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जिला हज़ारीबाग़ के बिष्णुगढ प्रखंड से राजेश्वर महतो जी मोबाइल वाणी पर चल रहे कार्यक्रम बाल विवाह मुक्त झारखण्ड अभियान के संदर्भ में बताते हैं कि राज्य में मौजूद रीती-रिवाजो के कारण छोटी उम्र में ही बच्चों का बाल विवाह संपन्न करने की प्रथा कायम है। निश्चित आयु से छोटे बालक बालिकाओं के विवाह की अनुमति देना बाल विवाह के विरुद्ध है। देश से ऐसी कुरीति प्रथा को समाप्त करने के लिए बाल विवाह अवरोध अधिनियम 1929 में कानून बनाया गया जिसे 1978 में संशोधन कर परिवर्तित कर सुसंगिये अपराध माना गया।इसका मतलब पुलिस बिना किसी वारंट के दोषी व्यक्तियों को गिरफ्तार कर सकते हैं। विगत पांच वर्षों में बाल विवाह पर काफी नियंत्रित किया गया है। आज भले ही शिक्षा के क्षेत्र में बढ़ावा हुवा है परन्तु अभिभावकों को समाज का भाव बना हुवा रहता है कि, कहीं मेरे बच्चे कोई गलत कदम ना उठा लें।बाल विवाह होने का मुख्य कारण अशिक्षा,गरीबी और अधिक दहेज़ देने के डर से अभिभावक कम उम्र में ही बच्चों की शादी कर अपनी चिंता दूर करने में लगे रहते हैं।

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जिला हज़ारीबाग़, प्रखंड विष्णुगढ़ से राजेश्वर महतो जी मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं कि हमारा देश एक कृषि प्रधान देश है। और देश में कृषि से 80% लोगों को रोजगार मिलता है। किसान फसलों की उत्पादन को बढ़ाने के लिए रासायनिक खाद का उपयोग ज्यादा मात्रा में करते हैं। परन्तु इसका प्रभाव आम जनता को झेलना पड़ रहा है।जानकारी के अनुसार पंजाब और हरियाणा में फसलों की उत्पादन बढ़ाने के लिए हरित क्रांति में रासायनिक खाद का प्रयोग अधिक मात्रा में किया गया था। परन्तु अधिक मात्र में रासायनिक खाद का प्रयोग करने से भूमि बंजर हो जाती है इसका प्रभाव 10 से 20 वर्षों के बाद नजर आता है। परिणाम स्वरूप पंजाब और हरियाणा में आज फसलों की उत्पादन बढ़ाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ रही है।उन्होंने बताया कि राज्य में कृषि योग्य भूमि की उर्वरा शक्ति को बनाएँ रखने के उद्देश्य से सरकार द्वारा कृषक मित्रो के माध्यम से प्रत्येक किसानों को कम्पोस्ट खाद बनाने के लिए पांच हजार रुपया दिया जा रहा है। अतः ये किसान बन्धुओं से यह आग्रह करते हैं कि अपने खेतो में जैविक खाद का उपयोग अधिक से अधिक मात्रा में करें। केंचुआं को किसान का मित्र समझा जाता है चूँकि केंचुआं खेतों की उर्वरा शक्ति को बनाए रखने में मदद करते हैं।साथ ही झारखण्ड राज्य में जैविक खाद बनाने के लिए उपयुक्त जगह है।

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जिला हजारीबाग विशुनगढ़ से राजेशवर महतो जी मोबाईल वाणी के माध्यम से बताते हैं कि बाल विवाह से देश में युवा शक्ति समाप्त हो रहा है। भारत सरकार ने देश को स्वस्थ व् निरोग रखने के उद्देश्य से बालक का सही उम्र सीमा तय किया गया है। बालक का 21 वर्ष तथा बालिका का 18 वर्ष से ऊपर होने पर ही शादी करनी चाहिए। जिससे आने वाला पीढ़ी भी स्वस्थ रहता है। बाल विवाह करने से संतान उत्पति के लिए पारिवारिक व् सामाजिक दबाव बढ़ जाता है। इससे मानव शरीर विकसित नहीं हो पाता है। जिससे महिलाओं में खून की कमी से एनीमिया जा जाता है। इससे मृत्यु दर और गर्भवती महिलाओं की मृत्यु होने की सम्भावना बनी रहती है।

