झारखण्ड राज्य के देवघर जिले के हरकुल गाँव से शशिभूषण राय मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि लोग धरती की भीषण गर्मी से राहत चाहते हैं। इन दिनों जल स्तर काफी नीचे जा रहा है। और ऐसी कोई सुविधा नहीं है जो तुरंत बंद करने के लिए खराब चापाकल हो, लेकिन कई बार हमने मोबाइल वाणी के माध्यम से यह कहा है कि पेपर जिले के ग्राम ब्लॉक हर कुलगाम में एक चापाकल। बाकी दिन गरत है योकलताल से बने होते हैं और लगभग बीस से तीस घरों की आबादी वाला एक मसुरिया गाँव है जो हरजल होलाग है। लोगों को पानी से बहुत परेशानी होती है, वे इसे प्राथमिक विद्यालय बसरिया बसौरिया से स्कूल के प्रांगण में छापते हैं, जब स्कूल खुलता है, तो वे वहां से पानी पीने और खाने के लिए लेते हैं। ऊपर के बैगेल से पानी का उपयोग किया जाता है और सभी को अपने स्वास्थ्य का भी ध्यान रखना चाहिए कि उन्हें पानी की समस्या के लिए पैसे न देने पड़ें, जल जीवन मिशन के तहत भी काम चल रहा है, बल्कि यह सुलत तोलाग हर घर नल योजना है।

नासिक में रहने वाली मयूरी धूमल, जो पानी, स्वच्छता और जेंडर के विषय पर काम करती हैं, कहती हैं कि नासिक के त्र्यंबकेश्वर और इगतपुरी तालुका में स्थिति सबसे खराब है। इन गांवों की महिलाओं को पानी के लिए हर साल औसतन 1800 किमी पैदल चला पड़ता है, जबकि हर साल औसतन 22 टन वज़न बोझ अपने सिर पर ढोती हैं। और ज्यादा जानने के लिए इस ऑडियो को क्लिक करें।

झारखण्ड राज्य के देवघर जिले अकुल गाँव से शशि भूषण मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि इन दिनों लोग गर्मी से छुटकारा पाना चाहते हैं और पानी का किला चाहते हैं। ऐसी कई चपलाएँ भी खराब हैं, सरकार को इसका ध्यान रखना चाहिए, सरकार को ऐसी चपलाएँ खराब करनी चाहिए, जिन्हें जल्द से जल्द चालू किया जाना चाहिए। ताकि लोगों को पीने के पानी, पानी लेने, आसानी से नहाने की समस्या न हो और गर्मी के दिनों में यह समस्या बहुत हो।

झारखण्ड राज्य के रामगढ़ से डॉ आशीष कुमार मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि नकारी कॉलोनी के नागरिकों को पीने का पानी नहीं दिया जा रहा है जिससे उन्हें काफी परेशानी हो रही है

हमारी सूखती नदियां, घटता जल स्तर, खत्म होते जंगल और इसी वजह से बदलता मौसम शायद ही कभी चुनाव का मुद्दा बनता है। शायद ही हमारे नागरिकों को इससे फर्क पड़ता है। सोच कर देखिए कि अगर आपके गांव, कस्बे या शहर के नक्शे में से वहां बहने वाली नदी, तालाब, पेड़ हटा दिये जाएं तो वहां क्या बचेगा। क्या वह मरुस्थल नहीं हो जाएगा... जहां जीवन नहीं होता। अगर ऐसा है तो क्यों नहीं नागरिक कभी नदियों-जंगलों को बचाने की कवायद को चुनावी मुद्दा नहीं बनाते। ऐसे मुद्दे राजनीति का मुद्दा नहीं बनते क्योंकि हम नागरिक इनके प्रति गंभीर नहीं हैं, जी हां, यह नागरिकों का ही धर्म है क्योंकि हमारे इसी समाज से निकले नेता हमारी बात करते हैं।

जल ही जीवन है। यह पंक्तियाँ हम बचपन से सुनते आ रहे हैं। आज के समय में जब दुनिया शुद्ध जल की कमी से जूझ रही है, यह पंक्तियाँ और सार्थक हो जाती हैं। भारत में जल संकट लगातार गहराता जा रहा है। कई राज्य हैं जो भूजल की कमी के चरम बिंदु को पार कर चुके हैं। हर साल 22 मार्च के दिन विश्व जल दिवस मनाया जाता है। यह दिन हमारे जीवन में जल के महत्व और उसके संरक्षण को समर्पित है।इस विश्व जल दिवस पर पानी की बर्बादी को रोके और जल को प्रदूषित होने से बचाये। मोबाइल वाणी के पुरे परिवार की ओर से आप सभी को विश्व जल दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।

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साथियों गर्मी का मौसम आने वाला है और इसके साथ आएगी पानी की समस्या। आज की कड़ी में लाभार्थी रोहित से साक्षात्कार लिया गया है जो जल संरक्षण पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे है।

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