गुरुग्राम से विष्णु चौधरी साझा मंच मोबाईल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि मज़दूरों को संगठित होने की ज़ारूरत है और इन्हें अपना मालिक खुद होना चाहिए। लॉक डाउन के दौर में हुए क़र्ज़ों को चुकाते हुए मज़दूर कैसे खाएगा, कैसे जिएगा? कम्पनियाँ पीएफ घोटाला कर इनका पैसा खा जाती हैं, फिर इन्हें उसे पाने के लिए कोर्ट-कचहरी के चक्कर काटने पड़ते हैं।