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झारखण्ड राज्य के हज़ारीबाग जिला के तीक नारायण प्रसाद झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि बरसात का दिन राहत तो देता हैं परन्तु व्रजपात की घटना को भी न्योता देता हैं। बरसात के मौसम में अक्सर कई जगह व्रजपात की घटना दखने को मिलती हैं। इससे बचने के लिए कुछ महत्वपूर्ण बातों को ध्यान में रखनी चाहिए। जैसे ,बारिश के दौरान धातु वाले छाते को प्रयोग में ना लाए। बारिश से बचने के लिए पेड़ों के नीचे शरण ना ले। इसके जगह खाली स्थान पर दोनों एड़ियों को सटा कर जमीं में बैठ जाए और अंगूठे से दोनों कानो को बंद कर ले। अगर कोई व्रजपात की चपेट में आ जाए तो उन्हें तुरंत गोबर की ढेर में गर्दन से नीचे डाल कर रख दे या जल्द ही निकट के अस्पताल में प्राथमिक उपचार के लिए ले कर जाए।
झारखण्ड राज्य के हज़ारीबाग जिला से रुस्तम खान झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि बरसात के दिनों में आकाशीय बिजली अक्सर जानलेवा साबित होती है। खेतों में काम करने वाले, पेड़ों के नीचे पनाह लेने वाले, तालाब में नहाते समय बिजली चमकने पर इसकी आगोश में आने की संभावना अधिक रहती है।लेकिन कुछ उपाय को अपना कर आकाशीय बिजली से बचा जा सकता है।उदाहरण के लिए,वज्रपात के दौरान पेड़ के नीचे न खड़े हों तथा बिजली के खंभों और वृक्षों से दूर रहें ।साथ ही धात्विक वस्तुओं से भी दूर रहना चाहिए ।इस दौरान विद्युत उपकरणों का उपयोग बिलकुल न करें।मोबाइल व टेलीफोन का उपयोग करने से बचें । वज्रपात की घटना से बचाव के लिए भवनों एवं सार्वजनिक इमारतों के ऊपर तड़ित चालक यंत्र लगावाना चाहिए।बज्रपात के चपेट में आने पर जरूरत के अनुसार व्यक्ति को तत्काल प्राथमिक चिकित्सा देने की व्यवस्था करनी चाहिए।
झारखण्ड राज्य के हजारीबाग जिला से बलराम शर्मा झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते है कि त्याग, तपस्या एवं कठिन परिश्रम का दूसरा नाम किसान है। हमारा देश एक कृषि प्रधान देश है जहां लगभग सत्तर प्रतिशत जनसंख्या आज भी खेती पर निर्भर है। यही वजह है कि हमारे देश में जहां भी देखो गांव ही गांव एवं दूर-दूर तक फैले हुए खेत नजर आते हैं। तपती धूप हो या कड़ाके की सर्दी पड़ रही हो किसान अपने खेतों में काम करते हुए दिखते हैं । किसानों की पूरी जिंदगी मिट्टी से सोना उपजाने की कोशिश में निकल जाती है।किसानों का मुख्य व्यवसाय कृषि अर्थात खेती होती है और मेहनती किसान बिना किसी शिकायत के अपने खेतों में मेहनत करता रहता है।खेतों में फसल उपजाना कोई आसान काम नहीं और फसल की बुआई, फसल की देखभाल, उसकी कटाई और फिर तैयार फसल को बाजार में बेचने जैसी तमाम कोशिशें किसानों को लगातार करते रहना पड़ता है।परन्तु इतनी कड़ी महेनत के बाद भी किसानों को उत्पादित फसल का उचित मूल्य नहीं मिल पता है। यह कहानी है झारखण्ड राज्य के हजारीबाग जिला की जहाँ पर मौसम के अनुसार अधिक मात्रा में किसान सब्जी की खेती करतें हैं।