उत्तरप्रेदश राज्य के जिला बस्ती से विजय पाल चौधरी , मोबाइल वाणी के माध्यम से रोजगार योजना यह केंद्र सरकार की एक योजना है जिसके तहत कोई भी योग्य व्यक्ति जो श्रमिक वर्ग से संबंधित है, अपना नाम इसमें पंजीकृत कराता है। और यह मनरेगा के तहत काम कर सकता है, इसमें काम करने वालों के बीच एक दिन का दैनिक वेतन लगभग दो सौ तीस है। इस सरकार ने इस योजना को लागू किया है। ताकि मजदूर वर्ग के लोग अपने घरों से बाहर न निकलें और इसके लिए खुद को प्रतिबद्ध करके 100 दिनों की गारंटी योजना हो। यह योजना भारत सरकार द्वारा चलाई जाती है और यह एक बहुत अच्छी योजना है, कई श्रमिक इस योजना के तहत काम करके अपनी आजीविका कमा सकते हैं।

उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती जिला से विजय पाल चौधरी ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि महिला और पुरुष में भेदभाव ख़तम करने और महिला जागरूकता के लिए "बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ" योजना को लागू किया गया था। इस योजना से देश की महिलाओं को शिक्षा का पूरा अधिकार मिला और महिलाएं शिक्षित हो रही हैं

उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती जिला से रमजान अली ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि जल से ही जीवन का प्रारम्भ हुआ। साथ ही उन्होंने बताया कि नासिक की निवासी मयूरी धूमल जो पानी, स्वच्छता और जेंडर के विषय पर काम करती हैं, उनका कहना है कि नासिक के गाँव की महिलाओं को पानी के लिए हर साल औसतन 1800 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है

उत्तरप्रदेश राज्य के जिला बस्ती से अरविन्द श्रीवास्तव , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि सरकार द्वारा चलाया गया योजना जल जीवन मिशन के तहत कई लोगों को पानी नहीं मिलता है। पानी के कनेक्शन के लिए लोगों से पैसे लिए गये थे लेकिन अभी तक पानी की सुविधा नहीं मिल पाया है।

नासिक में रहने वाली मयूरी धूमल, जो पानी, स्वच्छता और जेंडर के विषय पर काम करती हैं, कहती हैं कि नासिक के त्र्यंबकेश्वर और इगतपुरी तालुका में स्थिति सबसे खराब है। इन गांवों की महिलाओं को पानी के लिए हर साल औसतन 1800 किमी पैदल चला पड़ता है, जबकि हर साल औसतन 22 टन वज़न बोझ अपने सिर पर ढोती हैं। और ज्यादा जानने के लिए इस ऑडियो को क्लिक करें।

उत्तर प्रदेश राज्य के बस्ती जिले से अरविन्द मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं की मनरेगा की शुरुआत ग्रामीण क्षेत्र में काम करने के लिए किया तहत 5 किलोमीटर के अंदर काम मिलता है अधिक जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें और पूरी जानकारी सुनें

''बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ" के नारे से रंगी हुई लॉरी, टेम्पो या ऑटो रिक्शा आज एक आम दृश्य है. पर नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च द्वारा 2020 में 14 राज्यों में किए गए एक अध्ययन में कहा गया है कि योजना ने अपने लक्ष्यों की "प्रभावी और समय पर" निगरानी नहीं की। साल 2017 में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट में हरियाणा में "धन के हेराफेरी" के भी प्रमाण प्रस्तुत किए। अपनी रिपोर्ट में कहा कि बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ स्लोगन छपे लैपटॉप बैग और मग खरीदे गए, जिसका प्रावधान ही नहीं था। साल 2016 की एक और रिपोर्ट में पाया गया कि केंद्रीय बजट रिलीज़ में देरी और पंजाब में धन का उपयोग, राज्य में योजना के संभावित प्रभावी कार्यान्वयन से समझौता है।

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उत्तर प्रदेश राज्य के बस्ती जिला से मोहम्मद आरिफ ने मोबाईल वाणी के माध्यम से बताया कि मनरेगा के अंतर्गत गरीब या बेरोजगार लोगों को काम दिया जाता है। सरकार रोजगार देती है, लेकिन कुछ लोग इसका अनुचित लाभ उठाते हैं

महिलाओं की लगातार बढ़ती हिस्सेदारी और उसके सहारे में परिवारों के आर्थिक हालात सुधारने की तमाम कहानियां हैं जो अलग-अलग संस्थानों में लिखी गई हैं, अब समय की मांग है कि महिलाओं को इस योजना से जोड़ने के लिए इसमें नए कामों को शामिल किया जाए जिससे की ज्यादातर महिलाएं इसका लाभ ले सकें। दोस्तों आपको क्या लगता है कि मनरेगा के जरिए महिलाओँ के जीवन में क्या बदलाव आए हैं। क्या आपको भी लगता है कि और अधिक महिलाओं को इस योजना से जोड़ा जाना चाहिए ?