बुढ़मू : बुधवार शाम में 22 हाथियों का झुण्ड चान्हों क्षेत्र से होते हुए बुढ़मू क्षेत्र के जंगलों में पहुंच गया। गुरूवार को दिन में साड़म और चांया मुरगी गांव के जंगला में हाथी उपस्थित थे, वहीं शाम होते - होत सभी कोटारी जंगल पहुंच गये। हाथी भगाओ दल के सदस्यों ने बताया कि हाथी अपने मुख्य मार्ग से भटक गये है, शाम होने के बाद हाथियों के झुंड को पतरातु जंगल की ओर ले जाया जाएगा. और वे वहां से होते हुए चाईबासा के घने जंगलों की ओर चले जाएंगे।

विश्व वन्यजीव दिवस जिसे आप वर्ल्ड वाइल्डलाइफ डे के नाम से भी जानते है हर साल 3 मार्च को मनाया जाता है जिसका मुख्य उद्देश्य है की लोग ग्रह के जीवों और वनस्पतियों को होने वाले खतरों के बारे में जागरूक हो इतना ही नहीं धरती पर वन्य जीवों की उपस्थिति की सराहना करने और वैश्विक स्तर पर जंगली जीवों और वनस्पतियों के संरक्षण के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य या दिवस मनाया जाता है.विश्व वन्यजीव दिवस के उद्देश्य को पूरा करने के लिए है हर वर्ष एक थीम निर्धारित की जाती है जिससे लोगो में इसके प्रति ज्यादा से ज्यादा जागरूकता को बढ़ावा मिले . हर वर्ष की तरह इस वर्ष 2024 का विश्व वन्यजीव दिवस का थीम है " लोगों और ग्रह को जोड़ना: वन्यजीव संरक्षण में डिजिटल नवाचार की खोज" है। "तो आइये इस दिवस पर हम सभी संकल्प ले और वन्यजीवों के सभी प्रजातियों और वनस्पतियों के संरक्षण में अपना योगदान दे।

मैक्लुस्कीगंज 2 मार्च 2024 झारखंड में सिर्फ बेतला नेशनल में मौजूद बायसन बढ़ा रहे हैं जंगल की शान फोटो कैप्सन उपस्थित बायसन झारखंड में सिर्फ बेतला नेशनल पार्क मे पाये जाने वाले बायसन ( गौर,जंगली भैंसा) जंगल की शान है .सैलानियों को भले ही बाघ न दिखे, हाथी न दिखे लेकिन इतना तो तय है कि हिरण ,बंदर , लंगूर के बाद यदि कोई जानवर सबसे अधिक बेतला पार्क में दिखता है तो वह बायसन ही है. करीब 70 की संख्या में मौजूद बायसन बेतला पार्क की खूबसूरती बढ़ाने में काफी योगदान देते हैं. बेतला पार्क का भ्रमण करते समय अलग अलग रुपों में इन बायसन को देखा जा सकता है. कभी प्यास बुझाते हुए वाटर ट्रफ के पास, तो कभी घास चरते हुए ग्रास प्लॉट में ,तो कभी आराम करते हुए पेड़ की छाया में, तो कभी अपने बच्चों के साथ मौज मस्ती करते हुए. अलग-अलग पोज में दिखने वाले इन बायसन को लोग अपने कैमरों में कैद करना नहीं भूलते हैं . बायसन के चारों टांगों में सफेद मोजे की तरह दिखाई देने वाला चिंह सैलानियों को काफी भाता है.एक समय था जब पूरे पलामू टाइगर रिजर्व में हजारों की संख्या में बाइसन थे. लेकिन समय के साथ बाइसन की संख्या घट रही है. सेंसेस रिपोर्ट की माने तो प्रत्येक वर्ष पलामू टाइगर रिजर्व के अन्य क्षेत्रों में बायसन नहीं होने के संकेत मिल रहे हैं .लेकिन बेतला नेशनल पार्क ही एक ऐसा जगह है जहां बायसन बड़ी संख्या में अभी भी मौजूद है. बेतला में बायसन ने अपना स्थायी घर बना लिया गया है .क्योंकि अन्य जगहों की तुलना में बेतला नेशनल पार्क उनके लिए काफी सुरक्षित जगह माना जाता है . सुरक्षित जगह होने के कारण ही बायसन बड़ी संख्या में बेतला पार्क में मौजूद है. इस समय गर्मी के दिनों में पार्क जाने के बाद बायसन को देखना निश्चित माना जाता है .यह बात भी सही है कि अधिक संख्या में वाहनों के प्रवेश करने पर कई बार झाड़ियों में जाकर बायसन छिप जाते हैं. इसीलिए सभी लोग बायसन को नहीं देख पाते हैं. जिस जगह पर बायसन सैलानी देखते हैं उसी जगह पर दूसरे सैलानी नहीं देख पाते हैं. क्योंकि स्वतंत्र होने के कारण वे जंगलों में छिप जाते हैं . पार्क के अंदर मौजूद जलाशयों में गर्मी में प्यास बुझाते हुए बायसन के दृश्य इन दिनों काफी नजर आ रहे हैं. कभी हिरणों के झुंड के साथ ,कभी जंगली सूअर के साथ बायसन वाटर ट्रफ के पास दिख जाते हैं. शाकाहारी हैं लेकिन हमलावर भी वैसे तो बाइसन शाकाहारी जंतु है. लेकिन किसी तरह का व्यवधान होने पर वह हमलावर भी हो जाता है .इसलिए पार्क घूमते समय बायसन देखने के बाद सैलानियों को वाहन में ही बैठे रहने की सलाह दी जाती है. अक्सर जब बायसन बच्चों के साथ होते हैं तब तब हमला करने की आशंका अधिक रहती है. जिस तरह से लंगूर व हिरण की जोड़ी साथ साथ देखी जाती है, उसी तरह से इन दिनों बायसन व लंगूर को भी साथ देखा जाता है. लंगूर पेड़ पर पत्तियों वगैरह खाते हैं और बायसन के लिए नीचे गिरा देते हैं जिसे बायसन शौक से खा जाते हैं . बाघिन को मारकर चर्चा में रहे बायसन वर्ष 2020 में फरवरी महीने के 15 तारीख को बेतला नेशनल पार्क में उसे समय अजीब स्थिति बन गयी थी जब बायसन का झुंड ने मिलकर एक बाघिन को मार डाला था. हुआ यह था कि बायसन अपने बच्चों के साथ झुंड में चर रहे थे. इसी बीच बाघिन के द्वारा बायसन के एक बच्चे को पकड़ने का प्रयास किया गया था. इस खतरे का आभास होते ही बायसन ने उसे पर हमला कर दिया था और उनके हमले से बाघिन की मौत हो गयी थी. इस घटना के बाद बायसन काफी दिनों तक चर्चा में रहे. आज भी पार्क घूमने के दौरान जब लोग उसे स्थल पर पहुंचते हैं तो पूरा घटना दिमाग में घूमने लगता है.