यहाँ पर मुख्य रूप से टमाटर , भिंडी ,खीरा ,लौकी करेला तथा आलु का खेती की जाती है , परन्तु जब किसान अपने द्वारा उपजाए हुए सब्जी को जिला के मंडी में बेचने जाते हैं, तो उन्हें मजबूरन मंडी के साहूकार को कम मूल्यों में सब्जी बेचना पड़ जाता है। जिसका ख़मियाज किसानों को उठाना पड़ता है, जिससे उनका पूरा परिवार प्रभावित होता है। अतः सरकार को जिला के मंडियों में सरकारी कर्मचारी की नियुक्ति करनी चाहिए तथा फसलों का उच्च समर्थन मूल्य एवं आसान ऋण की उपलब्धी सरकार को सुनिश्चित करनी चाहिए।
झारखण्ड राज्य के हज़ारीबाग जिला से झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से रुपेश राज बताते है कि झारखण्ड राज्य के किसान अपने खेतों में विभिन्न प्रकार के साग सब्जी का उत्पादन करतें हैं।इस खेती के माध्यम से यहाँ के किसान अपना और अपने परिवारवालों का भरण -पोषण करतें हैं ,परन्तु किसानों को उत्पादित किया हुआ सब्जी का उचित मूल्य नहीं मिलने के कारण किसान भाई को घाटे का सामना करना पड़ता है। कई किसान ऐसे हैं जो सब्जी की खेती करने हेतु बैंक से ऋण लेते हैं और सही मूल्य नहीं मिलने के कारण वे कर्ज की गठरी में फसतें चले जाते है। झारखण्ड में सब्जी के बिक्री के लिए कोई सरकारी मंडी नहीं है। साथ ही राज्य के कई गाँव ऐसे है जहां पर यातायात के कोई साधन नहीं है,जिसके कारण किसानों को सब्जी बेचने के लिए काफी परेशानी होती है।अतः सरकार को चाहिए कि वे किसानों को सुविधा मुहैया कराने के साथ -साथ लागत के अनुसार उचित मूल्य देने का भी लक्ष्य रखें तथा सरकारी मंडियों का निर्माण करें ताकि किसानों की समस्या का निराकरण हो और वे कर्ज के बोझ तले दबकर कभी भी आत्महत्या करने के लिए मजबूर न हो ।
झारखण्ड राज्य के बोकारो जिला से झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से राजेस्वर महतो ने बताया की देश का भविष्य माने जाने वाला युवा वर्ग आज अपराध के दलदल में धंसता जा रहा है। आज बहुत कम युवाओं में भाग्य व कर्म के भरोसे रहने का स्वभाव पाया जाता है। अब युवाओं में न तो संस्कार है और न ही सहनशीलता। धन ही सब कुछ हो गया है। धन ही स्टेटस सिंबल बन गया है। आज का युवा वर्ग ढेर सारी भौतिक सुख-सुविधाओं के बीच जीवन व्यतीत करने का आदी हो चुका है और वह इससे भी ज्यादा भौतिक सुख-सुविधाएं हासिल करने की अंधी दौड में शामिल है। अपने लक्ष्य को पाने एवं शिखर पर पहुंचने के लिए अपना सबकुछ दांव पर लगाने आतुर रहता है। उद्दंडता, उच्छृंखलता और अनुशासनहीनता आज बिल्कुल सामान्य हो गई है।साथ-साथ सामाजिक, आर्थिक, शैक्षिक, आधुनिक संस्कृति, मनोवैज्ञानिक एवं पारिवारिक कारक भी ऐसे हैं जो अपराध की ओर उन्मुख करते हैं।
झारखंड राज्य के हज़ारीबाग़ ज़िला के बरकट्ठा प्रखंड से बेबी कुमारी मोबाइल वाणी के माध्यम से बताती हैं कि गर्मी के दिनों में आग लगने की घटना अत्यधिक होती है। गर्मी के मौसम में लोगों को काफी परेशानियाँ झेलनी पड़ती है। आगजनी की घटना बढ़ती गर्मी के कारण अधिक होती है
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