उमेश उज्जागर ग्राम ऊपरघाट नवाडीह बोकारो से झारखण्ड मोबाइल वाणी पर विस्थापन के सम्बन्ध में ग्रामीण महिला सुनीता देवी से एक गीत प्रस्तुत करवाया जिसमे उन्होंने विस्थापन के बाद की स्थिति का वर्णन किया.

बोकारो नावाडीह से जे एम् रंगीला जी ने झारखण्ड मोबाइल वाणी पर विस्थापन के सम्बन्ध में बताया की देश की आजादी के पश्चात पं.जवाहरलाल नेहरु प्रधानमंत्री बन्ने के बाद देश के तीव्रतर विकास के लिए मिश्रित अर्थवय्वस्था के पाठ पर चल कर देश को आगे बढ़ाने की ठानी और इस अर्थवय्वस्था में कई निजी कम्पनियाँ विकसित हुई. १९९१ में पी वी नरसिंघा राव के प्रधानमंत्री बन्ने के बाद मिश्रित अर्थवय्वस्था को छोड़ कर नई आथिक नीति उदारीकरण एवं वैश्वीकरण को अपनाया.आल इंडिया कोलवर्कर एवं फेडरेशन के सचिव बैजनाथ केवट ने झारखण्ड मोबाइल वाणी को बताया की वर्ष २००० में कोयले की खानों की निजीकरन के वास्ते सांसद में राजद के द्वारा एक बिल पेश किया गया जो सांसदों के विरोध के कारन लंबित पड़ा हुआ हैं. वर्तमान सरकार ने कारपोरेट घरानों को फायदा पहुचाने के लिए खदानों की नीलामी के लिए एक नीति बनाई जिसे आउटसोर्सिंग नाम दिया गया. नेताओं से पूछने पर की आउटसोर्सिंग का मतलब क्या हैं? उन्होंने बताया की ठीकेदारी प्रथा, कोयले की लुट की छुट देना.बेरमो क्योलान्चाल् में बीसीसीएल की १८ खदाने आउटसोर्सिंग के कारन दुसरो को आवंटित हैं. आउटसोर्सिंग खदानों के क्षेत्रो का अध्यन करने पर पता चलता हैं की इन क्षेत्रो के विस्थापितों की घोर उपेक्षा की गयी हैं,उन्हें मुलभुत सुविधा भी उपलब्ध नहीं करवाई गई हैं.

बोकारो: नवाडीह, बोकारो से जे.एम. रंगीला और वासुदेव तुरी ने एक साथ मिलकर एक साथ विस्थापन पर आशुतोष गिरी जी बातचीत की है जिसमे उन्होंने बताया कि २ एकड़ १ डिसमिल जमीन आउट सोर्सिंग खदान में गई है, जब खदान खुल रहे थे तब सीसीएल ने बड़े-बड़े वादे किए थे लेकिन सिर्फ आश्वासन ही मिला और कुछ भी नही.वे कहते हैं कि बेरमो कोयलांचल क्षेत्र से सांसद, विधायक और कई बड़े नेतागन है इसके बाद भी यहाँ के लोगो की यह स्थिति वे सिर्फ चुनाव के दौरान आश्वासन तो देते हैं लेकिन विस्थापितों को इसका ल्कभ नही मिला है.पूछे जाने पर कहते है कि यहाँ पर सीसीएल मात्र आधा किलोमीटर की दुरी पर है और कम्पनी द्वारा विस्थापितों को विजली, पानी, स्वास्थ्य आदि जैसे मुलभुत सुविधाए मुहैया कराने का प्रावधान है लेकिन यहाँ के लोग इन सुविधाओं से वंचित हैं. यहाँ पर डुमरी के विधायक के नेत्रित्व में गुंजरडीह आउट सोर्सिंग खदान के लोग एल लाभी लड़ाई लड़ी थी.लेकिन इससे भी कुछ नही हुआ है लोगो से कहा गया कि २ एकड़ जमीं पर नौकरी मिलेगी लेकिन यह भी पूरा नही हुआ है. इस पर जे.एम. रंगीला कहते हैं कि इसी क्षेत्र में कई दिग्गज नेता चन्हें वे पक्ष के हो या प्रति पक्ष के रहते हैं लेकिन यह दुर्भाग्य ही है कि जब से कोल्यारियों का राष्ट्रीयकरण हुआ है तब से विस्थापित अपने लड़ाई लड़ते आ रहे हैं. लेकिन उनका भला आज तक नही हुआ.

