दिल्ली एनसीआर के कापसहेड़ा से नन्द किशोर की बातचीत श्रमिक वाणी के माध्यम से शैलेश पांडेय से हुई। शैलेश बताते है कि देश के लोगों को किसी भी प्रान्त में जा कर रहने ,खाने और काम करने की आज़ादी है। लेकिन प्रतिबंधित हो कर रहना एक तरह से गुलामी ही कहलाता है। जैसे श्रमिक किसी भी कंपनी में काम करते है तो एक तरह से दायरे में उन्हें रहना पड़ता है। श्रम कानून को कंपनी मानती नहीं है और अपनी मनमानी करती है।सरकारी कार्य करवाने पर भी परेशानियों का सामना करना पड़ता है , हर तरफ भ्रष्टाचारी होती है। सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए ,अपने देशवासियों की देखरेख करनी चाहिए।