तमिलनाडु राज्य के तिरुपुर ज़िला के सिडको से अरुण कुमार की बातचीत विश्वनाथ से साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से हुई। विश्वनाथ ने बताया कि वो कॉटन ब्लॉसम में 12 साल से काम कर रहे है। उन्होंने अपना काम हेल्पर के पद से शुरू किया था ,अब वो कांट्रेक्टर बन चुके है। पहले मौखिक तौर पर ही कंपनी व श्रमिक के बीच वेतन,सुविधा आदि की बातें होती थी ,अब के समय में उनके नीचे जो श्रमिक काम करते है उन्हें आई डी कार्ड ,प्रूफ,ईएसआई,पीएफ आदि सभी चीज़ की सुविधा मिलने लगी। अभी कंपनी में काम नहीं रहने के कारण उन्हें कम वेतन मिल रहा है। कंपनी में पीस रेट का डिमांड आ रहा है परन्तु श्रमिक की कमी है। सिडको की कई कंपनियों के कॉन्ट्रैक्टर अपने श्रमिकों को कंपनी पर मौखिक तौर से वार्तालाप कर,उन्हें तमाम सुविधा के साथ वेतन देने की बात कर, गाड़ी भेजवा कर वापस बुलाने का प्रयास कर रही है परन्तु कॉटन ब्लॉसम अभी कोरोना के कारण श्रमिकों को बुलाने का कोई पहल नहीं कर रही है।जब तक देश में कोरोना बना रहेगा तब तक कंपनी की ऐसी ही स्थिति कायम रहेगी।विश्वनाथ ने यह भी बताया कि कॉटन ब्लॉसम में सभी श्रमिकों को वेतन के साथ राशन की सुविधा भी दी गई थी।