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दुमका से जागेश्वर राइ मोबाइल वाणी के माध्यम से ये कहना चाहते है कि भारतीय संस्कृति में नारी का अस्थान सबसे ऊपर दिया गया है। जिस घर में इस्त्रयो का सम्मान होता है वो घर स्वर्ग बन जाता है और वहा देवताओ का निवास होता है। इसीलिए इस्त्रियो को पूज्यनिये कहा जाता है और भगवानो में भी पुरुस से पहले इस्त्री का नाम लिया जाता है। जैसे - सीता राम, राधे श्याम।
जिला दुमका से शैलेन्दर सिंहा जी ने झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से सुष्मिता सिंह जी से बाल विवाह पर बात की और अपने विचार व्यक्त किये और कहा कि बाल विवाह हमारे समाज के लिए एक बीमारी की तरह है। इसे जल्द से जल्द रोक जाय।
जिला दुमका से शैलेन्दर सिंहा जी ने झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से हरदेव मंगल जी से बाल विवाह के बारे में बात की और कहा की खेल की उम्र में बच्चो की शादी नहीं करनी चाहिए। इससे उनके शारीरिक विकास पे भी असर पड़ता है। इसे रोकने के लिए शिक्षा के अभाव को ख़त्म करना होगा तभी हम इस कुप्रथा का अंत कर सकते हैं,और साथ ही सामाजिक जागरूकता की भी जरुरत है।
जिला दुमका से शैलेन्दर सिंहा जी ने झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से वरिष्ट पत्रकार सुमन सिंह जी से बाल विवाह पर उनकी राय जाननी चाही। श्री सिंह जी ने बताया कि बाल विवाह झारखण्ड में मुख्यतः पहाड़ी इलाको के पहाड़िया समाज में ज्यादा होती है,क्योकि जागरूकता की कमी है।
जिला दुमका से शैलेन्दर सिंहा जी ने झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से योगेश्वर उराव जी से बाल विवाह को रोकने के लिए कौन कौन से कानून है,उसके बारे में जानकारी ली। बाल विवाह कानूनन जुर्म है और इसे रोकने के लिए सन 1929 की धारा 12 के अंतर्गत 18 साल से कम उम्र की लड़की या 21 साल से कम उम्र के लड़के की शादी करवाना जुर्म है। साथ ही बाल विवाह करवाने वाले सहयोगी जन,चाहे वो माता पिता ही क्यो न हो,वे भी इस सजा के पात्र होँगे।
