झारखण्ड राज्य के बोकारो ज़िला से मुकेश पंडित मोबाइल वाणी के माध्यम से गाँधी जयंती के पावन उपलक्ष पर गाँधी जी को नमन हेतु एक गीत प्रस्तुत किए हैं।
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झारखण्ड राज्य के बोकारो ज़िला के तेनुघाट से सुषमा कुमारी झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि उनके गांव की एक महिला बीना देवी के परिवार में पति राजकपूर महतो की नौकरी चली जाने के बाद आर्थिक संकट आ गया। एक समय ऐसा था कि सारे सदस्यों को एक वक़्त का भोजन खा कर दिन गुजारना पड़ता था। रोजी रोटी के लिए उन्होंने कृषि का सहारा लिया परन्तु आर्थिक स्थिति में सुधार नहीं दिखा। बीना देवी अपने परिवार के भविष्य को ध्यान में रखते हुए वर्ष 2014 में समस्या समाधान निकालने हेतु जुनून के साथ किरण कुमारी द्वारा सिलाई का प्रशिक्षण लिया और अब वो सिलाई ही उनका रोज़गार का साधन बन गया।अब उनका समस्त परिवार खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहा हैं।
झारखंड राज्य के बोकारो ज़िला के तेनुघाट से सुषमा कुमारी मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रही हैं कि करमा पर्व प्रकृति का पर्व हैं। आदिवासियों द्वारा करमा पूजा पारंपरिक रूप से विधि-विधान एवं झूमर गीत-संगीत के साथ उत्साहपूर्ण मनाया जाता हैं। परन्तु आज आदिवासियों को छोड़ अन्य जातियों में करमा व झूमर गीत का प्रचलन कम हो गया हैं।इसके स्थान पर डी.जे की धुन को ज़्यादा महत्व दिया जा रहा हैं। आजकल युवतियों में भी उत्साह देखने को नहीं मिलता।
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झारखण्ड राज्य के धनबाद जिला के तोपचांची प्रखंड से झारखण्ड मोबाईल वाणी के माध्यम से रविंद्र महतो बता रहे है कि वर्तमान समय में कुम्हारो की माली स्तिथि चिंताजनक है और सरकार के द्वारा ऐसे परिवारों को किसी भी प्रकार से वित्तीय लाभ नहीं दिया जाता है। लोगों का मिट्टी से बने खिलौने से मोहभंग होने लगा है, जिस कारण कुम्हारो की आय ना के बराबर है। जिससे वे ना तो अपना और ना ही आपने परिवार का भरण पोषण कर पा रहे है और उन्हें विभिन्न प्रकार के कठिनाइयों का सामना करना भी पड़ रहा है। कुम्हारो के लिए मिट्टी की भी काफी समस्या उत्पन्न हो गई है। उन्हें बर्तन बनाने बनाने के लिए दूसरे के खेतों से सम्पर्क कर मिट्टी लाना पड़ता है। जिसके लिए उन्हें काफी पैसे देने पड़ते हैं साथ ही क्षेत्र में कोयला के अभाव के कारण कच्चे बर्तन को पकने के लिए काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। जिस कारण इन्हे भुखमरी के दौर से भी गुजरना पड़ता है। इसी कारण अब कुम्हार परिवार अपना पेशा को छोड़ इसका विकल्प ढूढ़ने में लगें है यदि सरकारी सहायता इन्हे प्राप्त हो साथ ही मिट्टी के बर्तन के उपयोग का लोगो के प्रति रुझान हो तो वे सम्भवता कुम्हारों का विकास सम्भव हो पायेगा।
झारखण्ड राज्य के बोकारो जिला से सुमंत कुमार ने झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे है कि,सरकार के लाख प्रयास के बाद भी जरूरतमंद गरीब दिव्यांगजनों तक आज भी सरकारी योजनाओं का लाभ नही मिल पा रहा है। इसका मुख्या कारण यह है कि दिव्यांगों को मिलने वाले सरकारी लाभ विचौलियों द्वारा कागजी प्रतिक्रिया दिखा कर उनके लाभ का गमन कर लिया जाता है।दिव्यांगों में सूचनाओं का अभाव स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ता है,क्योंकि इन्हे आने जाने में विभिन्न परेशानियों से गुजरना पड़ता है। पहले दिव्यांगजनों को सरकार के द्वारा ट्रेक साइकिल दिया जाता था।लेकिन इस भी विज्ञात कई वर्षो से बंद कर दिया गया। ऐसे में दिव्यांगों को आवागमन करने में विभिन्न समस्याओं का सामना करना पड़ता है साथ ही दिव्यांगों को सरकार के द्वारा आरक्षण मिला है ,परन्तु जानकरी के अभाव में उन सुविधाओं का लाभ वे नहीं ले पाते हैं । दिव्यांगों के हौसले बढ़ने के लिए सरकार को विशेष प्रशिक्षण उपलब्ध करना चाहिए और इन्हे स्वरोजगार के साथ-साथ धन राशि भी उपलब्ध कराई जानी चाहिए। जिससे इन्हे किसी भी प्रकार के व्यवसाय करने में कठिनाइओं का सामना न करना पड़े और दिव्यांगजनों के लिए इनके शिक्षा की व्यवस्था उनके निकटतम स्थान में करना चाहिए क्योकिं वे अपनी निशक्त के कारण दूर के शिक्षण संस्थान में नहीं पहुँच पाते है, जिससे इनकी शिक्षा अधूरी रहा जाती है।