बोकारो: नावाडीह बोकारो से झारखण्ड मोबाइल वाणी पर लालचंद महतो ने एक बच्चे से कविता प्रस्तुत करवाया है

Bokaro: Rameswar Mahto called from Nawadih, Bokaro to share a Khortha geet on the issue of displacement.

Transcript Unavailable.

Transcript Unavailable.

Bokaro: Rameswar Mahto called from Nawadih, Bokaro to update about the Ram Navami boom at Nawadih. People are seen in huge fanfare with flags in hand, roaming in rallies celebrating in the festival mood across many villages of the region.

बोकारो नवाडीह से जे एम्झा रंगीला जी ने झारखण्ड मोबाइल वाणी पर बताया की झारखण्ड सरकार के उपक्रम तेनुघाट विधुत निगम ललपनिया में १० अप्रैल २०१३ को निगम के ढाई दसक पूर्ण होने के उपलक्ष्य में रजत जयंती समारोह का आयोजन किया गया जिसमे विस्थापितों को छोड़ कर सभी वर्ग के लोगो को बुलाया गया और उन्हें उपहारों से नवाजा गया मगर रंगीला जी का कहना हैं की वे इस समारो के खिलाफ नहीं हैं बल्कि उनका कहना है की यह समारोह सादगी पूर्ण तरीके से भी मनाया जा सकता था जिससे निगम के करोडो रुपये भी बच जाते जिससे प्रखंड के विस्थापितों को सहायता की जा सकती थी. इस परियोजना में सैकड़ो लोग विस्थापित हुए हैं जिनमे से कितनो को नौकरी नहीं मिली हैं.रेलवे परियोजना के कारन विस्थापित परिवारों को नौकरी नहीं मिलने के कारन आज उन्हें पलायन करना पढ़ रहा हैं. कोम्पनी के लोग विस्तारीकरण के बाद की नियुक्ति देने का बहाना बना कर बात को टाल जाते हैं. गोमिया प्रखंड उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र में आता हैं मगर इसके बावजूद कोई भी योजना धरातल पर लागु नहीं होती.

नवाडीह बोकारो से वासुदेव तुरी जी ने झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया की ललपनिया दौरे के दौरान वसुदेव्तुरी जी को एक खुला पत्र पाया जिसे विमल कीर्ति जी को लिखा गया था जो उस समय के उर्जा मंत्री सह तेनुघाट निगम परियोजना के सचिव भी थे.परियोजना के मुख्य अभियंता सह महाप्रबंधक रामावतार साहू जी की टीम द्वारा सर्वश्रेठ विधुत उत्पादन की रजत जयंती मनाई जा रही हैं जो की ती ती पी एस के अशिकारियों लिए उत्साह का दिन हैं परन्तु दुःख की बात हैं यहाँ के विस्थापितों को अभी तक कम्पनी की तरफ से नाटो कोई मुआवजा दिया गया और नहीं किसी भी तरह का नियोजन. यहाँ के विस्थापियो की भूमि को अवैध तरीके से प्रशासन के द्वारा कम्पनी को हस्तांतरित कर दिया गया मगर उन्हें मुआवजा नहीं दिया गया.यहाँ के विस्थापितों को आशा थी की झारखण्ड सरकार के गठन के बाद उन्हें न्याय मिलेगा परन्तु वैसा नहीं हुआ. कम्पन्ये के कचरे से लोगो के फसल बर्बाद हो रहे हैं मवेशी मर रहे हैं, बिजली उत्पादन के नाम पर यहाँ के ग्रामीणों पर अत्याचार हो रहे हैं. झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से अपील किया हैं की इन सभी कार्यो में सलग्न अधिकारीयों पर करवाई हो एवं विस्थापितों को उचित मुआवजा मिले.