सुनिए डॉक्टर स्नेहा माथुर की संघर्षमय लेकिन प्रेरक कहानी और जानिए कैसे उन्होंने भारतीय समाज और परिवारों में फैली बुराइयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई! सुनिए उनका संघर्ष और जीत, धारावाहिक 'मैं कुछ भी कर सकती हूं' में...

सुनिए डॉक्टर स्नेहा माथुर की संघर्षमय लेकिन प्रेरक कहानी और जानिए कैसे उन्होंने भारतीय समाज और परिवारों में फैली बुराइयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई! सुनिए उनका संघर्ष और जीत, धारावाहिक 'मैं कुछ भी कर सकती हूं' में...

सुनिए डॉक्टर स्नेहा माथुर की संघर्षमय लेकिन प्रेरक कहानी और जानिए कैसे उन्होंने भारतीय समाज और परिवारों में फैली बुराइयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई! सुनिए उनका संघर्ष और जीत, धारावाहिक 'मैं कुछ भी कर सकती हूं' में...

सुनिए डॉक्टर स्नेहा माथुर की संघर्षमय लेकिन प्रेरक कहानी और जानिए कैसे उन्होंने भारतीय समाज और परिवारों में फैली बुराइयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई! सुनिए उनका संघर्ष और जीत, धारावाहिक 'मैं कुछ भी कर सकती हूं' में।

सुनिए डॉक्टर स्नेहा माथुर की संघर्षमय लेकिन प्रेरक कहानी और जानिए कैसे उन्होंने भारतीय समाज और परिवारों में फैली बुराइयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई! सुनिए उनका संघर्ष और जीत, धारावाहिक 'मैं कुछ भी कर सकती हूं' में।

भारत का आम समाज अक्सर सरकारी सेवाओं की शिकायत करता रहता है, सरकारी सेवाओं की इन आलोचनाओं के पक्ष में आम लोगों सहित तमाम बड़े बड़े अर्थशास्त्रियों तक का मानना है कि खुले बाजार से किसी भी क्षेत्र में काम कर रही कंपनियों में कंपटीशन बढ़ेगा जो आम लोगों को बेहतर सुविधाएं देगा। इस एक तर्क के सहारे सरकार ने सभी सेवाओं को बाजार के हवाले पर छोड़ दिया, इसमें जिन सेवाओं पर इसका सबसे ज्यादा असर हुआ वे शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार पर पड़ा है। इसका खामियाजा गरीब, मजदूर और आम लोगों को भुगतना पड़ता है।

इन दिनों में सुबह शाम सर्दी और दोपहर में गर्मी होने की वजह से कॉमन कोल्ड वायरस तेजी से पांव पसार रहा है

*हरदोई: बिना खुले ही बीमार हो रहे आयुष्मान आरोग्य मंदिर* *स्वास्थ्य सेवाओं में बेहतरी के दावों के बीच हकीकत बेहद तल्ख और चौकाने वाली है। गांव में ही ग्रामीणों को स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से स्थापित किए गए आयुष्मान आरोग्य मंंदिर (पुराना नाम हेल्थ एडं वेलनेस सेंटर) खुद ही बीमार होकर रह गए हैं।* इन मंदिरों के रोज खुलने और मरीजों के पहुंचने का दावा तो स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अफसर करते हैं, लेकिन यह दावा महज कागजी है। हरियावां विकास खंड के आयुष्मान आरोग्य मंदिरों के ताला खुलना तो दूर सफाई तक कई माह से नहीं हुई। इन मंदिरों के आस-पास बड़ी-बड़ी झाड़ियां तक उग आई हैं। पेश है एक रिपोर्ट- हरियावां विकास खंड के उतरा गांव में आयुष्मान आरोग्य मंदिर बना है। इसके आस पास भीषण गंदगी है। बड़ी बड़ी झाड़ियां हैं, जो इस बात की गवाही भी देती हैं कि यहां न तो कोई आता और न ही इसका ताला खुलता है। धीरे धीरे आयुष्मान आरोग्य मंदिर जर्जर भी हो रहा है। इसी गांव के रहने वाले कल्लू ने बताया कि यहां ताला कभी खुलता ही नहीं। हरियावां विकास खंड में ही अगोलापुर गांव में आयुष्मान आरोग्य मंदिर है। आरोग्य मंदिर का भवन जर्जर हो चला है और ताला कभी खुलता नहीं। इसी गांव के अभिषेक बताते हैं कि आयुष्मान आरोग्य मंदिर में न तो कोई कर्मचारी आता है और न ही इसका ताला कभी खुलता है। हरियावां विकास खंड के हिंगुआपुर गांव में आयुष्मान आरोग्य मंदिर है। इसका ताला कभी खुलता नहीं। ग्रामीणों को यह भी नहीं पता कि यहां इलाज की सुविधा देने के लिए ही निर्माण कराया गया है। कर्मचारियों की तैनाती की जानकारी भी ग्रामीणों को नहीं है। गांव के राम शंकर बताते हैं कि ताला बंद ही रहता है। मेरे संज्ञान में यह मामले नहीं थे। जिन तीन मामलों का उल्लेख किया है इनके बारे में पूरी जानकारी करेंगे। आरोग्य मंदिर हर रोज खुलने चाहिए। सभी जगहों पर कर्मचारी भी तैनात हैं। पूरी जानकारी कर कार्रवाई करूंगा। डा. रोहताश कुमार सीएमओ

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स्वास्थ्य सेवाओं में बेहतरीन के दावों के बीच हकीकत बेहद चौंकाने वाली बात सामने आई है गांव में ही ग्रामीणों को स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य स्थापित किए गए आयुष्मान आरोग्य मंदिर में ताला पड़ा रहता है