मैक्लुस्कीगंज 8 फरवरी 2024 फ़ोटो 1 - मैक्लुस्कीगंज में निकला विशालकाय अजगर. मैक्लुस्कीगंज में निकला अजगर बना कौतूहल का विषय. लपरा पंचायत के जोभिया फ़ास्ट फ़ूड पॉइंट के निकट में अजगर देखे जाने के बाद ग्रामीणों में हड़कंप मच गया. प्रत्यक्षदर्शी बादल राणा व गौतम राणा ने बताया कि घर के पास लगभग 10 फीट के अजगर को घर के लोगों ने देखा और शोर मचाने लगे. बाद में इसकी सूचना वन विभाग को दी गई. सूचना पर पहुंचे प्रभारी वनपाल अश्फाक अंसारी व वनरक्षी सुनील एक्का ने रेस्क्यु कर अजगर को पकड़ा तथा घने जंगल में ले जाकर छोड़ दिया. तत्पश्चात ग्रामीणों ने राहत की सांस ली. वन विभाग के टीम ने ग्रामीणों से विशालकाय सांपो व अन्य जंगली जानवरो से अपने बच्चों व जानवरों को दूर रखने की अपील की है. साथ ही कहा कि जानवरों को नुकसान पहुंचाना दंडनीय भी है.

मैक्लुस्कीगंज  12 दिसम्बर 2023 चंदवा व चान्हो के तरफ से आये जंगली हांथियों के झुंड ने मचाया उतपात. धान के फसलों को रौंद कर चट कर गये. आसपास के ग्रामीणों में दहशत व्याप्त है. मायापुर मुखिया पुष्पा खलखो से मिली जानकारी के अनुसार दुल्ली गांव के सोमरी देवी, लुकैया में महेंद्र यादव, ननकू महतो, जागो पहान, विजय यादव, बैजनाथ महतो सहित अन्य के खेतों में लगे धन की फसल को रौंद कर चट कर गये. वहीं अम्बा टोंगरी में असनाथ लोहरा के आलू व मक्का सहित विश्वनाथ लोहरा व सोमरा उरांव के धान की फसल को नष्ट कर दिया. मुखिया ने बताया कि हांथियों के गांव में उत्पात मचाने के बाद भी वन विभाग का कोई भी अधिकारी या कर्मी क्षेत्र का मुआयना करने नहीं पहुंचा है. झुंड में लगभग 20 हांथी बताये जा रहे है.  सूचना के अनुसार गजराज फिलहाल मैक्लुस्कीगंज, चंदवा व चान्हो के बॉर्डर क्षेत्र के जंगल में देर जमाये हुए है.

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लातेहार में हाथियों का आतंक

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