बिहार राज्य के गिद्धौर में होलिका दहन पर होली के गीत गाकर हर्सोल्लास से मनाई गई होली।

गिद्धौर (चतरा)रंगों का त्यौहार होली प्रखंड में धूमधाम से मनाया जा रहा है शनिवार को मंझगांवां मुखिया सरिता देवी के आवास पर भव्य तरीके से होली मिलन समारोह का आयोजन किया गया। प्रसिद्ध समाज सेवी नमो नारायण सिंह तथा बसंत सिंह ने होली मिलन समारोह में पहुंच रहे ग्रामीणों,समाजसेवियों तथा गणमान्य लोगों को अबीर गुलाल लगाकर और गले मिलकर होली की बधाई दी। इस दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन भी किया गया जिसमें होली के गीत पर लोग खुब झूमें।साथ ही सामुहिक भोजन का भी आनंद उठाया। वहीं पंचायत के मुखिया सरिता देवी ने समस्त क्षेत्र वासियों को रंगों के पर्व होली की शुभकामनाएं देते हुए कहा। के होली का पर्व आपसी भाईचारे, प्रेम सौहार्द का संदेश देता है। होली पर्व से हमें बुराइयों का रास्ता त्याग कर अच्छाई के मार्ग में चलने की प्रेरणा भी मिलती है। उन्होंने कहा कि होली का पर्व सभी के जीवन में खुशहाली लाए समाज में आपसी भाईचारे कायम रहकर उन्नति का मार्ग प्रशस्त होने की कामना करते हैं। इस मौके पर अजय कुमार सिंह, मिथिलेश कुमार सिंह, विक्रमजीत सिंह, भानु प्रताप सिंह, ईश्वर दयाल सिंह, परमेश्वर साव, सत्येंद्र सिंह, वीर सिंह, अशोक कुमार सिंह, गणेश कुमार सिंह, सहित काफी संख्या में लोग उपस्थित थे।

बिहार राज्य के गिद्धौर प्रखंड के संजीवन ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया की मठ्या गाँव को नेचर विलेज के रूप में जाना जाता है , ऐसा इसलिए है क्योंकि यहां की महिलाएं आत्मनिर्भर होने के साथ - साथ पर्यावरण को बचाने के लिए भी काम करती हैं । गाँव की एक दर्जन से अधिक महिलाएं इस काम में लगी हुई हैं । एक समय था जब गाँव की महिलाओं को बीड़ी बनाने का काम करने के लिए मजबूर किया जाता था । एक साल पहले तत्कालीन तहसीलदार निर्भय प्रताप सिंह ने इस गांव का नाम नेचर विलेज रखा और इसे आगे बढ़ाया । धीरे - धीरे यह गाँव सफलता का एक नया उदाहरण बन गया । आज प्रस्तुति गाँव की महिलाएं नेचर विलेज अभियान के तहत काम कर रही हैं वर्तमान में सभी महिलाएं होली के लिए हर्बल गुलाल तैयार कर रही हैं जम्मू जिले के बाजारों में इन रंगों की मांग बढ़ रही है । आपको बता दें कि मटिया जम्मू जिले के लक्षमीपुर प्रखंड के अंतर्गत आने वाला एक गाँव है जहाँ महिलाएं आत्मनिर्भर हैं । हम गुलाल ( अवीर ) बनाते हैं , हरा गुलाल पालक और कुछ अन्य पत्तियों से बनाया जाता है , नारंगी गुलाल नारंगी और गेंदे के फूलों से बनाया जाता है , लाल और गुलाबी गुलाल चुकंदर से बनाया जाता है । रंगीन गोलाल तैयार किया जाता है । एक रंग का गोलाल तैयार करने में दो दिन लगते हैं । पहले एक दिन में पचास से सत्तर रुपये कमाते थे , आज नेचर विलेज के तहत एक सौ तैंतीस रुपये मिलते हैं , जबकि तत्कालीन संभागीय अधिकारी निर्भय प्रताप सिंह के अनुसार , यहां की महिलाएं आनंदपुर मोहनपुर मटिया और उसके आसपास रहती हैं और उनकी गुलाल की मांग इतनी अधिक है कि पिछले चार दिनों में लगभग पांच कुंतल का ऑर्डर प्राप्त हुआ है । पहली सात महिलाओं को प्रशिक्षित किया गया , जिसके बाद बाकी महिलाओं को पढ़ाया गया । आज के समय में एक दर्जन से अधिक महिलाएं इस काम से जुड़ी हुई हैं और हर्बल गुलाल बनाने के लिए काम कर रही हैं । आय में भी वृद्धि होती रहेगी , उन्होंने कहा कि नौकरी में शामिल होने के बाद उन्होंने कई जगहों पर नेचर विलेज की अवधारणा देखी थी , इस दौरान वे इस क्षेत्र में काम करने वाले कई पुरस्कार विजेता लोगों से भी मिले । आज वह सपना पूरा हुआ है और साकार हुआ है । इसके अलावा , हर्बल गुलाल के लाभों के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि लोग बिना किसी चिंता के इसका उपयोग कर सकते हैं , जबकि बाजार में उपलब्ध रासायनिक गुलाल कई प्रकार की समस्याओं का कारण बन सकता है ।

