झारखण्ड राज्य के धनबाद जिला के बाघमारा प्रखंड से बीरबल महतो मोबाइल वाणी के माध्यम से एक बुजुर्ग महिला संजुति देवी की सफलताओं पर आधारित एक कहानी जिसमें बढ़ चढ़ कर नारी शक्ति की प्रशंसा की गई हैं।धनबाद जिला की रहने वाली संजुति देवी ,घर-गृहस्ती संभालते हुए अपना जीवन लोगों की सेवा में निकाल दी और इसी पर बीरबल महतो ने कुछ बोल प्रस्तुत किए हैं उनकी निपक्ष कार्यों की प्रशंसा करते हुए।
नमस्कार ,आदाब साथिओं,कैसे हैं आप सब..? बरसात के मौसम का आनंद चाय पकोड़ों के साथ ले रहे हैं न ?हम्म्म गरमा गरम प्याज, बेईगान, कद्दू, पालक या फिर मिली झूली सब्जियों के पकौड़े... हम्म्म पानी आ जाता है ना मूह मे? पर ज़रा ये बताइये कि पकोड़ों के लिए जब सब्जियाँ खरीदते हैं ,तो क्या किसानों की याद आती है ?जो अनगिनत चुनौतिओं को झेलते हुए हमारे लिए अनाज,सब्जियाँ,फल इत्यादि की खेती करते हैं। और जब बात हो रही है चुनौतियों की ,तो इस राज्यों मे किसानों के लिए अपर्याप्त सिंचाई व्यवस्था ही शायद सबसे बड़ी चुनौती है। बिलकुल सही समझा दोस्तों आपने ,इस सप्ताह हम जनता की रिपोर्ट चर्चा मंच पर बात करेंगे बारिश पर आश्रित हमारे कृषि क्षेत्रा के बारे मे. साथिओं चीन के बाद भारत ही वो दूसरा देश है जहाँ सिचाई की सब से अच्छा प्रबंध है पर फिर भी इस देश के कई ऐसे भाग है जहाँ के अधिकतर किसान सिचाई सुविधा के अभाव मे खेती करने के लिए बारिश पर निर्भरशील रहते हैं। ओर अगर बारिश समय से नही हुई तो सारा फसल बर्बाद! अब ऐसे मे किसान करे तो क्या करे? पर क्या इस समस्या से जूझने के लिए कोई ओर विकल्प है...?हालाँकि , एक जागरूक नागरिक होने के नाते आप को सिचाई से जुड़ी सरकारी योजनाओं की जानकारी होगी पर उन किसानों तक ये जानकारियाँ कहा तक पहुँच पाती है जिन्हे इनकी सब से ज़्यादा ज़रूरत है?सिचाई से जूझते हुए हमारे समाज ओर सरकारो ने खेती के कई ओर रूप विकसित किए है, जैसे की फल ओर फुलो की बाग़बानी, खेती के साथ साथ मछली पालन या मवेशी वा मुर्गी पालन पर क्या ये सब आजीविका के विकल्पो की जानकारी लोगो तक प्रभावी रूप से पहुँच पाई है? ओर अगर जानकारी पहुँची है तो क्या लोगो ने इन्हे स्वीकार किया है..? क्या आप के समुदाय मे लोगो ने ऐसे विकल्पो का स्वागत किया है? वैसे तो सिचाई प्रक्रिया काफ़ी आसान सीबरसात के मौसम का आनंद चाय पकोड़ों के साथ ले रहे हैं न ?हम्म्म गरमा गरम प्याज, बेईगान, कद्दू, पालक या फिर मिली झूली सब्जियों के पकौड़े... हम्म्म पानी आ जाता है ना मूह मे? पर ज़रा ये बताइये कि पकोड़ों के लिए जब सब्जियाँ खरीदते हैं ,तो क्या किसानों की याद आती है ?