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जिला पूर्वी सिंहभूम के पोटका प्रखंड से सुबोध कुमार भगत जी मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं कि सरकार द्वारा सरकारी विद्यालयों में हर सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है बच्चों को किताब,कॉपी,छात्रवृत्ति के साथ-साथ भोजन की भी सुविधा दी जा रही है लेकिन यदि इन सभी सुविधाओं के साथ कंप्यूटर शिक्षा की भी सुविधा दी जाए तो बहुत अच्छा रहेगा क्योकि आज के समय में कंप्यूटर के बिना हर कार्य अधूरा है।

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पूर्वी सिंहभूम पोटका से सुबोध कुमार भगत मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि कुम्हार जाति के लोगों का हस्तशिल्प कला धीरे-धीरे लुप्त होने की कतार पर नजर आ रहा है।क्योकि पोटका प्रखंड में बसे कुम्हार जाति के लोगों द्वारा निर्मित मिट्टी के बर्तन देश के विभिन्न भागो में भेजी जाती थी।लेकिन अब यह बंद होने के स्तर पर पहुंच चूका है। इस बर्तन को बनाने में जो लागत लगती थी वो आज के इस महंगाई के समय मे खरे नहीं उतर रही हैं। जिसके कारण मजबूरन लोग मिट्टी के बर्तन को बना कर बेचना बंद करके अन्य रोजगार के लिए दूसरे जगह में पलायन कर रहें हैं।अतः सरकार कुम्हार भाइयों द्वारा बनाई जाने वाली हस्तशिल्प कला को बढ़ाने की व्यवस्था करें।साथ ही वन विभाग अधिकारीयों भी कुम्हार भाइयों को जलावन के लिए लकड़ी मुहैया करें। ताकि वे लोग अपने मिट्टी के बर्तन बनाने की प्रक्रिया को जारी रख सकें जिससे हस्तशिल्प कला लुप्त होने से बच सके।

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जिला पूर्वीसिंघभुम, पोटका प्रखंड के हाथीबिंदा पंचायत,गाँव कोगदा से चक्रधर भगत जी मोबाईल वाणी के माध्यम से बताते हैं कि पूर्व में गाँव एवं पंचायती का प्रधान पुरुष ही हुआ करते थे।लेकिन जब से पंचायती राज हुआ है तब से महिलाओ को भी अधिकार दिया गया और उन्हें भी वोटों के जरिये मुखिया बनाया गया । लेकिन उसके बाद जो कार्य उन्हें पंचायत में करना चाहिए वो नहीं कर रहे हैं। उसके बदले में महिला मुखिया बदले उनके भाई,पिता या उसके पति ही पंचायतों के काम करते हैं। इसमें देखा जा रहा है कि जो सरकारी योजनाएं हैं और जो भी सुविधाएँ सरकार की ओर से पंचायतों को मिलती है उसमें लूट खसोट बढ़ गई है। इसका मुख्य वजह है महिला मुखियाओं का घर से बाहर नहीं निकलना और अपनी जिम्मेदारी के प्रति गंभीर न होना । और यही वजह है कि वो आम जनताओं से रूबरू नहीं हो पा रही हैं।