Transcript Unavailable.
प्रतिबंधित क्षेत्र में विरोध कर रहे अतिथि शिक्षकों पर आज पुलिस ने लाठीचार्ज किया। राजवंशी नगर की ओर से नेहरू चौकी में प्रवेश कर रहे शिक्षकों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने हल्का बल प्रयोग किया। इस बीच, आधा दर्जन शिक्षकों को भी हिरासत में लिया गया है।विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।
राज्य बिहार जिला गिद्धौर गाँव के लोग पीने के पानी की समस्या को लेकर गाँव बाराह भोरातार , वार्ड नं । गिधौर प्रखंड की रतनपुर पंचायत , वार्ड की दर्जनों महिलाओं और पुरुषों ने विभाग और स्थानीय लोगों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया । जानकारी के अनुसार , हाल ही में कुछ दिन पहले सुबह के मुखिया नितीश कुमार ने सात सूत्री योजना पर विशेष जोर दिया ताकि गांव के हर इलाके को नल जल योजना का लाभ मिल सके । जहां एक ओर सरकार दूरदराज के ग्रामीण क्षेत्रों में आम लोगों को सुबह शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने का दावा करती है , वहीं दूसरी ओर विभागीय अधिकारी और कर्मचारी प्रखंड में रतनपुर पंचायत के बैट नंबर बारह के निवासी मुख्यमंत्री नल से पूछताछ करते हैं । पजल योजना के तहत , इसकी देखभाल करने वाला कोई नहीं है , जबकि रतनपुर पंचायत के वार्ड संख्या बारह की निवासी राजेश यादव पप्पु यादव बेबी देवी चुनचुन यादव रामचरित यादव ब्रह्मादेवी यादव उमा देवी सुनीता देवी हैं । दर्जनों बार्ड निवासियों ने अपने बर्ध में पीने के पानी की समस्या के बारे में बताया कि पिछले एक महीने में , सीनल जल योजना द्वारा प्रदान किए गए कनेक्शन से पानी की एक भी बूंद नहीं छोड़ी गई है , जिससे हम बर्धमानों के बीच पीने के पानी का संकट पैदा हो गया है । इस समस्या को हल करने के लिए हम ग्रामीणों ने कई बार दरवाजा प्रखंड के वरिष्ठ अधिकारियों से भी अपील की , लेकिन आज तक इस नल जल योजना से दिए गए पानी की आपूर्ति नहीं हुई , इसलिए हम ग्रामीणों को अपनी पेयजल समस्या को पूरा करने के लिए दूसरी जगहों से पानी लाना पड़ता है ।
विस्तार पूर्वक खबर सुनने के लिए ऑडियो क्लिक करें
बिहार राज्य के जमुई जिला के गिद्धौर प्रखंड से बबलू पंडित ने मोबाईल वाणी के माध्यम से "पक्ष विपक्ष -कड़ी संख्या 49" के तहत अपना विचार बताया कि एमएसपी सरकार की नीति (पॉलिसी) है कानून (लॉ) नहीं।इसे सरकार संसद में बिना वोटिंग कराए, जब मर्जी रोक सकती है। अगर एमएसपी के लिए कानून बन जाएगा, तो सरकार तय फसलों को एमएसपी पर खरीदने के लिए मजबूर हो जाएगी। इसके अलावा कई राज्यों में एमएसपी लागू भी नहीं है, जैसे- बिहार। वहां राज्य सरकार ने पैक्स (प्राइमरी एग्रीकल्चर कॉपरेटिव सोसाइटीज) का गठन कर, उसे ही किसानों से अनाज खरीदने का जिम्मा दे रखा है। पैक्स को लेकर हमेशा शिकायतें आती हैं। किसान आरोप लगाते हैं कि उन्हें अपने फसल का उचित मूल्य नहीं मिल रहा है। बिचौलियों को कम कीमत पर फसल बेचनी पड़ती है।इसलिए इनका व्यक्तिगत विचार है कि एमएसपी के लिए कानून बना दिया जाए। सरकारी खरीद एमएसपी पर हो, जो ऐसा न करे उसे सजा मिले। साथ ही अन्य फसलों को भी एमएसपी के दायरे में लाया जाए।विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।
CRISIL के अनुसार 2022-23 में किसान को MSP देने में सरकार पर ₹21,000 करोड़ का अतिरिक्त भार आता, जो कुल बजट का मात्र 0.4% है। जिस देश में ₹14 लाख करोड़ के बैंक लोन माफ कर दिए गए हों, ₹1.8 लाख करोड़ कॉर्पोरेट टैक्स में छूट दी गई हो, वहां किसान पर थोड़ा सा खर्च भी इनकी आंखों को क्यों खटक रहा है? आप इस पर क्या सोचते है ? इस मसले को सुनने के लिए इस ऑडियो को क्लिक करें
देश के किसान एक बार फिर नाराज़ दिखाई दे रहे हैं। इससे पहले साल नवंबर 2020 में किसानों ने केंद्र सरकार के द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों के रद्द करने के लिए दिल्ली में प्रदर्शन किया था और इसके बाद अगले साल 19 नवंबर 2021 को केंद्र सरकार ने तीनों कानून वापस ले लिए थे, हालांकि इस दौरान करीब सात सौ किसानों की मौत हो चुकी थी। उस समय सरकार ने किसानों की कुछ मांगों पर विचार करने और उन्हें जल्दी पूरा करने का आश्वासन दिया था लेकिन ऐसा अब तक नहीं हआ है। और यही वजह है कि किसान एक बार फिर नाराज़ हैं।
Transcript Unavailable.
Transcript Unavailable.
Transcript Unavailable.