जो अनगिनत चुनौतिओं को झेलते हुए हमारे लिए अनाज,सब्जियाँ,फल इत्यादि की खेती करते हैं। और जब बात हो रही है चुनौतियों की ,तो इस राज्यों मे किसानों के लिए अपर्याप्त सिंचाई व्यवस्था ही शायद सबसे बड़ी चुनौती है। बिलकुल सही समझा दोस्तों आपने ,इस सप्ताह हम जनता की रिपोर्ट चर्चा मंच पर बात करेंगे बारिश पर आश्रित हमारे कृषि क्षेत्रा के बारे मे. साथिओं चीन के बाद भारत ही वो दूसरा देश है जहाँ सिचाई की सब से अच्छा प्रबंध है पर फिर भी इस देश के कई ऐसे भाग है जहाँ के अधिकतर किसान सिचाई सुविधा के अभाव मे खेती करने के लिए बारिश पर निर्भरशील रहते हैं। ओर अगर बारिश समय से नही हुई तो सारा फसल बर्बाद! अब ऐसे मे किसान करे तो क्या करे? पर क्या इस समस्या से जूझने के लिए कोई ओर विकल्प है...?हालाँकि , एक जागरूक नागरिक होने के नाते आप को सिचाई से जुड़ी सरकारी योजनाओं की जानकारी होगी पर उन किसानों तक ये जानकारियाँ कहा तक पहुँच पाती है जिन्हे इनकी सब से ज़्यादा ज़रूरत है?सिचाई से जूझते हुए हमारे समाज ओर सरकारो ने खेती के कई ओर रूप विकसित किए है, जैसे की फल ओर फुलो की बाग़बानी, खेती के साथ साथ मछली पालन या मवेशी वा मुर्गी पालन पर क्या ये सब आजीविका के विकल्पो की जानकारी लोगो तक प्रभावी रूप से पहुँच पाई है? ओर अगर जानकारी पहुँची है तो क्या लोगो ने इन्हे स्वीकार किया है..? क्या आप के समुदाय मे लोगो ने ऐसे विकल्पो का स्वागत किया है? वैसे तो सिचाई प्रक्रिया काफ़ी आसान सी प्रतीत होती है पर जब इसकी परिकल्पनाओं को सरकारी दफ़्तरो से गुज़रना पड़ता है तो काफ़ी समय लग जाता है परिकल्पना को सही दिशा देने मे. ओर सही दिशा मिलने के बाद काम शुरू होने ओर समाप्त होने के बीच समय का एक बड़ा फासला आ जाता है. ऐसे मे कामो का सही से क्रियान्वयन करने मे हमारे समुदाय की क्या भूमिका बनती है..? क्या आप ने कभी ऐसे किसी सामाजिक कार्यों मे योगदान दिया है जिससे आप के समुदाय मे किसी की सिचाई की समस्या का समाधान हुआ हो..? कैसा रहा आप का अनुभव? प्रतीत होती है पर जब इसकी परिकल्पनाओं को सरकारी दफ़्तरो से गुज़रना पड़ता है तो काफ़ी समय लग जाता है परिकल्पना को सही दिशा देने मे. ओर सही दिशा मिलने के बाद काम शुरू होने ओर समाप्त होने के बीच समय का एक बड़ा फासला आ जाता है. ऐसे मे कामो का सही से क्रियान्वयन करने मे हमारे समुदाय की क्या भूमिका बनती है..? क्या आप ने कभी ऐसे किसी सामाजिक कार्यों मे योगदान दिया है जिससे आप के समुदाय मे किसी की सिचाई की समस्या का समाधान हुआ हो..? कैसा रहा आप का अनुभव?
