उत्तरप्रदेश राज्य के हरदोई जिला के बेलीगंज से राजीव रंजन त्रिपाठी ने मोबाइल वाणी के माध्यम से विशाल शर्मा से बातचीत किया। बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि मनरेगा मजदूर से जब काम करवाया जाता है तो उन्हें समय से और पूरी मजदूरी नहीं दी जाती है

उत्तरप्रदेश राज्य के हरदोई जिला के बेलीगंज से राजीव रंजन त्रिपाठी ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि अधिकांश लोगों से बात करने पर यह पता चला कि पंचायती राज विभाग द्वारा निश्चित मूल्य पर श्रम दिया जाता है, वे देरी और भ्रष्टाचार के शिकार होते हैं। समय से श्रमिकों को उनकी मजदूरी ना मिलने के कारण वह आत्मीय टूट जाते हैं और उनके घर में आर्थिक तंगी आ जाती है

महिलाओं की लगातार बढ़ती हिस्सेदारी और उसके सहारे में परिवारों के आर्थिक हालात सुधारने की तमाम कहानियां हैं जो अलग-अलग संस्थानों में लिखी गई हैं, अब समय की मांग है कि महिलाओं को इस योजना से जोड़ने के लिए इसमें नए कामों को शामिल किया जाए जिससे की ज्यादातर महिलाएं इसका लाभ ले सकें। दोस्तों आपको क्या लगता है कि मनरेगा के जरिए महिलाओँ के जीवन में क्या बदलाव आए हैं। क्या आपको भी लगता है कि और अधिक महिलाओं को इस योजना से जोड़ा जाना चाहिए ?

मनरेगा में भ्रष्टाचार किसी से छुपा हुआ नहीं है, जिसका खामियाजा सबसे ज्यादा दलित आदिवासी समुदाय के सरपंचों और प्रधानों को उठाना पड़ता है, क्योंकि पहले तो उन्हें गांव के दबंगो और ऊंची जाती के लोगों से लड़ना पड़ता है, किसी तरह उनसे पार पा भी जाएं तो फिर उन्हें प्रशासनिक मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इस मसले पर आप क्या सोचते हैं? क्या मनरेगा नागरिकों की इच्छाओं को पूरा करने में सक्षम हो पाएगी?

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वित्तीय वर्ष 2023 24 समापन की ओर है ऐसे में अधिक से अधिक लोगों को 100 दिन का रोजगार देने के निर्देश सचिवों को दिए गए हैं

मनरेगा में 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराए जाने की खराब प्रगति पर 45 गांवो के 14 सचिवों को कारण बताओं नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण तलब किया गया है

100 दिन के रोजगार की गारंटी देने वाली मनरेगा योजना के तहत करवाए जा रहे 75 प्रतिशत कार्य बंद हो गए हैं

हरदोई। मनरेगा में वित्तीय वर्ष 2022-23 में कराए गए काम और सामग्री अंश में अंतर मिला है।