्वतंत्रता आंदोलन के बाद बहुत बदलाव आया और इसमें कई महिलाएं भी सामने आई। जिसका असर महिलाओं पर पड़ा और तब से धीरे-धीरे निरंतर बदलाव हो रहा है। शहरों में स्थिति बहुत बेहतर है। लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में अब भी बदलाव आना बाकी है, जो भविष्य में जरूर देखने को मिलेगा। घर चलाने में महिला की महत्वपूर्ण भूमिका है, तो जब महिला सशक्त हो जाती है और महिला के पास आय का स्रोत होता है। जब वह आगे बढ़ती है, तो कहीं न कहीं पारिवारिक जीवन खुशहाल होगा। पुरुषों के लिए बहुत आसान हो जाएगा, क्योंकि परिवार की आय का स्रोत बढ़ेगा और पुरुषों की जिम्मेदारी कम होगी। जिससे बच्चे वहाँ का पालन-पोषण बहुत बेहतर तरीके से होगा।

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उत्तरप्रदेश राज्य के हरदोई जिला से बुद्धसेन सोनी ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि लैंगिक असमानता हमारे बीच एक कड़ी बनी हुई है, जब कि महिलाओं और पुरुषों को समानता का अधिकार है। इन सब के बावजूद भी महिलाओं के साथ भेदभाव किया जाता है। उन्हें पुरुषों की तुलना में कम मजदूरी दिया जाता है। इसके लिए हमें शिक्षा और जागरूकता कि आवश्यकता है। लैंगिक असमानता को दूर करने के लिए सरकार के साथ साथ सामाजिक संस्थाओं को आगे आना चाहिए

उत्तर प्रदेश राज्य के हरदोई जिला से मोबाइल वाणी संवाददाता बुध सेन सोनी ने बताया कि हमें यह सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए कि महिलाओं को भूमि का अधिकार मिले। सामाजिक संस्थानों द्वारा महिलाओं में शिक्षा और जागरूकता का प्रसार किया जाना चाहिए । विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।