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राजधानी दिल्ली से उमेश कुमार जी साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते है कि वे एक निजी कंपनी में कार्यरत है। उन्हें उस कंपनी के द्वारा 3 महीने से वेतन नहीं दिया गया है।कंपनी के द्वारा उन्हें कहा जा रहा है की अब उनका वेतन नहीं दिया जायेगा क्योकिं वे काम पर नहीं थे। परन्तु उन्होंने बताया की जिस रजिस्टर में उनका हाजरी चढाई जाती थी वो रजिस्टर को भी बदल दिया गया है। उस रजिस्टर में उन्हें आप्सेंट दिखाया गया है।परन्तु उन्होंने बताया की वे पंच मशीन में प्रतिदन पंचिग किया है। उन्होंने बताया की उन्हें होली त्यौहार पर घर जाना है ,क्योकि उनके बाल बच्चे हैं आर वो घर पर पैसा नहीं भेजेंगे तो उन्हें बहुत दुःख होगा। इसलिए उन्होंने अपने पैसे कंपनी से निकलवाने की गुजारिश की है
दिल्ली नोयडा से वीर सिंह साझा मंच के साथ बताते हैं कि ये सीटीए कम्पनी में एक्सपोर्टिंग का काम करते हैं। जब मजदूरों को पैसा मिलता है तो उससे शराब पिलाने को कहा जाता है और धमकी भी दी जाती है कि शराब नहीं पिलाओगे तो काम से निकाल दिया जाएगा
सचिन कुमार नोयडा से साझा मच के माध्यम से बताते हैं कि ये आकाश लॉजिस्टिक प्राइवेट कम्पनी में काम करते हैं जहाँ ना तो समय से वेतन मिलता है और ना ही पीएफ या ईएसआई काटा जाता है। वेतन मांगने पर धमकी दी जाती है।
उत्तर प्रदेश के ग्र्रेटर नॉएडा से देशराज जी ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि ये पिछले 2 साल पहले एक कंपनी में काम करते थे और उस कंपनी ने उन्हें यह कहते हुए नौकरी से निकाल दिया कि हम अपनी कंपनी को बंद कर रहे है और आपको दूसरी कंपनी में शिफ्ट कर रहे है,जो हमलोग नया खोल रहे है । और साथ ही उनसे कुछ अनजाने से महत्वपूर्ण कागज़ो पर इनसे हस्ताक्षर भी करवा लिए।लेकिन 2 3 महीने बाद इन्हे और इनके साथ के मज़दूरों को पता लगा कि इनके कंपनी ने धोखे से नौकरी से इस्तीफे वाले पेपर पर हस्ताक्षर करवा लिए।इसके बाद उन्होंने दूसरी कंपनी में नौकरी शुरू की और यहाँ भी इन्हे पिछले 5 महीने से महीने की तनख़्वाह नहीं मिली है। साथ ही कंपनी द्वारा इनका पीएफ भी नहीं काटा जाता है
नोयडा से देश राज जी बताते हैं कि इन्हे कम्पनी में कार्य करते डेढ़ वर्ष हो गया है लेकिन ना ही कम्पनी के द्वारा पीएफ काटा जाता है और ना ही परमानेंट किया जाता है। समय पर वेतन भी नहीं मिलता है छः का माह वेतन नहीं मिलने के कारण काफी परेशानी होती है। कोई उपाय बताया की मदद के लिए कहां जाना होगा।
दिल्ली एनसीआर के नोएडा के कासना इंडस्ट्रियल एरिया से हमारे संवाददाता रफ़ी ने साझा मंच के माध्यम से जहांगीर खां जी से बातचीत की । इस बातचीत में जहांगीर खां ने बताया कि वो एक इंडस्ट्री में चालक थे। उन्हें वहाँ से यह कह कर निकाल दिया कि आपसे गाड़ी का एक्सीडेंट हुआ है और साथ ही 2 महीनो का तनख्वाह भी नहीं दिया गया। बच्चे बीमार थे तो उन्होंने उनका इलाज के लिए पैसे मांगे तो उन्हें पैसे नहीं दिया गया। कंपनी वाले बोलते है कि सब हिसाब बराबर हो गया। साथ ही वो बताते है कि ऐसा लगभग सभी जगह पर हो रहा है और साथ ही उन्हें कोई भी नियुक्ति पत्र दिया गया है।और काम के नाम में कंपनी के मज़दूरों से 24-24 घंटे काम लिया जाता हैं और उन्हें तनख्वाह भी समय में नहीं दिया जाता हैं ।
दिल्ली एनसीआर के नोयडा कासना से हमारे संवाददाता रफ़ी ने साझा मंच के माध्यम से नोयडा कासना के निवासी कुलदीप जी से बातचीत की। कुलदीप जी ने बताया कि वे जनवरी से मार्च तक ठेकेदारी के माध्यम से एक कम्पनी में काम करते थे। जहाँ वह सिरिंच पैकिंग का काम करते थे। लेकिन अब कम्पनी वेतन देने से मना कर रही है। कार्य करते दौरान कोई भी नियुक्ति पत्र नहीं दिया गया था केवल एक कार्ड मिला था , वो भी हाज़री वाला । हाजरी वाला कार्ड काम करने के बाद घर जाने के वक़्त ले लिया जाता था।कम्पनी के द्वारा प्रति माह एक हजार रूपए पीएफ के लिए काटा जाता था लेकिन उसका भी कोई नंबर नहीं मिला। पीएफ सम्बंधित बात करने पर कंपनी द्वारा कोई भी जानकारी देने से इंकार कर दिया जाता है । यहाँ तक कि वेतन भी प्रत्येक माह नहीं दिया जाता था। और महीने की सैलेरी खाते में ना देकर हाथ में दिया जाता है
दिल्ली एनसीआर के नोयडा कासना से हमारे संवाददाता रफ़ी ने साझा मंच के माध्यम से सुनीता जी से बातचीत की।इस बातचीत में सुनीता जी ने बताया कि वे जिस कम्पनी काम करती है , वहां महिलाओं से सिरिंच पैकिंग का कार्य कराया जाता है । कंपनी ने शुरू में बताया कि 8 दिन से पहले किसी को भी पैसे नहीं मिलते है। परन्तु बाद में वहाँ कार्य कर रही महिलाओं ने यह बताया कि यहाँ किसी को भी एक महीने के बाद ही पैसे मिलते हैं। इस कम्पनी में 12 घंटे तक काम कराया जाता था और छुट्टी शाम में 7.30 बजे मिलती थी। साथ ही ओवरटाइम काम करने पर कोई पैसे नहीं दिए जाते थे।लेकिन इन्होंने 1 दिन ही काम करने के बाद यहाँ से काम करना छोड़ दिया