ज़िन्दगी के कुछ पलों में लड़को को भी रोने का मन करता है और ऐसे समय में रो लेना कितना ज़रूरी है। पर क्या हमारा समाज इतनी आसानी से लड़कों को रोने की आज़ादी दे दे सकता है ? क्या केबल रोने या न रोने से ही साबित होता है की वो इंसान कितने मज़बूत किरदार का मालिक है ? और क्या इसी एक वाक्य से हम बचपन में ही लिंग भेद का बीज बच्चो के अंदर ने दाल दे रहे है जो पड़े होते होते न जाने कितने और लोगो को अपनी चपेट में ले चूका होता है ! आप के हिसाब से अगर लड़के भी दिलका बोझ हल्का करने के लिए रोयें और दूसरों से नरम बर्ताव करे तो समाज में क्या क्या बदल सकता है ? इस सभी पहलुओं पर अपनी राय प्रतिक्रिया और सुझाव जरूर रिकॉर्ड करें अपने फ़ोन में नंबर 3 दबाकर। और हां साथियों अगर आपके मन में आज के विषय से जुड़ा कोई सवाल हो तो वो भी जरूर रिकॉर्ड करें। हम आपके सवाल का जवाब तलाश कर आप तक पहुंचाने की पूरी कोशिश करेंगे।

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मेरा नाम दिनेश विश्वकर्मा है। जिला वाराणसी से मैं बोल रहा हूँ। मेरा राशन कार्ड उत्तर प्रदेश में महाराष्ट्र में करवाना चाहता हैं। जानकारी चाहिए। धन्यवाद

दिल्ली के सुन्दर नगरी से गीता की राय है कि महिलाओं को प्रॉपर्टी में हिस्सा मिलना चाहिए।मजबूर नही रहना चाहिए

दिल्ली के सूंदर नगरी से सविता मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहती हैं कि महिलाओं को संपत्ति में अधिकार मिलना चाहिए ताकि वह बच्चों के लिए हर फैसले लेते रहें

दिल्ली के सूंदर नगरी से सुशीला मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहती हैं कि महिलाओं को संपत्ति में अधिकार मिलना चाहिए।

दिल्ली के सूंदर नगरी से रीता मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहती हैं कि महिलाओं को संपत्ति में अधिकार मिलना चाहिए ताकि वह बेसहारा न रहें और आर्थिक तौर पर मजबूत बनें

दिल्ली के रोहतासनगर से पूनम मोबाइल वाणी के माध्यम से कहती है कि महिलाओं को संपत्ति में हिस्सा ज़रूर मिलना चाहिए। जब महिलाओं को प्रॉपर्टी में हिस्सा मिलेगा तो वो अपना जीवन अच्छे से जी पाएगी। खुद को सुरक्षित महसूस करेगी और सामाजिक तौर पर स्थिति भी सुधरेगी

दिल्ली के नंदनगरी से पूनम मोबाइल वाणी के माध्यम से कहती है कि महिलाओं को संपत्ति में हिस्सा मिलना चाहिए। पुरुष के बराबर महिलाओं को सम्मान मिलना चाहिए। ताकि वो बच्चों को पालने में सक्षम रहे और उनकी शिक्षा अच्छे से करवा सके