जिला हज़ारीबाग़ बिष्णुगढ प्रखंड से राजेश्वर महतो मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं कि भारत एक कृषि प्रधान देश है। और देश की लगभग 70% आबादी आज भी कृषि पर ही निर्भर हैं। हमारे देश में मौसम के आधार पर रबी एवं खरीफ फसल लगातें हैं।धान का फसल पुरे झारखण्ड में लगाया जाता है और अच्छे उत्पादन होने की उम्मीद की जाती है।कृषक धान के बाद गेहूं,चना,जौ की खेती करते हैं।किसान बंधू अक्टूबर-से दिसंबर तक फसल की बुवाई करते हैं।और मार्च अप्रैल में गेहूं की कटाई करते हैं। इस बीच किसानों को कई तरह के कठिनाइयों का भी सामना करना पड़ता है।सबसे पहले किसानों को बीज,खाद्य,दवा और डीजल बाजार से खरीदना पड़ता हैं। इसका मुख्य वजह है कि प्रखंड में पैक्स द्वारा किसानों के मांग के अनुसार पूर्ति नहीं की जाती है। पैक्स से लाभ वही लोग उठा पाते हैं , जो पैक्स के नजदीक होते हैं। साथ ही राज्य में सिचाई की असुविधा पाई जाती है। बावजूद इसके किसान खेती करते हैं। लेकिन गौर करने वाली बात तो यह हैं कि खेतों में लगे फसलों को लावारिस जानवरों द्वारा बरबाद कर दी जाती हैं।दूसरी ओर द्रेक्टर से खेतों की जुताई में भी खर्च आती हैं लेकिन डीजल की सब्सिडी किसानों को नहीं मिल पता है। यही वजह है कि आज भी किसान पूंजीपतियों के हांथों कठपुतली बनने के लिए मजबूर हो जाते हैं । वे कहते हैं कि किसानों की समस्या यही पर ख़त्म नहीं होती बल्कि वे ठण्ड,गर्मी और बरसात में अपने जान को जोखिम में डाल कर फसल का उत्पादन करते हैं इसके बाद भी किसानों को उचित मूल्य नहीं मिल पाता है।अतः वे कहते हैं कि कैम्प लगा कर और श्रम विभाग से मिल कर फसलों का बीमा करनी चाहिए।जिसमे किसानों को प्रीमियम की राशि नहीं देना पड़ता है ।

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हजारीबाग जिले के विष्णुगढ़ प्रखंड से राजेश्वर महतो जी झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते हैं कि मजदूर एक संसाधन है, लेकिन राज्य में मजदूरों की हालत बहुत ही चिंता जनक बनी हुई है।मानव अपनी जीवनयापन करने के लिए रोजगार की तलाश कर अपने अच्छे जीवन व्यतीत की सोच रखते हैं।और फिर हमारा देश का विकास में भी मजदूरों का अहम योगदान है परन्तु झारखण्ड में मजदूरों के अधिकार एवं कर्तव्य के बारे में जानकारी नहीं रहने से कई जगह वे फंस जाते हैं। मजदूर कोई भी सेक्टर में कार्य करे चाहे वह सार्वजनिक हो या निजी सभी जगह वे दोहन एवं शोषण का शिकार होते हैं । कल-कारखानों,क्रसर मशीनों,खेती तथा ठेके में काम करने वाले मजदूरों को अपना आरईसीएस यानि रोजगार और सेवा शर्तो का अधिनियम 1996 के अनुसार निबंधन करवा कर कार्ड बनवाना चाहिए।ताकि मजदूरों को मिलने वाले योजनाओ का लाभ मजदूर आसानी उठा सके।सबसे पहले सरकार को श्रमिकों के लिए निकाली गई योजनाओं के बारे में पंचायत एवं प्रखंड स्तर पर जागरूकता फैलाना चाहिए।सरकारी प्रतिष्ठान एवं गैरसरकारी प्रतिष्ठानों में कार्यरत श्रमिकों को न्यूनतम मजदूरी अधिनियम 1947 के अनुसार मिलना चाहिए। सैकड़ो ऐसे मजदूर हैं, जिनका पैसा ठेकेदार के पास है और मजदूर अपनी मजदूरी माँगते हैं , तो उन्हें केवल आश्वासन ही मिल पता है।अपना मेहनत,खून-पसीना से कमाई किया गया मजदूरों को उनका पैसा जल्दी नहीं मिलता है।वहीँ दूसरी ओर मजदूरों से 8 घंटे की जगह 10 से 12 घंटे काम करवाया जाता है जिसकी जाँच करने वाला कोई नहीं है।अतः राज पालिवार जी को इस विषय को गंभीरता से लेना चाहिए तथा प्रत्येक प्रखंड में लेबर इंस्पेक्टर को प्रखंड मुख्यालय में बहाल करना चाहिए ताकि मजदूरों की समस्या एवं श्रम विभाग से मिलने वाला लाभ आसानी से मिल पाए।