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झारखंड राज्य के बोकारो ज़िला के जरीडीह प्रखंड से शिव नारायण महतो मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं कि पेड़ और जंगल प्राकृतिक का दिया हुआ बहुत ही अनमोल और खूबसूरत तौफा है इसके बिना जीवन अधूरा है। सरकार द्वारा वृक्ष रोपण कार्यक्रम को बढ़ावा दिया जा रहा है मगर जागरूकता के अभाव में लोग वृक्ष लगाने के बजाय वन को काटने में लगे हैं स्कूल कॉलेज एवं सरकारी दफ्तरों में अधिकारी बस 2-4 पेड़ लगाते हुए अपनी तस्वीर खिंचवा कर वृक्ष रोपण कार्यक्रम सम्पन्न कर देते हैं। आज ज़रूरत है कि पर्यावरण के बारे मे सभी लोगों को जागरूक करने की। साथ ही सभी को यह समझाना होगा कि वृक्ष और हरे भरे वन हमारे लिए उतना ही महत्वपूर्ण है जितना की सांस लेने के लिए फेफड़े। वन जल सोधन के रूप मे भी कार्य करते हैं, वन क्षेत्र मे ठंडी हवा मंद गति से बहती है तो लोग अपने आप को काफ़ी तरो ताज़ा ओर प्रसन्न महसूस करते हैं। उन्होंने प्रशासन को सुझाव देते हुए कहा कि प्रशासन द्वारा सड़कों के किनारे वृक्ष लगाना चाहिए क्योंकि वृक्ष प्रदूषण को कम करती है तथा अधिक वर्षा होने मे भी मदद करती है। वन संरक्षण होना बहुत ज़रूरी है,क्यूंकि वन पर्यावरण के संरक्षक होने के साथ-साथ प्राकृतिक जीवन के मुख्य आधार भी हैं
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि हमारा देश एक विकासशील देश है और काफी तेजी से सड़कों का निर्माण हो रहा है जहाँ हर गांव और कस्बों को मुख्य सड़कों से जोड़ने की मुहीम भी चल रही है जिससे लोगों को काफी सुविधा भी मिली लेकिन दोस्तों, अगर सिर्फ सड़कों का निर्माण हो और एक समय के बाद मरम्मत न किया जाये तो सड़कें टूट जाती है ,जगह -जगह पर गड्ढे हो जाते हैं , और गड्ढे भी ऐसे की कभी पता ही नही चलता की सड़क पर गड्ढा है या गड्ढे पर सड़क है. लेकिन बात चाहें जो भी हो इसका सीधा असर हमारा जनजीवन पर पड़ता है बावजूद इसके 5-5 सालों तक सड़कों का मरम्मत कार्य नही किया जाता है आखिर क्यूँ ? क्या आपके समुदाय में सड़कों की स्थिति ऐसी ही है? दोस्तों, सदके खराब होने से अवगमन में परेशानी तो होती ही लेकिन इससे लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी किस तरह से प्रभावित होती है ? दोस्तों, यह भी सच है कि हमारे देश मे किसी भी सरकारी कार्य को पूरा करने या कराने के लिए एक लम्बी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है, इसमें सड़कों का निर्माण और मरम्मत कार्य भी शामिल है , तो ऐसे में प्रशासन को क्या करना चाहिए जिससे सड़कों की मरम्मति समय समय पर होती रहे है ? दोस्तों आप तो जानते ही हैं कि सड़कों पर हम इंसानों के साथ साथ मवेशी एवं तरह तरह के जिव जंतु भी आवागमन करते हैं और ऐसे में सड़क दुर्घटनाएं होना आम बात होती है , ऐसे में प्रशासन के साथ आम जनता को क्या करना चाहिए जिससे सड़क दुर्घटनाओं को कम किया जा सके? साथ ही दोस्तों, आप हमे बताये कि आपके क्षेत्र में लोगों द्वारा श्रम दान कर सड़क निर्माण या मरम्मत कार्य में की जा रही हो जिसमे आपने अपनी भागीदारी निभाई है ? अगर हां तो आपको ऐसा करने की प्रेरणा कहा से मिली?
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