बिहार राज्य के जिला जमुई के सिकंदरा प्रखंड से हमारे श्रोता मोबाइल वाणी के माध्यम से कह रहे है कि उनके परिवार के पांच लोगों का नाम राशन कार्ड में नहीं है इसके लिए उन हे काफी दिक्कतों का समां करना पड़ रहा है। श्रोता जानना चाहते है की राशन कार्ड में नाम कहा और कैसे जोड़ा जाता है ?

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बिहार राज्य के जमुई जिला सिकंदरा प्रखंड से ज्योति कुमारी मोबाइल वाणी के द्वारा कहती हैं कि झोला छाप डॉक्टर अपनी झूठी डिग्रियों के बदौलत गरीबों की ज़िन्दगी से खिलवाड़ करते हैं।इन डॉक्टरों के झाँसे में गरीब और अनपढ़ लोग आसानी से आ जाते हैं।ये झोला छाप डॉक्टर अधिकत्तर ग्रामीण इलाकों में अपना क्लिनिक खोलते हैं, और बोर्ड पर कई तरह की डिग्रियों को अंकित करवा लेते हैं।बिहार राज्य में औसतन चार लाख फर्जी डॉक्टर हैं, जो बिना जानकारी के गरीबों का चीर-फाड़ कर उनकी जिंदगी के साथ खिलवाड़ करते हैं।आये दिन कहीं ना कहीं झोला छाप डॉक्टर का भंडा-फोड़ होता रहता है।इनके खिलाफ कारवाई भी की जाती है, पर कुछ समय बाद ये डॉक्टर फिर से सक्रीय हो जाते हैं।कुछ दिन बाद फिर से प्रशासन सो जाते हैं, और झोला छाप डॉक्टर का व्यवसाय तेजी से चलने लगता है।सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए।इस सम्बन्ध में बने कानून का पालन सख्ती करवाना चाहिए।जिससे गरीबों की ज़िन्दगी से खिलवाड़ होने से बचाया जा सके

बिहार राज्य के जमुई जिला सिकंदरा प्रखंड से विजय कुमार मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते हैं कि महिलाओं की स्थिति में सुधार लाने की लिए आज कई कानून बने हैं, पर क्या सिर्फ कानूनों के बन जाने से महिलाओं की परिस्थिति में कोई ज्यादा सुधार देखने को नहीं मिल रहा है।महिलाओं को सशक्त बनाने में ये कानून काफी मददगार साबित हुए है।आज महिलायें घर से बाहर निकल कर कदम से कदम मिलाने में भी पीछे नहीं हैं, लेकिन फिर भी कई जगहों पर स्थिति बहुत ही गंभीर है, महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों में कोई कमी नहीं आ रही है।इसके लिए यह जरुरी है, कि कानूनों का ना सिर्फ निर्माण किया जाये, बल्कि उनका सख्ती से पालन भी हो।जब इन कानूनों का सही से क्रियान्वयन किया जाएगा, तब ही समाज का रवैया और महिलाओं की स्थिति में बदलाव आएगा।

बिहार राज्य के जमुई जिला सिकंदरा प्रखंड से विजय कुमार जीविका मोबाइल वाणी के द्वारा जानकारी देते हुए कहते हैं कि सरकारी अस्पतालों की दुर्दशा से आम जनता को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है।देश में सरकारी अस्पतालों की कमी नहीं है, कमी है तो इन अस्पतालों में मिलने वाली सुविधाओं की।वर्तमान में कई ऐसे मामले सामने आये हैं, जिनमे देखा गया है, सरकारी अस्पतालों में कहीं बेड की तो कहीं दवाईओं की तो कहीं ऑक्सीज़न की ही कमी होती है।सरकारी अस्पतालों में एक छोटे से काम के लिए काफी परेशान किया जाता है।जिससे हमारा समय और मेहनत दोनों ही बेकार चला जाता है।सरकारी अस्पतालों में लापरवाही के कारण भी कई लोगों की जानें भी चली जाती हैं।इसी वजह से कई लोग इन अस्पतालों में डरते हैं।सरकारी अस्पतालों में जिन दवाईओं की उपलब्धता के लिए ना बोला जाता है,बाजार में पैसे खर्च करने पर वही दवाई आसानी से मिल जाती है।इन सारी असुविधाओं से इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है, की सरकार की स्वास्थ्य नीति कितनी कमजोर है।अस्पतालों की नियमित जाँच नहीं होने से इनकी स्थिति इतनी बद्त्तर है।सरकार को जल्द ही कोई सही निर्णय और प्रयास करने की जरुरत है।जिससे आम जनता अपने अधिकारों का लाभ ले सकें।

बिहार राज्य के जमुई जिला के सिकंदरा प्रखंड से अमित कुमार सविता जी मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि सभी पंचायत में आज भी लोग खुले में शौच जाने के लिए विवश है। सिकंदरा का वार्ड नंबर 16 ओडीएफ घोषित हो चुके है।प्रखंड को खुले में शौच मुक्त करने के लिए महिलाएं जागरूक नहीं है। आज पंचायतों में ओडीएफ का चर्चा जोरो पर है। लेकिन अभी भी कई पंचायत के लोग घर पर शौचालय नहीं रहने के कारण खुले में शौच करने को मजबूर है। स्थानीय जनप्रतिनिधि व बुद्धिजीवी लोगो को इसके प्रति जागरूक करने की जरुरत है,ताकि पूरा प्रखंड खुले में शौच मुक्त हो सके।

बिहार राज्य के जमुई जिला से विजय कुमार मोबाइल वाणी के माध्यम से जानकारी साझा करते हुए बताते हैं कि हमारे देश में लंबे समय से नौकरी देने का श्रेय भारतीय रेलवे को दिया जाता है।लेकिन कुछ कारणों से पिछले कई सालो से रेलवे में निचले स्तर पर नियुक्तियाँ नहीं हुई थी।जिसका असर साफ़ तौर पर रेलवे के परिचालन और यात्रियों को मिलने वाली सुविधाओं पर देखने को मिल रहा है।इन सारे हालात को देखते हुए रेलवे ने बड़ी संख्या में नौकरियों के लिए आवेदन आमंत्रित किये।लेकिन हमारे देश में रोजगार की कमी को साफ़ देखा जा सकता है कि रेलवे द्वारा निकाली गयी 90 हजार पदों की भर्तियों के लिए अब तक कुल 2 करोड़ 80 लाख आवेदन भरे जा चुकें हैं।इसका मतलब साफ़ है की हर पद के लिए औसतन 311 व्यक्ति दावेदार है।जाहिर है कि इनमे से 310 व्यक्तियों को होड़ से बाहर जाना होगा।असल समस्या तो तब ही शुरू होती है कि ये 310 लोग जायेंगे कहाँ ? एक विकल्प तो यह है की वो दूसरे प्रतियोगिता की होड़ में शामिल हो जायेंगे।लेकिन यह विकल्प हर बेरोजगार युवक के लिए उपलब्ध नहीं होता।हमारा देश दुनिया की सबसे तेज रफ़्तार अर्थव्यवस्था में शामिल होने के बाद भी पर्याप्त मात्रा में रोजगार के अवसर सृजन नहीं कर पा रहा है।