उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती ज़िला विजय पाल चौधरी ,मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते है कि महिलाओं के सामने सबसे बड़ी समस्या यह है कि घर पर छियासठ प्रतिशत काम महिलाओं द्वारा किया जाता है और पचास प्रतिशत काम पुरुषों द्वारा किया जाता है।इन महिलाओं को घर पर पांच से छह घंटे काम करना पड़ता है, जिसके बाद वे काम पर निकल जाती हैं। महिलाओं को पुरुषों की तुलना में अधिक मेहनत करनी पड़ती है, जबकि पुरुष केवल बाहरी काम करके आराम करते हैं, लेकिन महिलाएं ऐसा नहीं करती हैं।

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महिला सशक्तीकरण का अर्थ है महिलाओं की आध्यात्मिक, राजनीतिक, सामाजिक या आर्थिक शक्ति में वृद्धि करना। इसमें अक्सर सशक्तीकृत महिलाओं द्वारा अपनी क्षमता के दायरे में विश्वास का निर्माण शामिल होता है।

उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती ज़िला से विजय पाल ,मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते है कि बीपीएल सूचि वाले व अंत्योदय राशन कार्ड धारकों का आयुष्मान कार्ड बना है । इससे कई बिमारियों का इलाज होता है

उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती ज़िला से विजय पाल ,मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते है कि प्रचंड गर्मी से लोग परेशान है। पशु पक्षी बेहाल हो गए है। गर्मी से बचाओ के लिए घरों से बाहर कम निकलें। इस गर्मी संभल कर रहे। प्रशासन का निर्देश है कि ज़रुरत पड़ने पर ही घर से बाहर निकले

उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती ज़िला से विजय पाल ,मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते है कि महिलाओं को शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, राजनीतिक भागीदारी आदि क्षेत्रों में भेदभाव का सामना करना पड़ता है। महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा, जैसे कि यौन उत्पीड़न और बाल विवाह, आज के समय में एक कारक है। लैंगिक असमानता भेदभाव या हिंसा का एक भयानक रूप है जो महिलाओं को शारीरिक और मानसिक रूप से नुकसान पहुंचाता है। महिलाओं को कम मजदूरी के लिए काम करने के लिए मजबूर किया जाता है

उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती ज़िला से विशाल पांडेय ,मोबाइल वाणी के माध्यम से अतुल कुमार उपाध्याय से बात कर रहे है। ये बताते है कि यह एक बहुत ही संवेदनशील विषय है, लैंगिक असमानता, जिसका हम सभी सामना कर रहे हैं और आने वाले समय में कहीं न कहीं प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से इन चीजों से प्रभावित हो रहे हैं। मानता एक सुंदर और सुरक्षित समाज की नींव है जिस पर विकास की इमारत का निर्माण किया जा सकता है। इसमें लैंगिक समानता भी अहम भूमिका निभाएगा। लैंगिक समानता भी हमारे समाज में प्रवेश कर चुकी थी, इस संदर्भ में वर्ष 2015 सितम्बर में संयुक्त राष्ट्र महासभा की एक उच्च स्तरीय बैठक हुई थी जिसमें 193 देशों का प्रतिनिधित्व किया गया था और 17 अलग अलग मुद्दा था जिसमे लैंगिक समानता भी एक मुद्दा था । यह स्पष्ट है कि हमारे समाज के विकास के लिए लैंगिक समानता कितनी आवश्यक है। मूल आधार यह है कि समाज में लैंगिक असमानता एक सावधानीपूर्वक निर्मित खाई है जो हमारे लिए समानता के स्तर को प्राप्त करना बहुत मुश्किल बनाती है।

उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती ज़िला से विजय पाल ,मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते है कि बिना पानी के कोई जीव जंतु जीवित नहीं रह सकता है। पानी के कई साधन है। लोग पी रहे है ,किसी का नल लगा है तो किसी के यहाँ आरओ का पानी मिल रहा है। अपनी क्षमता अनुसार लोग किसी न किसी जगह से पानी ला रहे है। पानी का उपयोग हर जगह होता है।

उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती ज़िला से मोहम्मद इमरान ,मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि महिलाओं के खिलाफ हिंसा का मतलब सिर्फ़ शारीरिक हिंसा नहीं है। यह बहुत व्यापक है और इसमें यौन, भावनात्मक, मनोवैज्ञानिक और वित्तीय दुर्व्यवहार शामिल हैं। राष्ट्रीय योजना महिलाओं के खिलाफ़ हिंसा के दो मुख्य प्रकारों को लक्षित करती है - घरेलू और पारिवारिक हिंसा, और यौन उत्पीड़न।हिंसा की ऐसी घटनाएं जो ऐसे लोगों के बीच घटित होती हैं जिनके बीच अंतरंग संबंध हैं या थे। व्यवहार का एक सतत पैटर्न जिसका उद्देश्य भय के माध्यम से साथी को नियंत्रित करना है, उदाहरण के लिए हिंसक और धमकी भरा व्यवहार करना। ज़्यादातर मामलों में, हिंसक व्यवहार महिलाओं और उनके बच्चों पर शक्ति और नियंत्रण का प्रयोग करने की रणनीति का हिस्सा होता है, और यह आपराधिक और गैर-आपराधिक दोनों हो सकता है और धमकी या हिंसक व्यवहार में शारीरिक, यौन, भावनात्मक, मनोवैज्ञानिक और वित्तीय दुर्व्यवहार शामिल हो सकता है।