महिलाएं आज समग्र रूप से आत्मनिर्भर होकर समाज एवं देश के समक्ष जीवंत उदाहरण प्रस्तुत करने के साथ ही अपने कामकाजी जीवन और परिवार की हर छोटी बड़ी जरूरतों का ध्यान रखते हुए दोनों में बेहतर सामंजस्य स्थापित करने में भी सफल हो रही हैं। महिलाओं के नौकरी करने के कारण घरों की कई आर्थिक समस्याएं भी दूर हो गयी हैं। लेकिन फिर भी कंपनी/फैक्ट्री में उन्हें काफी भेद-भाव का सामना करना पड़ता है। जैसे- उचित वेतन ना मिलना या प्रोत्साहन का अभाव इत्यादि। कुछ महिलाएं यह सब चुप चाप सहन कर लेती हैं तो कुछ विरोध कर देती हैं।अगर महिलाएं अपनी शक्ति पहचान कर व्यवस्था की खामियों को चुनौती देते हुए उसके खिलाफ आवाज उठाने की हिम्मत जुटा लें, तो फिर उन्हें कोई नहीं रोक सकता।
साथियों,स्वागत है आपका "अब मैं बोलूंगी"कार्यक्रम में. जैसा की आपको पता है कोरोना वायरस की वजह से संगठित क्षेत्रों और असंगठित क्षेत्रों की नौकरियों में भारी कमी आई है। गाँवों से आने वाली महिलाएं दिल्ली, मुंबई, लुधियाना और बंगलुरु जैसे शहरों में रोजाना या मासिक तनख़्वाहों पर काम करती हैं। अक्सर इन महिलाओं और नौकरी देने वालों के बीच किसी तरह का क़ानूनी क़रार या पंजीकरण नहीं होता है। सबसे ज्यादा महिलाएं उत्पादों की पैकेजिंग और कपड़ो की सिलाई-बुनाई जैसे काम करती हैं। आज हम उनके बारे में ही बात करने वाले हैं तो चलिए बिना देर किए शुरू करते है ये खास कड़ी.महिलाएं अगर अपने हुनर से सजृन कर सकती हैं तो उसे मिटाने का अधिकार भी रखती हैं और इस मामले में तो हम पहले ही आपको बता चुके हैं कि कंपनी मजदूरों से बनती है, वहां उनके कर्तव्य हैं तो बहुत से अधिकार भी हैं। अपने अधिकार और हक के लिए एक होना बगावत नहीं कहलाती बल्कि ये ताकत का परिचय देती है। इस विषय पर अगर आपका कोई अनुभव है, तो हमें ज़रूर बताएं अपने फोन में नंबर 3 दबाकर
नमस्कार साथियों,हमें पूरी उम्मीद है कि कोरोना महामारी के इस मुश्किल वक्त में आप अपना और अपनों का ख्याल रख रहे होंगे। याद रखें कि जब भी घर से बाहर जाना हो मुंह में मास्क लगा होना चाहिए और जितना हो लोगों से दूरी बनाकर रखें। साथियों, इसके साथ ही मैं आपको बताना चाहती हूं कि हम "अब मैं बोलूंगी" कार्यक्रम के साथ जल्दी ही और भी नई कहानियां लेकर आ रहे हैं। लॉकडाउन, कामकाजी महिलाओं के लिए दोहरी भूमिका नई चुनौतियां लेकर आई, उनपर बच्चों, परिवार और घर का बोझ हर हाल में बढ़ा था। अभी आप हमें बताइये किस तरह आपने घर-परिवार को संभाला ? वर्तमान में यानि इस कोरोना संकट में आप क्या कर रही हैं ?क्या आपको शहर में काम करने में किसी तरह की कोई परेशानी आ रही है? इससे जुड़ी अपनी राय-प्रतिक्रिया,अनुभव ज़रूर साझा करें नंबर तीन दबाकर। आने वाले रविवार शाम 7 बजे सुनना ना भूलें— "अब मैं बोलूंगी" धन्यवाद.
दिल्ली एनसीआर के नोएडा से कांता प्रसाद ,साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि उन्हें अब मैं बोलूंगी कार्यक्रम अच्छा लगा। उनके अनुसार सभी परिवार में पति और पत्नी के बीच ऐसी ही सामंजस्य बनाए रखने की आवश्यकता है। अगर पुरुष अपनी पत्नी का हर एक कामों में सहयोग करते है तो महिला को प्रोत्साहन मिलता है। ऑडियो पर क्लिक कर सुनें इनकी राय।
उत्तर प्रदेश राज्य के ग़ाज़ीपुर जिला से हमारे श्रोता साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे है कि साझा मंच पर चलने वाला कार्यक्रम अब मै बोलूंगी कार्यक्रम बहुत अच्छा लगा
मध्यप्रदेश राज्य के ग्वालियर ज़िला से मुकुंद यादव ने साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि उन्हें अब मैं बोलूँगी कार्यक्रम अच्छी लगी। उन्होंने कहा कि महिलाओं के साथ यौन शोषण हर जगह होता है चाहे वो घर हो या कार्यालय। महिलाएँ इस मुद्दे पर आवाज़ ही नहीं उठा पाती है। ऑडियो पर क्लिक कर सुनें इनकी विचार ।
दिल्ली नोयडा 68 से कांता प्रशाद साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं कि हमें देश के हर कोने की नारियों का सम्मान करना चाहिए।
बिहार नवादा से मुकेश कुमार साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं कि मानसिक विकृति को छोड़कर हर स्तर पर व्यापार करना गैर कानूनी है, क्योंकि महिलाओं की इज्जत सर्वोत्तम है।
उत्तरप्रदेश राज्य से सिद्धार्थ,साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि काम चाहे जो भी हो ,सभी को सामान सम्मान मिलना चाहिए। ऑडियो पर क्लिक कर सुनें सिद्धार्थ के विचार ।
हमारे एक श्रोता राधेश्याम,साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि देह व्यापार व्यक्ति के इच्छा के ऊपर निर्भर करता है ना की उसकी मजबूरी पर। ऐसा देह व्यापार गलत है जहाँ व्यक्ति की मर्जी के अनुसार न हो