झारखण्ड राज्य के धनबाद जिला के बाघमारा प्रखंड से बीरबल महतो मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं, कि सर्दी का मौसम आते ही ठण्ड से लोग परेशान होने लगते हैं। ठण्ड से बचने के लिए लोग गर्म कपडे पहनते हैं तथा घरों में अलाव जलाते हैं। अलाव जलाने के कारण घरों में वायु प्रदूषण फैल जाता है। वायु प्रदूषण फैलने के कारण लोग कई तरह के बिमारियों से ग्रसित हो जाते हैं। सरकार द्वारा ठंड से बचने के लिए गरीबों को कम्बल देती है। ताकि लोग ठण्ड से बच सकें। अतः सरकार को कम्बल के साथ-साथ जगह जगह अलाव का भी व्यवस्था करवाना चाहिए।
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झारखण्ड राज्य के धनबाद ज़िला से जे.एम रंगीला की झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से अखिल भारतीय किसान सभा के संयुक्त सचिव व किसान नेता श्यामसुंदर महतो से बातचीत हुई। श्यामसुंदर के अनुसार,1991 में नई आर्थिक व औद्योगिक नीति के लागू होने के बाद उद्योग बड़ी बड़ी प्राइवेट कंपनी द्वारा होने लगी। श्रम कानून में संशोधन होने से सही तरीके से मज़दूरी नहीं होती हैं एवं नौकरी के अभाव में झारखण्ड खनिज़ संपदा से परिपूर्ण होने के बावज़ूद लोग दूसरे राज्यों में पलायन करते हैं।साथ ही मज़दूरों को दूरसे राज्य में जो वेतन मिलता हैं उससे भी कम उन्हें झारखंड में मिलता हैं इस वज़ह से मज़दूर पलायन कर दूसरे राज्य में नौकरी की तलाश करते हैं। झारखण्ड सरकार जो पलायन किए मज़दूरों के निबंधन के लिए कानून बनाए हैं उसके प्रति गंभीर नज़र नहीं आते हैं।न ही उनके पलायन होने का कारण के प्रति अपनी चिंता व्यक्त करते हैं। श्यामसुंदर ने बताया कि गोमिया प्रखंड में ही लगभग दस हज़ार मज़दूर पलायन किए हैं।वही पूरा ज़िला से लाखों की तादाद में लोग पलायन किए हैं। दुसरे राज्य में प्रवासियों के साथ शोषण होता ही हैं इसलिए प्रवासियों का सामाजिक सुरक्षा के लिए कानून बननी चाहिए।सरकार युवाओं को रोजगार देने में असमर्थ हैं।देश में पूँजीवादी संकट आने से व बेरोज़गारी बढ़ने से गुजरात में हुई हिंसा जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई हैं।
गुजरात मे हो रहे श्रम अत्याचार को लेकर,जो बात कहि गई,शायद नया अंदाज में ,हमारे समाज मे इस तरह सोचने वाले दीदी भी है हमे आज महसूस हुआ कि बिहार के सम्मान के खातिर सभी को एक जुट होंकर लड़ना पड़ेगा
बिहार राज्य के जमुई जिला के सिकंदरा प्रखंड से मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते हैं कि किसी भी सरकार को गांव की ज़रूरत के हिसाब से निति व योजना बनानी चाहिए। जिससे उन्हें अधिक से अधिक लाभ मिल सकें क्योंकि शहरों एवं गांव की ज़रूरतें अलग अलग होती है। इसलिए गांव की ज़रूरतों को ध्यान अवश्य रखना चाहिए। गांव के लोग मज़बूरी में घर और परिवार को छोड़ कर रोजी-रोटी के तलाश में अन्य शहरों में जाते है। रोजगार के लिए अपने गांव से पलायन करने को विवस विभिन्न शहरों में जाते है। लेकिन इस पर किसी का नहीं रहा । गांव में रोजगार उपलब्ध कराने के लिए ठोस निति बनायीं नहीं जा रही है। रोजगार के लिए पलायनवादी संस्कृति को रोकने की सख्त ज़रूरत है।
झारखण्ड राज्य के बोकारो ज़िला से मुकेश पंडित झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से पर्यावरण पर आधारित एक कविता पेश किए हैं
झारखण्ड राज्य के बोकारो ज़िला से मुकेश पंडित झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से एक मज़ेदार चुटकुला पेश किए हैं।
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झारखण्ड राज्य के बोकारो ज़िला से मुकेश पंडित झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से एक चुटकुला प्रस्तुत किए हैं
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