उत्तरप्रदेश राज्य के बलरामपुर जिला से नीलू पांडेय ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि बेटियों को बेटे के बराबर अधिकार मिलना चाहिए। लड़कियों के पास भी शिक्षा का अधिकार है।

उत्तरप्रदेश राज्य के बलरामपुर जिला से वीर बहादुर यादव ने मोबाइल वाणी के माध्यम से विकास वर्मा से बातचीत किया। बातचीत के दौरान विकास वर्मा ने बताया कि महिलाओं को उनके नाम से पुकारना चाहिए। ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा के आभाव से महिलाओं को उनके नाम से नहीं पुकारा जाता है।

उत्तरप्रदेश राज्य के बलरामपुर जिला से श्रीदेवी सोनी ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि भारत कृषि प्रधान देश है। और देश की महिलाएं कृषि के क्षेत्र में भी अपनी अहम् भूमिका निभा रही है। महिलाएं हर कुछ करने में सक्षम है।

उत्तरप्रदेश राज्य के बलरामपुर जिला से नीलू पाण्डेय ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि समाज में लड़कियों को लड़कों से कम पढ़ाया लिखाया जाता है जो की बहुत ही गलत है। महिलाओं को भी पुरुषों के समान शिक्षा का अधिकार है।

उत्तर प्रदेश राज्य के बलरामपुर जिला से काजल सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि शिक्षा का मतलब ज्ञान,सदाचार,उचित आचरण,तकनीकी शिक्षा तकनीकी दक्षता,विद्या आदि को प्राप्त करने की प्रक्रिया को कहते हैं। आधुनिक युग में शिक्षकों की भूमिका बहुत अधिक महत्वपूर्ण हो गई है क्योंकि वे छात्रों को न केवल ज्ञान देते हैं, बल्कि उन्हें जीवन में जरूरी कौशल भी सिखाते हैं। शिक्षा एक अच्छे नागरिक के लिए बहुत ही आवशयक है। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

उत्तरप्रदेश राज्य के बलरामपुर ज़िला से वीर बहादुर ,मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि यह एक बड़ी विडंबना है कि महिलाओं के साथ भेदभाव किया जा रहा है। महिलाओं को किसी भी निर्णय में भाग लेने नहीं दिया जाता है। मुख्य कारण यह है कि महिलाओं को लोग शिक्षा से वंचित रखते है। शिक्षा के अभाव में महिलाएँ शोषण का शिकार होती है। समाज में महिलाओं को पुरुष के बराबर नहीं समझा जाता है। यह कार्यस्थल में देखने को मिलता है कि सामान काम का वेतन सामान नहीं मिलता है।

उत्तर प्रदेश राज्य के बलरामपुर जिला से काजल सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि महिलायें जब स्वयं खुद के लिए आगे आना शुरू करेंगी तो समाज में व्याप्त पुरुष और महिला के बीच की असमानता खुद ही कम होने लगेगी। महिलायें खुद पीछे रह कर अपने घर के पुरुषों को अधिक महत्व देती है। यही कारण है की महिलाओं को पुरुषों से कम आंका जाता है। पुरुषों की तुलना में शारीरिक रूप से कमजोर होने के बावजूद, महिलाएं वे सभी काम करती हैं जो पुरुष नहीं करना चाहते हैं, तो उन्हें पुरुषों की तुलना में अधिक सम्मान क्यों नहीं दिया जाता है।

उत्तर प्रदेश राज्य के बलरामपुर जिला से प्रियंका सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि जब हम महिलाओं और बालिकाओं में निवेश करते हैं, तो वास्तविकता में हम उन लोगों में निवेश कर रहे होते हैं, जो बाकी सभी क्षेत्रों में निवेश करते हैं। महिलाओं के महत्त्व को रेखांकित करता है, बल्कि उनकी उनकी प्रासंगिकता का भी विनिर्धारण करता है। क्या आपने कभी अपने आस-पास या पड़ोस में बेटी के जन्म पर ढ़ोल नगाड़े या शहनाइयाँ बजते देखा है? शायद नहीं देखा होगा और देखा भी होगा तो कहीं इक्का-दुक्का। वस्तुतः हम भारत के लोग 21वीं सदी के भारतीय होने पर गर्व करते हैं, बेटा पैदा होने पर खुशी का जश्न मनाते हैं और अगर बेटी का जन्म हो जाए तो शांत हो जाते हैं। महिलाओं की स्थिति में गिरावट की आशंका व्यक्त की जा रही है। इसलिये इस समस्या से निपटने में असाधारण सुधारात्मक नीतियों के तत्काल हस्तक्षेप की आवश्यकता है।

उत्तरप्रदेश राज्य के जिला बलरामपुर से प्रियंका सिंह , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहती है कि महिलाओं और पुरुषों को जीवन के सभी क्षेत्रों में समान अधिकार, जिम्मेदारियां और अवसर मिलने चाहिए।

उत्तर प्रदेश राज्य के बलरामपुर जिला से प्रियंका सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि लैंगिक असमानता को सबसे गंभीर सामाजिक समस्याओं में से एक माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि महिला द्वारा घर के साथ-साथ विभिन्न पारिवारिक व्यावसायिक परिवेशों में भी इसका अनुभव किया जाता है। क्योंकि लड़कियों और महिलाओं को पुरुषों की तुलना में कम सक्षम माना जाता है। लड़कियों और महिलाओं में पुरुषों की तुलना में कम योग्यता और कौशल होना माना जाता है। शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में लैंगिक असमानता प्रचलित है। ग्रामीण समुदाय के कुछ घरों में, लोग इस बात की सराहना नहीं करते हैं कि लड़कों की तुलना में लड़कियों का जन्म की ख़ुशी मनाई जाए।