Transcript Unavailable.

चित्रसेनपुर मध्य विद्यालय सोनपुर में सड़े अंडे खाने से विद्यार्थियों की अचानक तबीयत बिगड़ी ,मचा अफरातफरी सोनपुर । सोनपुर प्रखंड के अंतर्गत मध्य विद्यालय चित्रसेनपुर में मिड डे मील के द्वारा एनजीओ के तरफ से सोमवार को खाना में विद्यार्थियों को सड़े हुए अंडे मिला। विद्यार्थियों को अंडे खाने के बाद अचानक तबीयत खराब हो गई जिसके बाद से स्कूल में अफरातफरी का माहौल कायम हो गया । इस घटना के बाद से अन्य बच्चों को अंडे खाने से रोक लगाते हुए शिक्षकों ने अंडे की जांच पड़ताल की । जिसमें सड़े हुए अंडे की पुष्टि हुई । उपस्थित शिक्षकों ने कहा कि इसके पूर्व भी एनजीओ द्वारा सारे गले फल दिया गया था जिसके कारण नाराज स्कूल के शिक्षकों व कर्मियों ने खाना लेने से इनकार कर रहे थे लेकिन जोर जबरदस्ती खाना प्रतिदिन भेजा जा रहा है। यहां अचानक सोमवार के सड़े हुए अंडे के खाने से बच्चों की तबीयत खराब हो गई। प्रधानाध्यापक सुनील कुमार मालाकार ने बताया कि एनजीओ ने बच्चों को खाने के लिए 100 अंडे की आपूर्ति की थी इसे मात्र पांच बच्चे ही अंडा खाया था । अंडे खाते ही तीन बच्चों की तबीयत अचानक बिगड़ गई इसके बाद अंडा खाने से रोक लगा दी गई तीसरी क्लास के छात्र विराज कुमार पहली क्लास की छात्रा रितिक राज तथा तीसरी क्लास के छात्र अंकित कुमार की तबीयत बिगड़ गई है हालांकि उक्त तीनों छात्र थोड़ी देर में स्वस्थ हो गए वहीं इस घटना की जानकारी सोनपुर एसडीओ ,सोनपुर थानाध्यक्ष,बीईओ एवं अन्य पदाधिकारी को दी गई । घटना की जानकारी मिलते थी सोनपुर एसडीओ कुमार निशांत विवेक ,सोनपुर थानाध्यक्ष राजनंदन, प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी अवधेश शाह,अनुमंडल चिकित्सा पदाधिकारी डॉक्टर हरिशंकर चौधरी एवं प्रखंड खदान आपूर्ति पदाधिकारी पहुंचकर वस्तु स्थिति की जानकारी लेते हुए 3 बच्चे की तबीयत जो खराब हुई थी उसे आनन फानन में अनुमंडलीय अस्पताल में एंबुलेंस को बुलाकर इलाज के लिए भेजा गया । इस घटना के बाद से बच्चों के अभिभावक से लेकर समाजसेवी , जनप्रतिनिधि लोग पहुंचकर मिड डे मील के एनजीओ के खिलाफ जमकर विरोध प्रदर्शन किया वहीं दूसरी ओर सोनपुर एसडीओ ने इस प्रकार कार्यो में लापरवाही बरतने वाले मिड डे मील द्वारा भोजन उपलब्ध कराने वाले एनजीओ के खिलाफ कड़ी करवाई करने का आश्वासन देते हुए मामला को शांत कराया। इस घटना के बाद से बच्चों में खाना खाने के प्रति भय बना हुआ । इस संबंध में डॉक्टर हरिशंकर चौधरी ने बताया कि जो बच्चे अंडे खाए थे जिनकी तबीयत बिगड़ी हुई थी वह स्वस्थ है।

सोनपुर प्रखंड के अंतर्गत मध्य विद्यालय चित्रसेनपुर में मिड डे मील के द्वारा एनजीओ के तरफ से सोमवार को खाना में विद्यार्थियों को सड़े हुए अंडे मिला। विद्यार्थियों को अंडे खाने के बाद अचानक तबीयत खराब हो गई जिसके बाद से स्कूल में अफरातफरी का माहौल कायम हो गया । इस घटना के बाद से अन्य बच्चों को अंडे खाने से रोक लगाते हुए शिक्षकों ने अंडे की जांच पड़ताल की।

Transcript Unavailable.

