हम सभी को पता है कि मजदूर कंपनियों की पूंजी बढ़ाने के लिए दिन-रात की परवाह किए बिना हाड़तोड़ मेहनत करते हैं। हम यह भी जानते हैं कि अधिकारियों द्वारा उनकी मजबूरी का फायदा उठाकर कम मेहनताने में अधिक समय काम कर अत्यधिक उत्पादन करने का दबाव भी बनाया जाता है और विडम्बना यह कि बिना किसी कारण के उनका वेतन भी काट लिया जाता है। जहाँ एक तरफ़ लॉक डाउन के बाद से ही हमारे मज़दूर साथियों की रोज़ी-रोटी के ऊपर काले बादल मंडरा रहे हैं, तो वहीं दूसरी ओर उनके मेहनताने और पीस रेट में लगातार हो रही कटौती ने उनकी थाली में से निवाले कम कर दिए हैं। आइए, आगे हमारे श्रमिक साथी क्या कह रहे हैं जानने की कोशिश करते हैं- सुना आपने! किस तरह कम्पनियाँ लॉकडाउन का हवाला देकर मनमाने तरीके से रेट तय कर रही हैं! अभी आप भी हमें बताइये कि लगातार घट रहे पीस रेट से आने वाले दिनों में आप लोगों को किस तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है? लॉकडाउन के बाद पीस रेट में किस तरह का अंतर आया है? क्या एक ही जैसा काम करने के बाद भी अलग-अलग कम्पनियों के पीस रेट में अंतर होता है? इस विषय पर अपना विचार हमसे ज़रूर साझा करें, अपने फ़ोन में नंबर 3 दबाकर