झारखण्ड राज्य के जिला रांची से नीतू कुमारी अब मेरी बारी कार्यक्रम के माध्यम से बताती हैं कि अब मेरी बारी कार्यक्रम में किशोर किशोरियों से सम्बंधित बहुत सी जानकारियाँ दी गयी। अब मेरी बारी कार्यक्रम के अंतर्गत प्रस्तुत कड़ी में युवा मैत्री केंद्र की दी गयी जानकारी का असर नीतू कुमारी पर पड़ा। नीतू कुमारी बताती हैं कि पहले उन्हें युवा मैत्री केंद्र की जानकारी नहीं थी लेकिन अब मेरी बारी कार्यक्रम में बताया गया कि युवा मैत्री केंद्र कैसे और किसके लिए काम करती है और इसकी विस्तारपूर्वक जानकारी दी गयी । अब मेरी बारी कार्यक्रम की कड़ी में सुरभि की कहानी बहुत अच्छी लगी।कार्यक्रम के माध्यम से बताया गया कि युवा मैत्री केंद्र एक ऐसी जगह है जहाँ किशोर-किशोरियों अपने स्वास्थ्य ,विकास और गोपनीय बातों को लेकर खुल कर चर्चा कर सकते हैं। साथ ही युवा मैत्री केंद्र से बहुत सी जानकारियाँ भी ले सकते हैं।
झारखण्ड राज्य के रांची ज़िला से अखिलेश कुमार झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से सभी श्रोताओं एवं दिव्यांग भाई-बहनों को संदेश दे रहे हैं कि उन्हें कभी भी अपना मनोबल नहीं गिरने देना चाहिए, चाहे कोई भी बाधा या परेशानी जीवन के सामने क्यों न आए ।वे खुद एक दृष्टिबाधित हो कर भी बाकि दिव्यांग भाइयों तक यह संदेश पहुँचा रहे हैं कि दिव्यांग शारीरिक तौर से कमजोर हो सकते हैं पर मानसिक तौर पे नहीं।उन्हें कभी भी खुद को निशक्त नहीं समझना चाहिए ना ही अपनी विकलांगता को अपनी कमज़ोरी समझना चाहिए। वे मानते हैं कि दिव्यांग व्यक्तियाँ भी वो सारे काम कर सकते हैं जो बाकि सामान्य लोग करते हैं।उन्हें बस संघर्ष कुछ ज़्यादा करना होता हैं।सफलता की मंज़िल तक वहीं पहुँच सकते हैं जो हर एक बाधा आने पर भी कड़ी संघर्ष ज़ारी रखते हैं।अखिलेश जी अपनी उदाहरण देते हुए बता रहे हैं कि उन्होंने भी अपने जीवन में कई संघर्ष किए हैं। कई मुश्किलों का सामना उन्हें भी करना पड़ा हैं।परन्तु उन्होंने अपनी कमज़ोरी को कभी रुकावट बनने नहीं दिया,सारी समस्याओं का सामना डट कर किया और कड़ी महनत करते हुए आज अखिलेश जी हमारी वाणी में कार्यरत हैं।
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झारखण्ड राज्य के रांची जिला के कांके प्रखंड से मनोज कुमार झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से जल संरक्षण के सम्बन्ध में कहते हैं कि जल समस्त जीवजंतु के लिए जरुरी है।जल के बिना धरती पर जीवन संभव नहीं है।वे कहते हैं जल संरक्षण करने के कई तरीके हैं जैसे छोटे -छोटे जलाशय बनाकर वर्षा जल को एकत्रित करना चाहिए, तालाब एवं डोभा का निर्माण करना चाहिए , बहते जल को बांध बनाकर रोका जाना चाहिए।साथ ही वे कहते हैं कि जल संरक्षण के लिए जागरूकता अभियान चलाया जान चाहिए और लोगों को जल के महत्व के विषय में समझाना चाहिए। उक्त तमाम तरीकों से जल संरक्षण कर भूमिगत जलस्तर को बढ़ाया जा सकता है
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झारखण्ड राज्य के जिला राँची प्रखंड कांके से मनोज कुमार जी ने बताया कि झारखण्ड में निजी विद्यालय के शिक्षकों का वेतन बहुत ही कम है।निजी स्कूल के शिक्षकों का वेतन बन्धुआ मजदुर की तरह केवल 5 -6 हजार रूपये दी जाती है। जिससे उनका परिवार भी नहीं चल पाता है, और उन्हें कई तरह की कठिनईयों का सामना करना पड़ता है।इस दिशा में झारखण्ड सरकार को कोई भी कदम नहीं उठती नजर आ रही है। इस समस्या के ऊपर शिक्षा विभाग को भी ध्यान देने की आवश्यकता है, जिससे शिक्षक बच्चों को गुणवक्ता पूर्ण शिक्षा दे सकें।जिससे झारखण्ड का विकास।
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