उत्तर प्रदेश राज्य के बलरामपुर जिला से प्रियंका सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि हमें आधुनिक युग में प्रवेश तो कर गए हैं। लेकिन हमने अभी तक सामाजिक संबंधों के निर्माण के लिए एक आधुनिक दृष्टिकोण विकसित नहीं किया है। संबंधों की शुरुआत आज भी दहेज देने और लेने से होती है, जबकि दहेज लेने और देने के खिलाफ कानून है। समाज का कोई भी वर्ग दहेज को ना नहीं कहता है। हमारा ध्यान दहेज के मामले की ओर तब जाता है, जब एक लड़की दहेज़ के लिए हिंसा का शिकार होती है या जब दहेज़ के लिए उसकी बलि चढ़ा दी जाती है। आँकड़ों के मुताबिक औसतन एक घंटे में एक महिला की हत्या दहेज़ के लिए कर दी जाती है

उत्तर प्रदेश राज्य के बलरामपुर जिला से प्रियंका सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि भारत में कन्या भ्रूण हत्या व्यवहारिक और सामाजिक रूप से स्वीकार्य है। कन्या भ्रूण हत्या को प्रेरित करने के लिए कई कारण हैं,मगर सबसे महत्वपूर्ण कारण दहेज़ प्रथा है।कन्या भ्रूण हत्या की रोकथाम के लिए जरुरी है महिलाएं सामाजिक सुरक्षा कार्य में सामान रूप से भाग लें और खुद के लिए आवाज उठाएं।

उत्तर प्रदेश राज्य के बलरामपुर जिला से प्रियंका सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि दहेज प्रथा को रोकने के लिए,हमें अपनी बेटियों को शिक्षित करना होगा और उन्हें अपने करियर के लिए भी प्रोत्साहित करना होगा। साथ ही बेटियों को स्वतंत्र और जिम्मेदार होना सिखाएं। अपनी बेटी के साथ बिना किसी भेदभाव के समान व्यवहार करें। दहेज देने या लेने की प्रथा को प्रोत्साहित न करें। दहेज़ प्रथा को समाप्त करने के लिए सरकार ने 1961 के अधिनियम के तहत लोगों को दहेज़ लेने से रोकने का कानून बनाया था।दुल्हन की ओर से जो भी पैसा या संपत्ति दी जाए, उसे स्वीकार नही किया जाना चाहिए, लेकिन उसका कभी पालन नही हुआ। भारत दुनिया का एकमात्र बड़ा देश है जहाँ लड़कों की तुलना में लड़कियों की मृत्यु अधिक होती है।यहां अजन्मी लड़कियों का अवैधरूप से गर्भपात कराया जाता है। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

उत्तरप्रदेश राज्य के गोंडा जिला से माधुरी मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रही हैं कि दहेज की मांग को लेकर किसी महिला या उससे संबंधित व्यक्ति के जीवन, अंग, स्वास्थ्य, सुरक्षा या कल्याण को चोट पहुंचाना या खतरे में डालना मानसिक या शारीरिक आघात है । शारीरिक शोषण में किसी भी प्रकार का हमला, आपराधिक शरारत और बल का आपराधिक उपयोग शामिल है।

उत्तर प्रदेश राज्य के श्रावस्ती से शीला देवी ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया की भ्रूण हत्या का एक बहुत बड़ा कारण है दहेज़ प्रथा। इस कारण कई लोग गर्भ में पल रही बच्ची को मार देते हैं। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

उत्तर प्रदेश राज्य के बलरामपुर जिला से प्रियंका सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि भारत में दहेज से होने वाली मौतों में वृद्धि महिलाओं में बढ़ती दहेज और ऑनर किलिंग के बारे में बढ़ती चिंता से भी जुड़ी हुई है, जहां उन्हें धन और दर्जा हासिल करने के साधन के रूप में भी देखा जाता है। इससे महिलाओं और लड़कियों के महत्व में कमी आती है और उनके खिलाफ हिंसा में वृद्धि होती है। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

उत्तर प्रदेश राज्य के श्रावस्ती से सावित्री देवी ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि बेटियां अनमोल होती है। बेटियों को बचाना और पढ़ाना बहुत जरुरी है। भ्रूण जाँच कराना कानूनन अपराध है,लेकिन कई महिलाएं महंगाई और दहेज़ के बारे में सोच कर गर्भ में ही बेटियों की हत्या कर देती हैं। महिलाओं को ऐसा नही करना चाहिए। किस्मत वालों के घर में बेटियां आती है। बेटा और बेटी में कोई फर्क नही होता है। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

नीलू पांडे की सभी श्रोताओं को नमस्कार, बलरामपुर फ्रेंड्स से नीलू पांडे की रिपोर्ट, आज हम राजीव जी की डायरी के बारे में जानेंगे। दहेज प्रथा भ्रूण हत्या का एक महत्वपूर्ण कारण है। समाज को इससे जल्द से जल्द छुटकारा पाना चाहिए। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

उत्तरप्रदेश राज्य के श्रावस्ती जिला से जयलता यादव ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि दहेज़ प्रथा का मुख्य कारण शिक्षा का नहीं होना है। साथ ही उन्होंने कहा कि लैंगिक भेदभाव और लड़कियों का अशिक्षित होना है

उत्तरप्रदेश राज्य के गोंडा जिला से मनु सिंह ने गोंडा मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि कुछ सांस्कृतिक और सामाजिक-आर्थिक नीतियों के कारण पुराने समय से किया जा रहा कन्या भ्रूण हत्या एक अनैतिक कार्य है। कन्या भ्रूण हत्या एक अनैतिक कार्य है। कन्या भ्रूण हत्या का मुख्य कारण बालिका की तुलना में बालक की प्राथमिकता है क्योंकि पुत्र आय का मुख्य स्रोत है जबकि बालिकाएँ केवल उपभोक्ता के रूप में हैं। लड़के अपने माता-पिता की सेवा करते हैं जबकि लड़कियां सबसे अमीर होती हैं। दहेज की पुरानी प्रणाली भारत में माता-पिता के सामने एक बड़ी चुनौती है, जो लड़कियों को जन्म लेने से रोकती है। इसका कारण पितृसत्तात्मक भारतीय समाज में महिलाओं की निम्न स्थिति है माता-पिता का मानना है कि बेटा समाज में अपना नाम आगे बढ़ाएगा जबकि लड़कियां केवल घरेलू अवैध संबंध परीक्षण को संभालने के लिए होती हैं