बिहार राज्य के गिद्धौर के संजीवन ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया की होली की शुरुआत कहाँ से हुई थी

बिहार राज्य के गिद्धौर प्रखंड के संजीवन ने मोबाइल वाणी के माध्यम से होलिका दहन के शुभ मुहूर्त की जानकारी दी है

बिहार राज्य के गिद्धौर के संजीवन ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया की होलिका दहन , जो इस साल रविवार को मनाया जाएगा । आइए जानते है इसके पीछे की पौराणिक कहानी को होली हिंदुओं का एक प्रमुख त्योहार है और पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है । होली में , होलिका दहन की परंपरा भी शुभ मुहूर्त में शाम को की जाती है , जबकि अगले दिन इसे बजाया जाता है , यानी रंगों का त्योहार जिसे धुलिंदी कहा जाता है , और होली भी रंगों के साथ खेली जाती है । होली के त्योहार को छोटी होली के नाम से भी जाना जाता है । लोग इस साल 24 मार्च को यह त्योहार मनाएंगे और इस दिन भगवान नरसिंह की पूजा की जाती है । होली का त्योहार मुख्य रूप से हिरण कश्यप और उनकी बहन होलिका और उनके बेटे द्वारा मनाया जाता है । पहलाद द्वारा संबंधित मारा का कहना है कि पृथ्वी पर एक राजा हुआ करता था जिसका नाम हिरण्यक कश्यप था । उन्हें अपनी शक्तियों पर बहुत गर्व था । वह चाहते थे कि उनकी प्रजा उनकी पूजा करे , न कि किसी देवता की , बल्कि स्वयं हिरण्यक कश्यप की । हिरन कश्यप ने अपने बेटे प्रह्लाद को समझाने की बहुत कोशिश की , लेकिन प्रह्लाद ने अपने पिता की बात नहीं सुनी और यह हिरन कश्यप को पसंद नहीं आया । भगवान विष्णु के प्रति अपनी भक्ति से क्रोधित होकर , हिरण कश्यप ने प्रह्लाद को प्रताड़ित करना शुरू कर दिया , लेकिन फिर भी प्रह्लाद ने भगवान विष्णु के प्रति अपनी भक्ति नहीं छोड़ी । होलिका को आग में न जलने का वरदान नहीं मिला था , इसलिए होलिका प्रह्लाद के साथ आग में बैठ गई । प्रह्लाद श्री हरि विष्णु के प्रति समर्पित रहे । नतीजतन , होलिका स्वयं इस आग में जलकर राख हो गई । और कहा जाता है कि प्रहलाद ने एक भी बाल नहीं खोया है , लेकिन इस घटना की याद में होलिका दहन उत्सव मनाने की परंपरा शुरू हुई ।

बिहार में शिक्षकों को होली पर छुट्टी नहीं मिलेगी ।बिहार के सरकारी स्कूलों में पहली से पांचवीं कक्षा तक के तीस हजार शिक्षक पढ़ाते हैं । इन शिक्षकों की होली की छुट्टी रद्द कर दी गई है ।विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

रमजान मुबारक के महीने में मुस्लिम समुदाय धर्मनिष्ठा के साथ प्रार्थना में लगे हैं। वयस्कों से लेकर बच्चों तक , वे उपवास करके अल्लाह की इबादत में व्यस्त हैं ।विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

गिद्धौर थाना परिसर में होली, लोकसभा चुनाव, रमजान को लेकर शांति व्यवस्था कायम रखने के उद्देश्य से शांति समिति की बैठक संपन्न हुई विस्तार पूर्वक खबर सुनने के लिए ऑडियो क्लिक करें

शुक्रवार देर रात तक पूरे गिधौर प्रखंड में महाशिवरात्रि धूमधाम से मनाई गई । मंदिर बाबा बुरनाथ मंदिर बाबा विकातनाथ मंदिर शिवालय रतनपुर पंचायत शिवालयों में गंगरा पंचायत सेवा पंचायत कोल्हुआ पंचायत सहित अन्य पंचायतों में शिवालयों में शिवरात्रि पर बाबा भोला के भक्तों की पूजा करने के लिए भारी भीड़ देखी गई गिद्धौर प्रखंड भर में महाशिवरात्रि धूमधाम के साथ मनाया विस्तार पूर्वक खबर सुनने के लिए ऑडियो क्लिक करें