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उत्तरप्रदेश राज्य के हरदोई जिला के बेलीगंज से राजीव रंजन त्रिपाठी ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि अधिकांश लोगों से बात करने पर यह पता चला कि पंचायती राज विभाग द्वारा निश्चित मूल्य पर श्रम दिया जाता है, वे देरी और भ्रष्टाचार के शिकार होते हैं। समय से श्रमिकों को उनकी मजदूरी ना मिलने के कारण वह आत्मीय टूट जाते हैं और उनके घर में आर्थिक तंगी आ जाती है

कोविशील्ड बनाने वाली कंपनी सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया की स्वीकारोकती के बाद सवाल उठता है, कि भारत की जांच एजेंसियां क्या कर रही थीं? इतनी जल्दबाजी मंजूरी देने के क्या कारण था, क्या उन्होंने किसी दवाब का सामना करना पड़ रहा था, या फिर केवल भ्रष्टाचार से जुड़ा मामला है। जिसके लिए फार्मा कंपनियां अक्सर कटघरे में रहती हैं? मसला केवल कोविशील्ड का नहीं है, फार्मा कंपनियों को लेकर अक्सर शिकायतें आती रहती हैं, उसके बाद भी जांच एजेंसियां कोई ठोस कारवाई क्यों नहीं करती हैं?

कोई भी राजनीतिक दल हो उसके प्रमुख लोगों को जेल में डाल देने से समान अवसर कैसे हो गये, या फिर चुनाव के समय किसी भी दल के बैंक खातों को फ्रीज कर देने के बाद कैसी समानता? आसान शब्दों में कहें तो यह अधिनायकवाद है, जहां शासन और सत्ता का हर अंग और कर्तव्य केवल एक व्यक्ति, एक दल, एक विचारधारा, तक सीमित हो जाता है। और उसका समर्थन करने वालों को केवल सत्ता ही सर्वोपरी लगती है। इसको लागू करने वाला दल देश, देशभक्ति के नाम पर सबको एक ही डंडे से हांकता है, और मानता है कि जो वह कर रहा है सही है।

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एडीआर संस्था ने अपनी एक और रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में राजनीतिक पार्टियों की कमाई और खर्च का उल्लेख है। यह रिपोर्ट बताती है कि कैसे राजनीतिक पार्टियां अपने विस्तार और सत्ता में बने रहने के लिए बड़े पैमाने पर खर्च करती हैं। इस रिपोर्ट के मुताबिक देश के सबसे बड़े सत्ता धारी दल ने बीते वित्तीय वर्ष में बेहिसाब कमाई की और इसी तरह खर्च भी किया। इस रिपोर्ट में 6 पार्टियों की आय और व्यय के आधार पर तैयार किया गया है। इसमें भाजपा, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, सीपीआई एम और बीएसपी और एनपीईपी शामिल हैं। दोस्तों, *---- आपको क्या लगता है, कि चुनाव लडने पर केवल राजनीतिक दलों की महत्ता कितनी जरूरी है, या फिर आम आदमी की भूमिका भी इसमें होनी चाहिए? *---- चुनाव आयोग द्वारा लगाई गई खर्च की सीमा के दायेंरें में राजनीतिक दलों को भी लाना चाहिए? *---- सक्रिय लोकतंत्र में आम जनता को केवल वोट देने तक ही क्यों महदूद रखा जाए?

कमीशन के खेल में आशा बहुएं गर्भवती महिलाओं को सरकारी अस्पताल से निजी अस्पतालों में ले जाने के मामले बढ़ते जा रहे हैं इस पर स्वास्थ्य विभाग शिकंजा कस रहा है

करीब डेढ़ साल पहले हुए डेढ़ करोड़ रुपए के खाद्यान्न घोटाले में अभी भी किसी की गिरफ्तारी नहीं हो सकी है

शाइन सिटी मामले में जुड़े विवादों की नहीं हो साइंन सिटी घोटाले में संलिप्तता के कारण थाना क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय कटैया में तैनात शिक्षिका को निलंबित कर दिया गया था इन्हें ईडी गिरफ्तार कर लखनऊ ले गई थी

भूसा खरीद अनियमितताओं की जांच रिपोर्ट जल्द आपको बताते चलें कि जिले में पशुपालन विभाग के तहत वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान गो आश्रय स्थलों में आवारा जानवरों के लिए भूसा खरीद में गंभीर अनियमितताओं को देखा गया था