दैनिक जागरण बिहार की मई 2023 की रिपोर्ट के अनुसार नरपतगंज प्रखंड से सटे सुपौल जिला के छातापुर प्रखंड अंतर्गत मध्य विद्यालय ठूठी में सोमवार को एमडीएम परोसने के क्रम में बच्चों के भोजन में मरी हुई छिपकली मिली, जिसके बाद बच्चों व गांव वालों में हड़कंप मच गया। लेकिन क्या ये हड़कंप हमारा अपने जन प्रतिनिधियों के सामने झलकता है ? जिस पन्ना ज़िले के स्कुल में 40 बच्चे बीमार हो गए , क्या वोट देते समय हम ये बात सोचते है? नहीं .. बिलकुल भी नहीं सोचते। क्योंकि हम एक वोट देने की मशीन में ढल चुके है। कुछ लोग इसे मेरी ही मूर्खता करार देंगे कि मध्यान भोजन के लिए हम नेताओ को दोष क्यों दें ? लेकिन सच ये है कि जब तक कोई घटना हमारे या हमारे अपनों के साथ नहीं घटती , तब तक हम राजनितिक पार्टियों की चाटुकारिता में लगे रहते है। लोग आपको ही बार बार समझायेंगे कि हमें इन सभी पचड़ों में नहीं पड़ना चाहिए। दोस्तों, अपने देश, समाज और बच्चों के भविष्य को बदलने के लिए किसी न किसी को शुरुआत करनी पड़ेगी और वह शुरुआत स्वयं से ही होगी, इसके बाद अन्य समाज के लोगों का साथ मिलता चला जाएगा। तब तक आप हमें बताइए कि * ------ आपके गाँव या क्षेत्र में सरकारी स्कूलों में मध्याह्न भोजन की स्थिति क्या है ? *------- आपने क्षेत्र या गाँव के सरकारी स्कूलों में बच्चों को कैसा पौष्टिक खाना मिलता है क्या ? आपके अनुसार बच्चों के लिए पौष्टिक भोजन का क्या मतलब है ? *------ साथ ही शिक्षा के मसले पर आपको किससे सवाल पूछने चाहिए ? और इसे कैसे बेहतर बनाया जा सकता है , ताकि हमारे देश का भविष्य आगे बढे।

Transcript Unavailable.

दोस्तों , MDM या मध्याह्न भोजन योजना को दुनिया का सबसे बड़ा स्कूल फीडिंग प्रोग्राम माना जाता है। इस योजना के तहत प्राथमिक स्तर पर प्रत्येक बच्चे के लिए 450 कैलोरी और 12 ग्राम प्रोटीन और उच्च प्राथमिक स्तर पर 700 कैलोरी और 20 ग्राम प्रोटीन वाला मध्याह्न भोजन दिया जाता है। लेकिन ये तो सरकार के वेबसाइट और कार्यक्रम में सुनने में अच्छा लगता है। आज भी कई जगहों पर हकीकत कुछ और ही है। हमारे समाज में वैसे सामाजिक संस्कार पल बढ़ रहे हैं जिनका सही तरह के सवाल पूछने से कोई लेना देना नहीं हो रहा है। हमारे समाज का लोकतंत्र ऐसी बेकार की बातों से सड़ रहा है। लोगों में नागरिकता का एहसास पैदा नहीं किया जा रहा है। उन्हें नहीं बताया जा रहा है कि वह तभी ठीक ढंग से जी पायेंगे जब वह सरकार और प्रशासन से सही तरह के सवाल पूछेंगे। केवल एक दिन नहीं हर दिन पूछेंगे। तभी गंगा साफ़ हो पाएगी और स्कूलों के मिड डे मील में धाँधली नहीं होगी। तभी दूध की जगह पानी और रोटी के साथ नमक नहीं मिलेगा। आप हमें बताइए कि *--------- आपके गाँव या क्षेत्र में सरकारी स्कूलों में मध्याह्न भोजन की स्थिति क्या है ? *--------- आपने क्षेत्र या गाँव के सरकारी स्कूलों में बच्चों को कैसा पौष्टिक खाना मिलता है है ? *---------- साथ ही शिक्षा के मसले पर आपको किससे सवाल पूछने चाहिए ? और इसे कैसे बेहतर बनाया जा सकता है , ताकि हमारे देश का भविष्य आगे बढे।

Transcript Unavailable.

मध्याह्न भोजन की नई व्यवस्था के पहले ही दिन विद्यालय के प्रधानाध्यापक दिखे नाखुश। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

Transcript Unavailable.