उत्तर प्रदेश राज्य के गोंडा जिला से माधुरी ने मोबाइल वाणी के माध्यम से हमारे एक श्रोता अरबिंद से बात किया। उन्होंने बताया की महिलाओं के पास भूमि अधिकार नहीं है तो कहीं ना कहीं इसमें पुरुषों का बहुत बड़ा योगदान है , क्योंकि वो समझते है की जो भूमि सम्बंधित कार्य है उससे केवल पुरुष ही संभाल सकते है। वो सोचते है की अगर मकान बनाने की बात है तो वो केवल पुरुष ही कर सकते है, पर ऐसा नहीं है। क्योंकि अब ये सारे काम महिलायें भी अपने बल पर कर सकती है। समाज में पुरुषो की सोच को बदलना होगा, तभी महिलायें भी आगे बढ़ पाएंगी।
उत्तरप्रदेश राज्य के गोंडा जिला से माधुरी मोबाइल वाणी के माध्यम से मुस्कान दुबे से बातचीत की। बातचीत में उन्होंने बताया कि महिलाओं के लिए हमारे समाज में महिलाओं के लैंगिक असमानता के कई कारण है। कई क्षेत्रों में महिलाओं को कम आंका जाता है। पुरूषों को लगता है महिलायें हर क्षेत्र में काम नहीं कर सकती , तभी पुरुष महिलाओं को पुरुषों की तुलना में कम मानते हैं, महिलाओं को भी पुरुषों की तुलना में वेतन भी कम मिलता है।
उत्तरप्रदेश राज्य के गोंडा जिला से माधुरी मोबाइल वाणी के माध्यम से स्थानीय निवासी शनि जी से बातचीत कर रहे हैं। शनि ने बताया कि हमारे समाज में महिलाओं को जमीन नहीं मिल पा रहा है, हमारे समाज में कुछ लोगों की सोच ये है कि हमारा देश पुरुष प्रधान देश है। जिसके कारण भूमि का अधिकार सिर्फ पुरुषों के पास ही रहा है । पुरुषों को लगता है कि महिलाएं जमीन की देखभाल नहीं कर सकतीं। यही कारण है कि उन्हें भूमि पर अधिकार नहीं मिलता है। शिक्षा की भी कमी के कारण भी हमारे देश में महिलाओं की भूमि पर अधिकार नहीं है।
उत्तर प्रदेश राज्य के गोंडा जिला से माधुरी मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि भारत की भूमि कानून महिलाओं को भूमि अधिकार देते हैं लेकिन जिस तरह से लागु किया जाता है उसमे काफी बाधाएं आती हैं। दुनिया भर के लोगों से तुलना करें तो भारत के महिलायें आर्थिक रूप से बहुत ज्यादा पिछड़ी हुयी हैं। महामारी के कारण उनकी स्थिति पहले से बदतर हुयी हैं.दुनियाभर में महिलाओं की भागीदारी और सुरक्षा को महिलाओं को शांति एवं सुरक्षा सिक्युरिटी के स्थान से फिसल कर भारत में महिलाओं के जमीन पर मालिकाना हक़ को लेकर बहुत बड़ा व्यापक मामला चल रहा है
उत्तर प्रदेश राज्य के गोंडा जिला से मनु सिंह मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रही हैं की सदियों से राजनीति में महिलाओं की भागीदारी सबसे ज़्यादा प्रभावित हुई है और इस विषम परिस्थिति के मद्देनज़र जिसमें हम है, ये कच्चे कदम निरर्थक है, इसलिए, ऐसी नीतियों की सख्त़ और तत्काल ज़रूरत हैं। महिला आरक्षण विधेयक के पारित होने से राज्य विधानसभा और संसदीय चुनावों में महिलाओं की सहमति से न्यूनतम भागीदारी सुनिश्चित करने का मार्ग प्रशस्त होना चाहिए।
उत्तर प्रदेश राज्य के गोंडा जिला से मनु सिंह मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रही हैं की पुरुषों और महिलाओं को समान अधिकारों की संभावना देने वाले संवैधानिक अधिकारों के बावजूद, भारतीय समाज में लैंगिक असमानता अभी भी एक वास्तविकता है। भारत एकमात्र बड़ा देश है जहाँ लड़कियों की मृत्यु दर और पढ़ाई छोड़ने की दर लड़कों की तुलना में अधिक है। लड़कियों के खिलाफ भेदभाव कई रूपों में प्रकट होता है, जिनमें शामिल हैंः शिक्षा और स्वास्थ्य, जल्दी और सफल विवाह, भ्रूण हत्या और शिशु हत्या और महिलाओं के खिलाफ अन्य अपराध, रोजगार और निर्णय लेना। शिक्षा आदि जैसे क्षेत्रों में सूचना और सेवाओं तक पहुंच सीमित है। शांतिपूर्ण और प्रगतिशील समाज के लिए लैंगिक समानता आवश्यक है।
उत्तर प्रदेश राज्य के गोंडा जिला से मनु सिंह मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रही हैं की भारत वर्ष एक सम्पन्न परंपरा और सांस्कृतिक मूल्यों से समृद्ध देश है, जहां महिलाओं का समाज में प्रमुख स्थान रहा है। ग्रामीण परिदृश्य में महिलाओं की बड़ी आबादी है। दुर्भाग्यवंश विदेशी शासनकाल में समाज में अनेक कुरीतियां व विकृृतियां पैदा हुई, जिससे महिलाओं को उत्पीड़न हुआ।महिलाओं ने समाज में सम्मान प्राप्त किया लेकिन दशकों तक उनके सशक्तिकरण की गति धीमी रही। गरीबी और निरक्षरता महिलाओं की प्रगति में गंभीर बाधाएँ थीं। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और कौशल के माध्यम से महिलाओं को रोजगार दिया गया।
उत्तर प्रदेश राज्य के गोंडा जिला से मनु सिंह मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि महिलाओं में इस निरक्षरता दर के पीछे मुख्य कारण उचित संसाधनों की कमी है। महिला शिक्षा भारत में महिला शिक्षा की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। भारत में महिला शिक्षा की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है जनगणना के अनुसार, भारतीय महिलाओं की साक्षरता दर चौंसठ दशमलव छह थी यह संख्या पुरुषों की साक्षरता दर अस्सी है।अगर महिलाएं शिक्षित हैं तो वे अपने घर की सभी समस्याओं का समाधान कर सकती हैं
उत्तर प्रदेश राज्य के गोंडा जिला से सायरा बानो मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि पिछड़ी जाति के नाम पर फिर भी ये लोग खुद को विभाजित करते हैं और फिर भी वोट की राजनीति यहीं से शुरू होती है, एक तरफ जातिवाद का उन्मूलन होता है और दूसरी तरफ जातिवाद का संचार और अलगाव होता है।
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