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एडीआर संस्था ने अपनी एक और रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में राजनीतिक पार्टियों की कमाई और खर्च का उल्लेख है। यह रिपोर्ट बताती है कि कैसे राजनीतिक पार्टियां अपने विस्तार और सत्ता में बने रहने के लिए बड़े पैमाने पर खर्च करती हैं। इस रिपोर्ट के मुताबिक देश के सबसे बड़े सत्ता धारी दल ने बीते वित्तीय वर्ष में बेहिसाब कमाई की और इसी तरह खर्च भी किया। इस रिपोर्ट में 6 पार्टियों की आय और व्यय के आधार पर तैयार किया गया है। इसमें भाजपा, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, सीपीआई एम और बीएसपी और एनपीईपी शामिल हैं। दोस्तों, *---- आपको क्या लगता है, कि चुनाव लडने पर केवल राजनीतिक दलों की महत्ता कितनी जरूरी है, या फिर आम आदमी की भूमिका भी इसमें होनी चाहिए? *---- चुनाव आयोग द्वारा लगाई गई खर्च की सीमा के दायेंरें में राजनीतिक दलों को भी लाना चाहिए? *---- सक्रिय लोकतंत्र में आम जनता को केवल वोट देने तक ही क्यों महदूद रखा जाए?

दिल्ली एनसीआर श्रमिक वाणी के माध्यम से रीना परवीन बातचीत जोनी से हुई जोनी बताते हैं मैं शीतल कंपनी में काम करता हूं हमारी कंपनी में चूड़ी बनती हैं और हम मशीनों पर काम करते हैं हमारे फैक्ट्री में हमें ग्लव्स नहीं दिए जाते क्योंकि हमारी फैक्ट्री में गरम-गरम मशीनों द्वारा डाई में से हाथ से चूड़ी निकालने पड़ती है और हमारा कई बार तो हमारे हाथ भी जल जाते हैं 3 महीने से रुका हुआ पिएफ भी नहीं मिल रहा है हमने अपने एचआर से कई बार मांग की है कि हमारा रुका हुआ पीएफ दिलवाया जाए मगर एचआर हमारा पीएफ नहीं दिलवा रहे हैं

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101 Bata 34 jahangirpuri City park ki jhukiya sabji mandi ITI ke samne

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दिल्ली के श्री राम कॉलोनी के खजुरी ख़ास से मैं भी नाम से बोल रहा हूँ , मैंने पहले भी फोन किया था , मैंने रिकॉर्डिंग करवा ली है , मैं चाहता हूँ कि मेरी पेंशन बने , मेरी पेंशन नहीं हो रही है , मैं बहुत परेशान हूँ , मैंने पैसे चुरा लिए हैं , मेरी पत्नी की पेंशन नहीं हो रही है , फिर वे कहते हैं कि मैलत नंद एक महिला दर्जी की तरह लग रही है ।